जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, उस पर परमात्मा की कृपा अवश्य होती है. मनुष्य को सांसारिक भौतिक सुखों से ऊपर उठकर ईश्वर भक्ति की ओर अग्रसर होना चाहिए, जिससे मोक्ष की प्राप्ति संभव हो सके. सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दौरान स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा. मुख्य चौक स्थित नई दुर्गा स्थान प्रांगण गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा के पावन स्वर से गुंजायमान हो उठा. संत पथिक सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ भक्तिभाव एवं श्रद्धा के वातावरण में हुआ. कथा आरंभ के साथ ही पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया. कथा से पूर्व ध्वजागली स्थित नई श्रीराम जानकी मंदिर से गाजे-बाजे के साथ श्रीमद्भागवत महापुराण की भव्य शोभायात्रा निकाली गई. मुख्य यजमान भीम मोदी सपत्निक ने श्रीमद्भागवत महापुराण को सिर पर धारण कर श्रद्धापूर्वक कथा स्थल तक पहुंचाया. शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों के साथ वातावरण को भक्तिरस से भर दिया. कथा मंच का उद्घाटन नप मुख्य पार्षद राजकुमार गुड्डू, संतमत सत्संग के आचार्य स्वामी रघुनंदन बाबा, कथा वाचक स्वामी सुबोधानंद जी महाराज, वरीय भाजपा नेता अरुण चौधरी, पार्षद संजय चौधरी एवं समाजसेवी कपिलकांत द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. ब्रह्मलीन पथिक जी महाराज के परम शिष्य एवं हरिद्वार से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी सुबोधानंद महाराज ने प्रथम दिवस कथा का अमृतपान कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण मनुष्य के समस्त पापों का नाश करता है. संसार रूपी भवसागर से पार उतरने का सबसे सरल और श्रेष्ठ साधन भागवत कथा है, जो बड़े पुण्य के फलस्वरूप प्राप्त होती है. बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण में 12 स्कंध, 335 अध्याय एवं 18 हजार श्लोक हैं, जिनमें जीवन को आध्यात्मिक दिशा देने वाले अमूल्य उपदेश निहित हैं. कलियुग में इसकी महिमा सर्वाधिक मानी गई है. पूरा पंडाल “श्रीमन नारायण नारायण” के जयघोष से गूंजता रहा. मौके पर संत पथिक सेवा समिति के अध्यक्ष त्रिवेणी शर्मा, सचिव विजय सिंह, कोषाध्यक्ष बासुदेव रामुका, विजय चौधरी आदि मौजूद थे. जो व्यक्ति धर्म के मार्ग पर चलता है, उस पर परमात्मा की कृपा अवश्य होती है. मनुष्य को सांसारिक भौतिक सुखों से ऊपर उठकर ईश्वर भक्ति की ओर अग्रसर होना चाहिए, जिससे मोक्ष की प्राप्ति संभव हो सके. सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के दौरान स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने कहा. मुख्य चौक स्थित नई दुर्गा स्थान प्रांगण गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा के पावन स्वर से गुंजायमान हो उठा. संत पथिक सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ भक्तिभाव एवं श्रद्धा के वातावरण में हुआ. कथा आरंभ के साथ ही पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो गया. कथा से पूर्व ध्वजागली स्थित नई श्रीराम जानकी मंदिर से गाजे-बाजे के साथ श्रीमद्भागवत महापुराण की भव्य शोभायात्रा निकाली गई. मुख्य यजमान भीम मोदी सपत्निक ने श्रीमद्भागवत महापुराण को सिर पर धारण कर श्रद्धापूर्वक कथा स्थल तक पहुंचाया. शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों के साथ वातावरण को भक्तिरस से भर दिया. कथा मंच का उद्घाटन नप मुख्य पार्षद राजकुमार गुड्डू, संतमत सत्संग के आचार्य स्वामी रघुनंदन बाबा, कथा वाचक स्वामी सुबोधानंद जी महाराज, वरीय भाजपा नेता अरुण चौधरी, पार्षद संजय चौधरी एवं समाजसेवी कपिलकांत द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. ब्रह्मलीन पथिक जी महाराज के परम शिष्य एवं हरिद्वार से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक स्वामी सुबोधानंद महाराज ने प्रथम दिवस कथा का अमृतपान कराते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण मनुष्य के समस्त पापों का नाश करता है. संसार रूपी भवसागर से पार उतरने का सबसे सरल और श्रेष्ठ साधन भागवत कथा है, जो बड़े पुण्य के फलस्वरूप प्राप्त होती है. बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण में 12 स्कंध, 335 अध्याय एवं 18 हजार श्लोक हैं, जिनमें जीवन को आध्यात्मिक दिशा देने वाले अमूल्य उपदेश निहित हैं. कलियुग में इसकी महिमा सर्वाधिक मानी गई है. पूरा पंडाल “श्रीमन नारायण नारायण” के जयघोष से गूंजता रहा. मौके पर संत पथिक सेवा समिति के अध्यक्ष त्रिवेणी शर्मा, सचिव विजय सिंह, कोषाध्यक्ष बासुदेव रामुका, विजय चौधरी आदि मौजूद थे.
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