Hike Shutdown: महज 13 साल पुरानी स्टार्टअप कंपनी हाइक अब पूरी तरह से बंद हो गई. इसके संस्थापक कविन मित्तल ने भारी मन से इस निर्णय की घोषणा की. एक समय पर भारत का लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप रहने वाली यह कंपनी बाद में कैज़ुअल गेमिंग के क्षेत्र में उतरी थी. लेकिन बदलते हालात और नियामक चुनौतियों ने इसके सफर को यहीं रोक दिया. कविन मित्तल ने कहा कि भारत में पैसे लेकर चलाने वाली ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगने की वजह से उन्हें यह फैसला लेना पड़ा.
अमेरिका में शुरुआत, भारत में चुनौतियां
कविन मित्तल ने बताया कि अमेरिका में कंपनी का कारोबार केवल नौ महीने पहले शुरू हुआ था और शुरुआत उत्साहजनक रही थी. लेकिन भारत में रियल-मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगने के बाद वैश्विक विस्तार असंभव हो गया. उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार मॉडल और उपभोक्ता जुड़ाव को परखने के लिए रियल-मनी गेमिंग अपनाई गई थी, लेकिन यह उनका अंतिम लक्ष्य कभी नहीं था.
पूंजी और विस्तार पर सवाल
मित्तल ने कहा कि निवेशकों और टीम के साथ चर्चा के बाद यह निष्कर्ष निकला कि वर्तमान हालात में पूंजी जुटाना संभव तो है, लेकिन यह उचित नहीं होगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि 13 सालों में पहली बार उन्हें लगा कि इस प्रयास को जारी रखना न तो उनके लिए और न ही टीम व निवेशकों के लिए सही है.
नियामक अनिश्चितता बनी सबसे बड़ी बाधा
भारत में रियल-मनी गेमिंग पर सरकार का कड़ा रुख, जीएसटी में बढ़ोतरी और परामर्श के बिना जल्दबाजी में बने नियम हाइक के बिजनेस मॉडल को कमजोर कर गए. इसके विपरीत, अमेरिका ने स्टेबलकॉइन के लिए जीनियस एक्ट और टोकन के लिए क्लैरिटी एक्ट जैसे कदम उठाकर नियामक स्पष्टता का माहौल बनाया. मित्तल ने अमेरिकी बाजार को ज्यादा स्थिर और अवसरपूर्ण बताया.
हाइक से लेकर रश तक का सफर
एक समय हाइक मैसेंजर के 4 करोड़ मंथली यूजर्स हुआ करते थे और यह भारत के शीर्ष उपभोक्ता ब्रांडों में शामिल था. बाद में कंपनी ने रश नामक ब्रांड लॉन्च किया, जिसने तेजी से 1 करोड़ यूजर्स और 50 करोड़ डॉलर से अधिक के सकल राजस्व का आंकड़ा छू लिया. लेकिन, नियामक बाधाओं के कारण यह गति लंबे समय तक टिक नहीं सकी.
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अब क्या करेंगे कविन मित्तल?
मित्तल ने कहा कि विजेता-सब-कुछ-ले-जाए बाजारों में वैश्विक पैमाना बेहद जरूरी है. बिना स्पष्ट नियमन के व्यापार करना एक बड़ा जोखिम है. उन्होंने हाइक को बंद करने को कठिन लेकिन जरूरी फैसला बताया. आगे उन्होंने अपने प्रयासों को तीन क्षेत्रों पर केंद्रित करने की बात कही. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), ऊर्जा में प्रगति और आत्म-नियंत्रण शामिल है.
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