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Savings Tips: मोटी सैलरी के बाद भी नहीं होती बचत? आज से अपना लेंगे ये आदतें तो छप्पर फाड़ के बरसेगी दौलत

Savings Tips: मोटी सैलरी के बाद भी नहीं होती बचत? आज से अपना लेंगे ये आदतें तो छप्पर फाड़ के बरसेगी दौलत
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Savings Tips: मोटी सैलरी होने के बाद भी पैसे बच नहीं रहे? कौन-सी आदतें आपकी बचत रोकती हैं और कौन-सी आदतें अपनाने से सेविंग बढ़ सकती है? खर्च कम करके, निवेश शुरू करके, इंश्योरेंस और इमरजेंसी फंड बनाकर और ईएमआई समय पर चुकाकर आप अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकते हैं.

Savings Tips: महंगाई के जमाने में लोगों के खर्च इतने अधिक बढ़ गए हैं कि लोग बचत नहीं कर पाते. जिनकी सैलरी कम होती है, उनका हाथ हमेशा तंग रहता है. ये बात सबको समझ में आती है, लेकिन जिनकी मोटी सैलरी होती है और वे पैसों की बचत नहीं कर पाते, तब चिंता होने की जरूरत है. ऐसी स्थिति में यह जानना जरूरी होता है कि आखिर क्या कारण है कि मोटी सैलरी होने के बावजूद बचत नहीं हो रही है और हाथ हमेशा तंग रहता है? इसका कारण जानना कोई बहुत बड़ा रॉकेट साइंस नहीं है. कुछ ऐसी आदतें और काम हैं, जिन्हें छोड़ देने के बाद पैसों की बचत होने लगती है. आइए, हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि पैसों की बचत के लिए कौन-सी आदतों को अपना लेनी चाहिए?

बेमलब के खर्चों में कर दें कटौती

आम तौर पर सैलरी बढ़ने के बाद लोग ऐशो-आराम की चीजों में बेतहाशा खर्च करना शुरू कर देते हैं. वे अपने लाइफस्टाइल को इस कदर चेंज कर देते हैं और ज्यादा खर्च करने लगे हैं. वे महंगे गैजेट्स, लग्जरी ट्रैवल और गैर-जरूरी खरीदारी शुरू कर देते हैं. ऐसे लोग खर्चों पर लगाम नहीं लगाते हैं और खर्च पर खर्च बढ़ाते जाते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादा खर्च करने से आदमी अमीर नहीं बनता. सैलरी बढ़ने पर गैर-जरूरी खर्चों में कटौती कर दें, तो पैसों की बचत हो सकती है.

निवेश करने की डालें आदत

बहुत सारे लोग सैलरी में बढ़ोतरी होने पर घर खर्च, बच्चों की फीस, खुद के महीने भर के खर्च और वाइफ को उनकी पॉकेट मनी देने के बाद बची हुई रकम को बैंक खाते में रखे रहते हैं या फिर उसे फिक्स्ड डिपॉजिट में डाल देते हैं. लेकिन, जो समझदार लोग हैं और थोड़ा रिस्क उठाने की ताकत रखते हैं, वे इन पैसों को न तो बैंक खाते में रखे रहते हैं और न ही फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं. वे सीधे शेयर बाजार या रियल एस्टेट की ओर रुख कर देते हैं. ये लोग एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड या जमीन-मकान खरीदकर रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करते हैं. अगर आपको भी अच्छी सैलरी मिलती है, तो आज से ही अपने अंदर ये दो आदतें पाल लीजिए मुनाफे में रहिएगा.

इंश्योरेंस कराएं और इमरजेंसी फंड बनाएं

आज के जमाने में खान-पान और आहार-व्यवहार में बदलाव की वजह से लोगों की जीवनशैली पूरी तरह से बदल गई है. ऐसी स्थिति में बीमारी किसी को बोलकर नहीं आती है. इन बीमारियों के इलाज, दुर्घटना या नौकरी छूटने की स्थिति से बचाव करने के लिए इंश्योरेंस कराना बेहद जरूरी होता है. इंश्योरेंस और इमरजेंसी फंड नहीं होने पर आदमी बर्बाद तक हो जाता है. इसलिए अपने अंदर इंश्योरेंस कराने और इमरजेंसी फंड बनाने की आदत आज से डेवलप करना शुरू कर दें.

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ईएमआई का सही समय पर भुगतान करें

अगर आपने क्रेडिट कार्ड या पर्सनलर लोन ले रखी है और उसके ईएमआई का सही समय पर इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो यह आपको संपत्ति बनाने की राह में रोड़ा बन सकता है. ईएमआई का सही समय पर भुगतान नहीं करने से ब्याज पर ब्याज बढ़ता जाता है और आपका क्रेडिट स्कोर घट जाता है. ऐसी स्थिति में आपको फिर कोई दूसरा बैंक या वित्तीय संस्थान लोन नहीं देता है. इसलिए अगर आपने लोन ले रखी है, तो सही समय पर ईएमआई के भुगतान की आदत आज से ही डाल लें, तो फिर आप जीवनभर सुखी रहेंगे.

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KumarVishwat Sen

लेखक के बारे में

KumarVishwat Sen

Contributor

कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. और पढ़ें

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