Agarbatti New Rules: अगरबत्तियों के निर्माण और इस्तेमाल को लेकर सरकार ने उपभोक्ता सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. विश्व में अगरबत्ती का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक भारत अब अगरबत्ती निर्माण में कुछ कीटनाशक और हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल पर रोक लगाएगा. इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने नया भारतीय मानक आईएस 19412:2025 जारी किया है.
उपभोक्ता सुरक्षा और वायु गुणवत्ता पर फोकस
नए मानक का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य, घर के अंदर वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय सुरक्षा को बेहतर बनाना है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, अगरबत्तियों में इस्तेमाल होने वाले कई रसायन लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से जुड़े रहे हैं. इन्हीं कारणों को ध्यान में रखते हुए यह मानक वैश्विक प्रतिबंधों और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप तैयार किया गया है.
इन कीटनाशक रसायनों पर लगी रोक
भारतीय मानक ब्यूरो ने अगरबत्तियों में इस्तेमाल के लिए निषिद्ध पदार्थों की एक स्पष्ट सूची जारी की है. इसमें एलेथ्रिन, पर्मेथ्रिन, साइपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन और फिप्रोनिल जैसे कीटनाशक रसायन शामिल हैं. मंत्रालय के अनुसार, इन रसायनों के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर संभावित नकारात्मक प्रभाव पाए गए हैं, जिसके चलते कई देशों में इन पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
कृत्रिम सुगंध रसायनों के इस्तेमाल पर भी रोक
कीटनाशकों के अलावा कुछ कृत्रिम सुगंध मध्यवर्ती रसायनों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें बेंजिल सायनाइड, एथिल एक्रिलेट और डाइफिनाइल एमीन जैसे रसायन शामिल हैं. मंत्रालय का कहना है कि ये पदार्थ घर के अंदर वायु प्रदूषण को बढ़ा सकते हैं और लंबे समय में स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं.
अगरबत्तियों का नया वर्गीकरण
नए गुणवत्ता मानक के तहत अगरबत्तियों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है. इनमें मशीन निर्मित, हाथ से बनी और पारंपरिक मसाला अगरबत्ती शामिल हैं. मानक में कच्चे माल की गुणवत्ता, जलने की अवधि, सुगंध का प्रदर्शन और रासायनिक संरचना से जुड़े स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए गए हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित, टिकाऊ और समान गुणवत्ता वाले उत्पाद मिलें.
बीआईएस मार्क से बढ़ेगा उपभोक्ता भरोसा
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, जो उत्पाद इस नए मानक का पालन करेंगे, वे बीआईएस मानक चिह्न का इस्तेमाल कर सकेंगे. इससे उपभोक्ताओं को सही जानकारी के आधार पर उत्पाद चुनने में मदद मिलेगी और बाजार में भरोसेमंद ब्रांड्स को बढ़ावा मिलेगा.
8,000 करोड़ रुपये के उद्योग को मिलेगा लाभ
सरकार का मानना है कि यह कदम लगभग 8,000 करोड़ रुपये वार्षिक आकार वाले भारतीय अगरबत्ती उद्योग के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. इससे नैतिक और टिकाऊ विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा, पारंपरिक कारीगरों को समर्थन मिलेगा और वैश्विक बाजारों तक पहुंच और मजबूत होगी.
इसे भी पढ़ें: Gold Price Decline: 2026 की शुरुआत में ही 10% से 15% तक सस्ता हो सकता है सोना, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
निर्यात में भारत की मजबूत स्थिति
भारत हर साल करीब 1,200 करोड़ रुपये मूल्य की अगरबत्तियों का निर्यात करता है. अमेरिका, मलेशिया, नाइजीरिया, ब्राजील और मेक्सिको सहित 150 से अधिक देशों में भारतीय अगरबत्तियों की मजबूत मांग है. नए मानक से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत की साख और प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और मजबूत होने की उम्मीद है.
भाषा इनपुट के साथ
इसे भी पढ़ें: रेल यात्रियों को बड़ा झटका! बढ़ गया ट्रेनों का किराया, 25 दिसंबर की आधी रात से लागू





