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मनरेगा और ग्रामीण आवास योजना का बजट में दबदबा! जानें सरकार ने किसे दिए ज्यादा फंड?

मनरेगा और ग्रामीण आवास योजना का बजट में दबदबा! जानें सरकार ने किसे दिए ज्यादा फंड?
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Budget 2025-26: सरकार ग्रामीण भारत के विकास पर जोर दे रही है, लेकिन बजट का सही इस्तेमाल न हो पाना एक बड़ी चुनौती है. वित्त वर्ष 20025-26 के आम बजट में मनरेगा और पीएम ग्रामीण आवास योजना को सबसे ज्यादा फंड मिला है, जिससे गांवों में रोजगार और आवास में सुधार होगा.

Budget 2025-26: केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1.90 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसमें मनरेगा (MGNREGA) और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) को 75% हिस्सेदारी मिली है. सरकार की ओर से पेश किया गया इस आंकड़े से स्पष्ट है कि सरकार की प्राथमिकता ग्रामीण भारत का विकास और गरीबी उन्मूलन है.

मनरेगा और प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना को सबसे ज्यादा फंड

ग्रामीण विकास विभाग को 1,87,755 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान से 8% अधिक है. इस बजट में दो प्रमुख योजनाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है:

  • मनरेगा (MGNREGA): 46%
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G): 29%

दूसरे योजनाओं को मिलने वाला बजट

ग्रामीण भारत के विकास के लिए सरकार ने इन योजनाओं को भी बजट दिया है:

  • राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM): 10%
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY): 10%
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP): 5%

ग्रामीण विकास पर सरकार का फोकस

  • मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों के वयस्कों को साल में 100 दिन का गारंटीशुदा रोजगार मिलता है.
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लक्ष्य 2022 तक सभी के लिए आवास था, लेकिन अभी भी 4.03 करोड़ घरों की कमी है.
  • प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के लिए 19,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो पिछले साल के मुकाबले 31% अधिक है.

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बजट खर्च और अनदेखी समस्याएं

ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में पीएम ग्रामीण आवास योजना का 41% बजट खर्च नहीं किया गया. इसके अलावा, 2013-14 के बाद से ग्रामीण विकास मंत्रालय का खर्च लगातार बजटीय अनुमानों से कम रहा है.

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KumarVishwat Sen

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KumarVishwat Sen

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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. और पढ़ें

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