Advertisement
Home/धनबाद/DHANBAD NEWS : मासस काे छोड़ धनबाद में छोटे दल, निर्दलीय प्रत्याशियों का नहीं रहा है प्रभाव

DHANBAD NEWS : मासस काे छोड़ धनबाद में छोटे दल, निर्दलीय प्रत्याशियों का नहीं रहा है प्रभाव

DHANBAD NEWS : मासस काे छोड़ धनबाद में छोटे दल, निर्दलीय प्रत्याशियों का नहीं रहा है प्रभाव
Advertisement

धनबाद विस क्षेत्र से आज तक किसी निर्दलीय ने नहीं जीता है चुनाव, राष्ट्रीय एवं बड़े क्षेत्रीय दलों में ही होते रहे है टकराव

कोयलांचल खासकर धनबाद जिला की राजनीति में राष्ट्रीय एवं बड़े क्षेत्रीय दलों का ही ज्यादा प्रभाव रहा है. यहां मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) को छोड़ कोई भी छोटा दल अब तक अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाया है. धनबाद जैसे सीट से तो आजादी के बाद से आज तक किसी भी निर्दलीय प्रत्याशी को जीत नहीं मिल पायी है. हालांकि, एक-दो चुनाव में कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने यहां बड़े दलों का खेल बिगाड़ने का जरूर प्रयास किया है.

आजादी के बाद धनबाद जिला की राजनीति में पहले कांग्रेस, वाम दलों एवं स्थानीय राज परिवारों द्वारा बनाये गये दलों का प्रभाव था. धीरे-धीरे राजघरानाें का प्रभाव कम होता गया. 80 के दशक के बाद यहां वाम दलों का भी प्रभाव कम होने लगा. कांग्रेस, भाजपा एवं जनता दल (बाद में राजद), झामुमो ने अलग-अलग क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू किया. इस दौरान वाम दलों में सिर्फ मासस, फॉरवर्ड ब्लॉक का निरसा एवं सिंदरी विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव रह गया था. भाजपा की ताकत बढ़ने के बाद कांग्रेस, मासस जैसी पार्टियां भी चुनावी राजनीति में पिछड़ने लगी.

धनबाद : आठ बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा को मिली है जीत

सदर विधानसभा की बात करें तो यहां 1952 से 2019 के बीच हुए 15 चुनाव में हमेशा मुकाबला बड़े दलों के प्रत्याशियों के बीच होता रहा है. इन 15 चुनावों में आठ बार कांग्रेस, पांच बार भाजपा तथा सीपीआइ एवं बीकेडी (भारतीय क्रांति दल) को एक-एक बार सफलता मिली है. धनबाद में कभी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाये हैं. साथ ही यहां कोई महिला भी अब तक विधायक नहीं बन पायी हैं. सभी 15 बार पुरुषों ने ही इस सीट पर सफलता पायी है. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद हुए चार चुनावों में धनबाद में मुकाबला कांग्रेस एवं भाजपा के बीच ही होता रहा है. इसमें तीन बार भाजपा तथा एक बार कांग्रेस जीती है.

मासस दिखाती रही है अपना प्रभाव

धनबाद जिला में छोटे दलों में मासस अपनी ताकत दिखाती रही है. वर्ष 1977 में गठन के बाद मासस ने धनबाद लोकसभा क्षेत्र से तीन बार जीत दर्ज करायी. जबकि सिंदरी विधानसभा क्षेत्र से चार बार मासस प्रत्याशी विजयी रहे. वहीं चार चुनाव में मासस दूसरे स्थान पर रही. निरसा विधानसभा सीट पर भी मासस का उम्दा प्रदर्शन रहा है. यहां आठ चुनावों में मासस जीत का परचम लहराने में सफल रही. वहीं तीन बार हार का सामना करना पड़ा. इस विधानसभा चुनाव से पहले मासस का भाकपा माले में विलय हो गया है. इस बार माले महागठबंधन से मिलकर सिंदरी एवं निरसा सीट पर चुनाव लड़ रही है.

झामुमो को छोड़ दूसरे झारखंड नामधारी दलों का नहीं रहा है प्रभाव

धनबाद जिला में एकीकृत बिहार या अलग झारखंड राज्य बनने के बाद कई झारखंड नामधारी दलों ने अपना प्रभाव बनाने की कोशिश की. लेकिन, झामुमो को छोड़ अन्य झारखंडी नामधारी दलों का चुनावी राजनीति में कभी प्रभाव नहीं दिखा. झामुमो भी टुंडी सीट को छोड़ कर दूसरी सीटों से आज तक नहीं जीत पायी है. इस बार भी झामुमो महागठबंधन के तहत सिर्फ टुंडी सीट से ही चुनाव लड़ रही है. बाकी दलों पर सहयोगी दलों को ही समर्थन कर रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित टॉपिक्स
Prabhat Khabar News Desk

लेखक के बारे में

Prabhat Khabar News Desk

Contributor

यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है। और पढ़ें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store
Advertisement
Sponsored Linksby Taboola
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement