Dhanbad News: मुख्य संवाददाता, धनबाद.
कोल सेक्टर में बड़ा बदलाव किया गया है. एआरएस लिंकेज पॉलिसी में कोल सेतु विंडो जोड़ने का फैसला लिया गया है. इस नयी व्यवस्था के तहत अब किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए कोयला लिंकेज की लॉन्ग-टर्म नीलामी की जा सकेगी. सरकार के इस कदम से कोयले की निष्पक्ष पहुंच, पारदर्शिता और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा. 12 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. सूत्रों के अनुसार, यह नीति 2015 की गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति का विस्तार है, जिससे उद्योगों को एंड-यूज़ की बाध्यता के बिना कोयला लिंकेज लेने का अवसर मिलेगा. हालांकि, इस विंडो में कोकिंग कोयला शामिल नहीं किया गया है और ट्रेडर्स को भाग लेने की अनुमति नहीं होगी.उद्योगों को मिलेगी बड़ी राहत :
कोल सेतु विंडो के तहत सीमेंट, स्टील, स्पंज आयरन, एल्युमिनियम सहित अन्य औद्योगिक इकाइयां तथा उनके कैप्टिव पावर प्लांट नीलामी में भाग ले सकेंगे. इससे मौजूदा और भविष्य की ऊर्जा मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी और आयातित कोयले पर निर्भरता घटेगी.निर्यात को भी मिलेगा बढ़ावा :
नयी नीति के अनुसार, कोयला लिंकेज धारक अपनी कुल लिंकेज मात्रा का 50 प्रतिशत तक कोयला निर्यात कर सकेंगे. इसके अलावा, लिंकेज से प्राप्त कोयले का उपयोग ग्रुप कंपनियों के बीच लचीले ढंग से किया जा सकेगा. देश में पुनर्विक्रय की अनुमति नहीं होगी, लेकिन उपभोग, निर्यात और कोयला धोने (वॉशरी) जैसे कार्यों के लिए उपयोग संभव होगा.धुले कोयले से घटेगा आयात :
सरकार का मानना है कि भविष्य में धुले हुए कोयले की मांग बढ़ेगी. कोल सेतु के तहत वॉशरी ऑपरेटरों को लिंकेज मिलने से देश में धुले कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे आयात में कमी आएयेगी. साथ ही, धुले कोयले को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी खरीदार मिलने की संभावना है. ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में मजबूत कदम : विशेषज्ञों के मुताबिक, कोलसेतु विंडो से कोयला क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उद्योगों को किफायती ईंधन मिलेगा और देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी. यह फैसला आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम माना जा रहा है.उद्योग पुनरुद्धार की संभावना :
अब इस लचीली व्यवस्था से मंदी की स्थिति से जूझ रहे उद्योग बाहर निकल कर पुनर्जीवित हो सकेंगे. यह नीति इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगी और झारखंड के उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता मजबूत करेगी.नयी पॉलिसी से हार्डकोक सहित अन्य उद्योगों को मिलेगा सीधा लाभ : अमितेश
झारखंड इंडस्ट्री एंड ट्रेड एसोसिएशन ने कोलसेतु विंडो नीति का स्वागत किया है. जीटा के अध्यक्ष अमितेश सहाय ने कहा कि नयी नीति से किसी भी औद्योगिक उपयोग या निर्यात के लिए लॉन्ग-टर्म कोयला लिंकेज की नीलामी होगी. हार्ड कोक उद्योग सहित एंड-यूजर उद्योगों जैसे सीमेंट, स्टील, स्पंज आयरन, एल्युमिनियम आदि को इस नीति से सीधा लाभ मिलेगा, क्योंकि वे अब कोयला लिंकेज की नीलामी में भाग ले सकेंगे और अपनी जरूरत के अनुसार कोयले का उपयोग कर सकेंगे. इससे आयातित कोयले पर निर्भरता कम होगी और मौजूदा कोयला भंडार का उपयोग सुनिश्चित होगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है




