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GTRI Warning: अमेरिका-इंडोनेशिया की ट्रेड डील के जाल में न फंसे भारत, वरना होगा बड़ा नुकसान

Prabhat Khabar
23 Jul, 2025
GTRI Warning: अमेरिका-इंडोनेशिया की ट्रेड डील के जाल में न फंसे भारत, वरना होगा बड़ा नुकसान

GTRI Warning: थिंक टैंक जीटीआरआई ने चेताया कि अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता एकतरफा और अमेरिकी हितों से प्रेरित है, जो भारत के लिए चेतावनी है. रिपोर्ट के अनुसार, यह डील इंडोनेशिया की घरेलू नीतियों, एमएसएमई और खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुंचाती है. भारत पर भी अमेरिका ऐसे ही दबाव बना रहा है. जीटीआरआई ने भारत को सलाह दी कि वह व्यापार वार्ताओं में सतर्क रहे और दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता दे, ताकि भविष्य में नुकसान से बचा जा सके.

GTRI Warning: थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ( जीटीआरआई ) ने भारत को अमेरिका और इंडोनेशिया के ट्रेड डील जाल में नहीं फंसने की चेतावनी दी है. उसने स्पष्ट तौर पर संकेत दिया है कि अमेरिका दबाव बनाने के लिए इस प्रकार की रणनीति अख्तियार कर रहा है. इससे भारत को बड़ा नुकसान हो सकता है. जीटीआरआई की ओर से बुधवार को जारी रिपोर्ट में भारत को आगाह किया गया है कि वह अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में अत्यधिक रियायतें न दे. उसने अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौते को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि यह समझौता अमेरिकी दबाव में एकतरफा रियायतों का खतरनाक नमूना है, जो इंडोनेशिया की दीर्घकालिक नीति और संप्रभुता को प्रभावित करता है.

इंडोनेशिया को एकतरफा रियायतें

22 जुलाई 2025 को घोषित समझौते के तहत इंडोनेशिया ने अपने 99% टैरिफ अमेरिकी उत्पादों के लिए हटा दिए हैं. इससे अमेरिकी औद्योगिक, तकनीकी और कृषि उत्पादों के लिए इंडोनेशिया का बाजार लगभग पूरी तरह खुल गया है. वहीं, अमेरिका ने इंडोनेशियाई वस्तुओं पर केवल 19% टैरिफ लगाया है, जो पहले प्रस्तावित 40% से कम है. साथ ही, अमेरिकी एमएफएन टैरिफ अभी भी लागू रहेंगे, जिससे अमेरिका को अतिरिक्त लाभ मिलेगा.

22.7 अरब डॉलर के सामान की बाध्यकारी खरीद

इस समझौते में इंडोनेशिया को 22.7 अरब डॉलर मूल्य के अमेरिकी सामान खरीदने की भी शर्तें माननी पड़ी हैं, जिसमें 15 अरब डॉलर के ऊर्जा उत्पाद, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 3.2 अरब डॉलर के बोइंग विमान शामिल हैं. ये खरीद न केवल व्यापारिक असंतुलन को दर्शाती हैं, बल्कि इंडोनेशिया की स्वायत्त निर्णय क्षमता पर भी सवाल खड़ा करती हैं.

घरेलू नियमों और उद्योगों को भारी नुकसान

जीटीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका के दबाव में इंडोनेशिया ने कई घरेलू नियमों को खत्म किया है, जैसे कि स्थानीय सामग्री की अनिवार्यता. अब अमेरिकी कंपनियां बिना किसी स्थानीय आपूर्तिकर्ता से सामग्री लिए देश में उत्पादन कर सकेंगी, जिससे इंडोनेशियाई एमएसएमई क्षेत्र को भारी नुकसान होगा. साथ ही, अब अमेरिकी वाहन निर्माता सीधे अपने वाहन इंडोनेशिया में निर्यात कर सकते हैं, जबकि इंडोनेशियाई वाहनों को अमेरिका में निर्यात करने के लिए कड़े मानकों का पालन करना होगा.

भारत पर समान दबाव और संभावित खतरे

जीटीआरआई ने बताया कि अमेरिका भारत पर भी ठीक ऐसे ही दबाव बना रहा है. इनमें पुनर्निर्मित वस्तुओं की अनुमति देना, कृषि और डेयरी क्षेत्र को खोलना, जीएम फीड को स्वीकारना और डिजिटल व्यापार में अमेरिकी मानकों को अपनाना शामिल है. ये बदलाव केवल छोटे तकनीकी पहलू नहीं हैं, बल्कि वे भारत की आर्थिक संप्रभुता, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्थानीय उद्योगों की दीर्घकालिक संरचना को प्रभावित कर सकते हैं.

जीटीआरआई की सिफारिशें

जीटीआरआई ने सुझाव दिया है कि भारत को व्यापार समझौते के हर पहलू का स्पष्ट लागत-लाभ मूल्यांकन करना चाहिए. खाद्य, स्वास्थ्य, डिजिटल और बौद्धिक संपदा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में रियायतें केवल तभी दी जानी चाहिए, जब वे पारस्परिक, निष्पक्ष और भारत की विकास प्राथमिकताओं के अनुरूप हों. अन्यथा, भारत दीर्घकालिक नियंत्रण गंवाकर अल्पकालिक लाभ के लिए बहुत बड़ी कीमत चुका सकता है.

अमेरिका की रणनीति और भारत की स्थिति

राष्ट्रपति ट्रंप का रुख हमेशा से रेसिप्रोकल टैरिफ पर केंद्रित रहा है. उन्होंने दर्जनों देशों पर टैरिफ लगाए और भारत पर भी अतिरिक्त शुल्क 1 अगस्त से लागू करने की चेतावनी दी है. अप्रैल से जुलाई के बीच 90 दिनों की टैरिफ रोक के बावजूद भारत पर दबाव बना हुआ है. भारत का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में द्विपक्षीय व्यापार वार्ता को आगे बढ़ा रहा है, लेकिन जीटीआरआई की चेतावनी को अनदेखा करना दीर्घकालिक नुकसानदायक हो सकता है.

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भारत के लिए स्पष्ट चेतावनी है इंडोनेशियाई डील

अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौता एक स्पष्ट चेतावनी है कि किस तरह अमेरिका की व्यापार नीति केवल उसके हितों की पूर्ति करती है. भारत को अपने निर्णयों में सावधानी बरतनी होगी, अन्यथा वह भी उसी जाल में फंस सकता है, जिससे इंडोनेशिया गुजर रहा है. जीटीआरआई की यह चेतावनी समय रहते सुनी जानी चाहिए.

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