मधुबनी.
बिहार सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों को अब स्कूल की तरह चलाने की तैयारी में है, ताकि बच्चों को शुरुआती शिक्षा और पोषण दोनों एक साथ मिले. केंद्र एक तरह से मिनी स्कूलों में बदल जाएंगे. बच्चे यूनिफॉर्म पहनकर पढ़ाई करेंगे और पोषाहार के साथ बुनियादी शिक्षा लेंगे. इससे बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ेगी. जीविका दीदियों के जरिए ड्रेस वितरण कई जिलों में शुरू हो चुका है जबकि स्टडी किट और केंद्रों को रंगीन बनाने का काम भी हो रहा है. यह योजना 3-6 साल के बच्चों के लिए आइसीडीएस का हिस्सा है जो पोषण और प्री-स्कूल एजुकेशन को साथ लाएगी.योजना की यह होगी मुख्य तस्वीर
आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूल की तर्ज पर चलाने से बच्चों में पढ़ाई का रुझान बढ़ेगा. पोषाहार वितरण होगा. माता-पिता की मासिक बैठक में बच्चों की स्वास्थ्य रिपोर्ट तैयार होगी. ताकि पोषण की निगरानी हो सके. हर बच्चे को एक जैसी ड्रेस मिलेगी. किट में किताब, कॉपी, खिलौना अन्य जरूरी सामान शामिल होंगे. इससे बच्चे खेल-खेल में सीखेंगे और स्कूल जैसा अनुशासन बनेगा. दीवारों पर फूल, फल, जानवर और पक्षियों की तस्वीरें बनाई जाएंगी. ताकि रंगीन माहौल से बच्चे आकर्षित होंगे. यह बदलाव आध्यात्मिक और शैक्षणिक अनुभव देंगे. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन ऐप के जरिए डिजिटलाइजेशन भी किया गया है. यह पहल बच्चों को शिक्षा और पोषण से जोड़ेगी. जिससे ग्रामीण इलाकों में ड्रॉपआउट रेट कम होगा. सरकार का मानना है कि रंगीन केंद्र और स्टडी किट से बच्चे पढ़ाई में रुचि लेंगे. हाल ही में बिहार सरकार ने आंगनबाड़ी वर्कर्स की सैलरी बढ़ाई जो इस योजना को आगे और मजबूत करेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है





