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Sarva Pitru Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी दिन, जानें कब है सर्व पितृ अमावस्या, श्राद्ध विधि-नियम

Prabhat Khabar
16 Sep, 2025
Sarva Pitru Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी दिन, जानें कब है सर्व पितृ अमावस्या, श्राद्ध विधि-नियम

Sarva Pitru Amavasya 2025 Date: सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे खास दिन है. इस वर्ष 21 सितंबर 2025 को सर्व पितृ अमावस्या पड़ रही है. इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि के बारे में सही जानकारी नहीं होती या जिनका श्राद्ध पितृ पक्ष में किसी कारणवश नहीं किया जा सका.

Sarva Pitru Amavasya 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व होता है. इस पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों (पूर्वजों) को याद कर तर्पण और श्राद्ध करते हैं. लेकिन सर्व पितृ अमावस्या, जिसे महालय या सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं, सबसे विशेष मानी जाती है. यह दिन पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है और माना जाता है कि इस दिन जो भी श्राद्ध और तर्पण किया जाता है, वह सीधे सभी पूर्वजों तक पहुंचता है. इसे पूर्वजों को सम्मान और आशीर्वाद पाने का आखिरी अवसर माना जाता है.

किसका श्राद्ध किया जाता है?

सर्व पितृ अमावस्या पर उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी पुण्यतिथि (मृत्यु तिथि) के बारे में सही जानकारी नहीं होती. जिनका श्राद्ध पितृ पक्ष में किसी कारणवश नहीं किया जा सका. इसलिए इसे सर्व पितरों का श्राद्ध कहा जाता है.

कब है सर्व पितृ अमावस्या 2025?

  • अमावस्या तिथि की शुरुआत: 20 सितंबर, रात 12:17 बजे
  • अमावस्या तिथि की समाप्ति: 21 सितंबर, रात 1:24 बजे

इस हिसाब से सर्व पितृ अमावस्या 2025 की तिथि: 21 सितंबर (रविवार)

खास बात यह है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है.

सर्व पितृ अमावस्या 2025: श्राद्ध और तर्पण के नियम

  • सबसे पहले स्नान करके शुद्ध और पवित्र स्थान पर बैठें, संभव हो तो नदी किनारे.
  • हाथ में चावल लेकर पूर्वजों को याद करते हुए श्राद्ध करने का संकल्प लें.
  • सबसे पहले देवताओं को अक्षत के साथ जल अर्पित करें.
  • फिर पूर्वजों के नाम से तर्पण करें, इसके लिए हाथ में काला तिल और सफेद फूल लेकर जल अर्पण करें.
  • कुशा घास को अंगूठे और तर्जनी के बीच पकड़कर ‘अंजलि’ बनाएं.
  • “ओम पितृभ्य नमः” मंत्र बोलते हुए तीन बार जल अर्पित करें.
  • तर्पण का जल पेड़ की जड़ में डालें.
  • इसके बाद घर पर ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें.

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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

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