Advertisement
Home/Opinion/संसद में राहुल के तेवर और शाह का पलटवार

संसद में राहुल के तेवर और शाह का पलटवार

संसद में राहुल के तेवर और शाह का पलटवार
Advertisement

लोक सभा में दिए राहुल गांधी के भाषण में कोई नयापन नहीं था. हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस नेता ने वही सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभागों के विपक्ष के नेताओं के खिलाफ उपयोग का आरोप लगाया.

Rahul Gandhi : राहुल गांधी इन दिनों अमित शाह को नीचा दिखाने के प्रयास में लगे हैं. पहले चुनाव सुधार पर संसद में बहस के दौरान गृह मंत्री को टोकते और रोकते नजर आए और फिर रामलीला मैदान में एसआईआर पर एक जंनसभा को संबोधित करते हुए यह कहते नजर आए कि लोक सभा में उनके उठाए प्रश्नों पर अमित शाह कांप रहे थे. वैसे राहुल गांधी को जानने वाले यह मानते हैं कि उनमें ना भाषा का संयम है और ना पद का लिहाज. वह प्रधानमंत्री के प्रति भी कई बार ओछे शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं, लेकिन गृहमंत्री शाह ने जब संसद में पलटवार किया तो राहुल बिग्रेड की बेचारगी साफ नजर आई.

दरअसल राहुल गांधी लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि लोकसभा में उनका आचरण आक्रामक दिखे और वह सरकार को झुकाते हुए नजर आए. लेकिन होता उल्टा ही है. भले ही कुछ गैर परंपरागत व्यवहार और कुछ सीधे व्यक्तिगत हमले से राहुल गांधी न्यूज हेडलाइन में खुद के लिए जगह बना लेते हैं, लेकिन जब सत्ता पक्ष से जवाब आता है और तथ्य रखे जाते हैं और शर्मिंदा राहुल को भी होना पड़ता है. संसद में चुनाव सुधार पर बहस के दौरान भी ऐसा ही हुआ, अपने भाषण में अमित शाह ने चुनाव के मुद्दे पर कांग्रेस की बखिया उधेड़ कर रख दिया. उन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक के आचरण का चिट्ठा खोल कर रख दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अमित शाह के भाषण की तारीफ की.

लोक सभा में दिए राहुल गांधी के भाषण में कोई नयापन नहीं था. हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस नेता ने वही सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभागों के विपक्ष के नेताओं के खिलाफ उपयोग का आरोप लगाया. राहुल गांधी ने फिर से कहा कि आरएसएस सभी सरकारी संस्थानों पर कब्ज़ा करता जा रहा है, यूनिवर्सिटी के वीसी के चयन पर भी सवाल उठाया. पुनः गांधी की हत्या में संघ के शामिल होने का प्रलाप किया. एसआईआर के मुद्दे पर राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को धमकी तक दे डाली. उन्होंने वोट चोरी को देश द्रोह बताते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को यहां तक कह दिया कई हम आएंगे और तुम्हें ढूंढ निकालेंगे. विपक्ष के नेता ने फिर कहा कि चुनाव आयोग मोदी-शाह के कहने पर लोगों को वोट डालने से वंचित करने का काम कर रहा है.

पर जब बारी गृह मंत्री अमित शाह की आई तो कांग्रेस ने वाक आउट का रास्ता अपनाया, लेकिन जब तक कांग्रेसी सांसद सदन में रहे अमित शाह ने उन्हें आकड़ों के जरिए खूब सुनाया. गृह मंत्री ने कुछ अकाट्य आकड़े रखे. उन्होंने 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए कहा -असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम आबादी में असामान्य उछाल कैसे आया. क्या ऐसे आंकड़े बिना घुसपैठ के संभव हैं? अमित शाह ने जब यह कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है और जो लोग देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करेंगे, उनसे सख्ती से निपटा जाएगा, तो कांग्रेस के नेता हत्थे से उखड़ गए और अमित शाह के भाषण में खलल डालने लगे. इस काम में खुद राहुल गांधी सबसे आगे खड़े नजर आए.

