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Sonpur Mela Bihar : अब अगले साल का इंतजार! फिर लौटेंगे… वही मेला, वही रौनक और वही जादू लेकर…

Sonpur Mela Bihar : अब अगले साल का इंतजार! फिर लौटेंगे… वही मेला, वही रौनक और वही जादू लेकर…
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32 दिन तक रंग, रौनक और रोशनी से चमकने वाला हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला अब शांत होने लगा है. पंडालों को समेटने का काम शुरू हो गया है और मेले की चहल-पहल सन्नाटे में बदल रही है. लोगों के लिए यह सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि अनुभवों से भरी एक अस्थायी जादुई दुनिया थी, जिसकी यादें अब भी ताजा हैं. हालांकि मेला समाप्त हो गया, लेकिन लौटने वालों की आंखों में एक ही चमक है—अगले साल फिर आएंगे, वही मेला, वही जादू लेकर.

Sonpur Mela Bihar सोनपुर मेला के समापन के बाद फीकी पड़ी चहल-पहल, विभागीय पंडालों को समेटने की तैयारी शुरू हो चुकी है. 32 दिनों तक रंग, रोशनी और रौनक से चमकने वाला हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला अब इतिहास के पन्नों में एक और साल जोड़कर जाने वाला है. मेले की चमक भले ही धीमी पड़ गई हो, लेकिन यहां आए लोगों के मन में उत्सव की गूंज अब भी ताजा है. मेला क्षेत्र में लौटती भीड़ के साथ एक हल्की उदासी तैर रही है, जैसे कोई प्रिय मेहमान अचानक रवाना हो गया हो.

पसर रहा सन्‍नटा

मेले में पिछले पूरे महीने हंसी-ठिठोली, बच्चों की आवाजें, संगीत की धुन, चटपटे पकवानों की खुशबू और रोशनी की चमक ने एक अलग ही दुनिया रच दी थी. लोगों के लिए यह सिर्फ बाजार नहीं था, यह एक अस्थायी लेकिन जादू से भरी दुनिया थी, जहां कदम-कदम पर कहानी, मुलाकात और नया अनुभव मिलता था. मगर अब यहां धीरे धीरे सन्‍नाटा पसर रहा है.

… जैसे ठहर जाता वक्‍त

स्टॉलों पर शिल्पकारों की कला, झूलों पर बच्चों का रोमांच, और खाने-पीने की दुकानों पर लगी भीड़—सब कुछ एक मीठी याद बनकर रह गया. अंतिम दिन की शाम ने लोगों को एक बार फिर उस एहसास से भर दिया, जब हम किसी पसंदीदा जगह से लौटते समय थोड़ा ठहर जाना चाहते हैं.

मेले के समापन के बाद अंधेरे में डूबता सोनपुर मेला परिसर.

मशीनों और मजदूरों की आवाज

… लेकिन यहां की तस्वीर अब बदल रही है. जहां कल तक जलेबी और पकौड़े की खुशबू तैरती थी, वहां अब हवा में धूल और पसरते सन्‍नाटे के बिखराव का एहसास है. जहां रोशनियों से सजा हर कोना चमकता था, वहां अब पंडालों को समेटने की उदास हलचल है. सरकारी और गैर-सरकारी विभागों के अधिकांश प्रदर्शनियों के पंडाल खुलने लगे हैं, मुख्य रास्‍ते से लेकर अंदरूनी गलियों तक की व्यवस्था को हटाने का काम शुरू हो गया है. चहल-पहल की जगह अब मशीनों और मजदूरों की आवाज सुनाई दे रही है.

सोनपुर मेला में लगी दुकान जो अब समेटी जा रही है.

फिर लौटेंगे आंखों में चमक बाकी है…

फिर भी, मेले से लौट रहे लोगों की आंखों में एक ही चमक दिख रही है. अगले साल फिर आएंगे… यही मेला, यही रौनक, यही जादू लेकर… हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन इस बार की 32 दिन की उत्सवी दुनिया लोगों के दिलों में लंबे समय तक गूंजती रहेगी.

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Keshav Suman Singh

लेखक के बारे में

Keshav Suman Singh

Contributor

बिहार-झारखंड और दिल्ली के जाने-पहचाने पत्रकारों में से एक हैं। तीनों विधाओं (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब) में शानदार काम का करीब डेढ़ दशक से ज्‍यादा का अनुभव है। वर्तमान में प्रभात खबर.कॉम में बतौर डिजिटल हेड बिहार की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले केशव नवभारतटाइम्‍स.कॉम बतौर असिसटेंट न्‍यूज एडिटर (बिहार/झारखंड), रिपब्लिक टीवी में बिहार-झारखंड बतौर हिंदी ब्यूरो पटना रहे। केशव पॉलिटिकल के अलावा बाढ़, दंगे, लाठीचार्ज और कठिन परिस्थितियों में शानदार टीवी प्रेजेंस के लिए जाने जाते हैं। जनसत्ता और दैनिक जागरण दिल्ली में कई पेज के इंचार्ज की भूमिका निभाई। झारखंड में आदिवासी और पर्यावरण रिपोर्टिंग से पहचान बनाई। केशव ने करियर की शुरुआत NDTV पटना से की थी। और पढ़ें

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