गृह मंत्री ने साफ कहा कि एसआईआर पर विपक्ष के आरोपों में कोई दम नहीं है और ये अपने खिसकते वोट बैंक से बौखलाए हुए हैं. नहीं तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट के तहत एक रूटीन, कानूनी प्रक्रिया का इस तरह विरोध नहीं करते. चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन चालू ही इसलिए लिया है कि अवैध अप्रवासियों के नाम चुनावी सूची में हटाया जाए और साथ में मृत या डुप्लीकेट लोगों के भी नाम काटे जा सके. अमितशाह ने जोर देकर कहा कि एसआईआर की प्रक्रिया वोट चोरी नहीं है, बल्कि यह वोटर लिस्ट को साफ करने की कोशिश है. लेकिन कांग्रेस इसके जरिए अल्पसंख्यकों के बीच डर फैलाना चाहती है.

देखा जाए तो अमित शाह की इस बात में दम है कांग्रेस लोगों में चुनाव आयोग को लेकर अविश्वास पैदा करने के प्रयास में है. अभी तक किसी भी विपक्षी राजनीतिक दल मतदाताओं के साथ कथित भेदभाव के संबंध में चुनाव आयोग के पास कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. अगर मतदान के योग्य लाखों –करोड़ों के नाम हटाए जा रहे हैं तो विरोधी पार्टियां अदालत क्यों नहीं जा रही हैं. राहुल गांधी मीडिया के बजाय कोर्ट में सबूत क्यों नहीं प्रस्तुत कर रहे हैं. राहुल गांधी तो शपथ पत्र के साथ शिकायत भी चुनाव आयोग के पास जमा नहीं करा रहे हैं. अमित शाह ने भी राहुल गांधी से सदन में पुछा – अभी तक आपने शून्य सबूत क्यों जमा किए? कोई लिखित शिकायत क्यों नहीं? कोई हलफनामा क्यों नहीं? इसलिए नहीं क्योंकि कांग्रेस का यह अभियान ही झूठ पर आधारित है.

अगर राहुल गांधी का मकसद एसआईआर पर देश में हंगामा खड़ा करना है तो वह इस मकसद में अभी तक कामयाब रहे हैं. वह हरियाणा और महाराष्ट्र में कथित वोट चोरी पर कई बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुके हैं, मीडिया में हेडलाइन बनते रहे हैं, सबसे बड़े खुलासे का दावा उन्होंने 5 नवंबर को किया, जब अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित खुलासे को हाइड्रोजन बम का नाम दिया. पर यह हाइड्रोजन बम बीजेपी या एनडीए पर फूटने के बजाय इंडिया गठबंधन पर ही फट गया. बिहार में कांग्रेस और आरजेडी दोनों औंधे मुंह गिर गए. कांग्रेस के तो केवल पांच विधायक ही जीत कर आए. अमित शाह ने अपने भाषण में इस हाइड्रोजन बम पर भी चुटकी ली. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा में जिस एक घर से 501 वोट डालने का दावा राहुल गांधी कर के सनसनी मचाना चाहा, दरअसल वह एक एकड़ के पुश्तैनी प्लॉट पर कई परिवारों का एक साथ रहने वाला घर है. चुनाव आयोग ने खुद इसे साफ किया है कि हाउस नंबर 265 कोई छोटा घर नहीं है.

संघ के सवाल पर भी अमित शाह बेबाक नजर आए. उन्होंने ठोक कर कहा कि यदि संघ विचारधारा के लोग महत्वपूर्ण पदों पर पहुंच रहे हैं तो इसमें आपत्ति क्या है? क्या इस देश में कोई ऐसा कानून है, जो आरएसएस की विचारधारा से जुड़े लोगों को किसी पद से अयोग्य ठहराता है. जाहिर है इसका जवाब राहुल गांधी के पास नहीं है. यह सब जानते हैं कि देश के प्रधानमंत्री संघ से जुड़े रहे हैं, खुद गृह मंत्री भी संघ से ही आते हैं, बल्कि केंद्रीय सत्ता से जुड़े कई लोग संघ की शाखाओं और कार्यक्रमों में खुलेआम जाते हैं. कांग्रेस के लोग भी यह मानते हैं कि राष्ट्र के समर्पित संगठनों में आरएसएस से बड़ा कोई भी संगठन नहीं है.

संबंधित टॉपिक्स
विक्रम उपाध्याय

लेखक के बारे में

विक्रम उपाध्याय

Contributor

विक्रम उपाध्याय is a contributor at Prabhat Khabar. और पढ़ें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store
Advertisement
Sponsored Linksby Taboola
Advertisement