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FDI: इंफ्रास्ट्रक्चर बूम से बदलेगा खेल, 2026 में भारत बनेगा एफडीआई हॉटस्पॉट

Prabhat Khabar
27 Dec, 2025
FDI: इंफ्रास्ट्रक्चर बूम से बदलेगा खेल, 2026 में भारत बनेगा एफडीआई हॉटस्पॉट

FDI: मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, बड़े निवेश प्रस्तावों और कारोबारी सुगमता में सुधार के चलते 2026 में भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा केंद्र बन सकता है. एफडीआई नीति में सुधार, तेज मंजूरी प्रक्रियाएं और नए व्यापार समझौते भारत को निवेशकों के लिए आकर्षक बना रहे हैं. वित्त वर्ष 2024-25 में एफडीआई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है और सरकार को उम्मीद है कि 2026 में यह नया रिकॉर्ड बनाएगा.

FDI: भारत में बीते कुछ वर्षों में जिस तरह से सड़क, रेल, बंदरगाह, एयरपोर्ट और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हुआ है, उसने देश को वैश्विक निवेशकों के लिए और आकर्षक बना दिया है. मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे, बड़े निवेश प्रस्तावों और कारोबारी सुगमता में लगातार सुधार के चलते 2026 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में तेज वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है.

एफडीआई नीति में लगातार सुधार

भारत सरकार विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एफडीआई नीति की नियमित समीक्षा करती रही है. सरकार का उद्देश्य भारत को निवेशकों के लिए सुरक्षित, पारदर्शी और लाभकारी गंतव्य बनाना है. इसी दिशा में हितधारकों से व्यापक परामर्श के बाद समय-समय पर नीति में बदलाव किए जाते हैं, ताकि बदलते वैश्विक हालात के अनुरूप निवेश का माहौल बना रहे.

डीपीआईआईटी की सक्रिय भूमिका

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस वर्ष एफडीआई को बढ़ावा देने के तरीकों पर उद्योग जगत और अन्य हितधारकों के साथ कई बैठकें की हैं. इन बैठकों का मकसद निवेश प्रक्रियाओं में आने वाली अड़चनों की पहचान करना और उन्हें दूर करना रहा है, ताकि विदेशी कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना और आसान हो सके.

सरकार का फोकस: प्रक्रिया हो तेज और सरल

नवंबर में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी एफडीआई से जुड़ी प्रक्रियाओं को तेज, सरल और अधिक प्रभावी बनाने पर जोर दिया. सरकार का मानना है कि मंजूरी प्रक्रियाओं का सरलीकरण, अनुपालन बोझ में कमी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए पारदर्शिता बढ़ाने से निवेशकों का भरोसा मजबूत होता है.

निवेशकों को क्यों भा रहा है भारत

निवेशकों के अनुकूल नीतियां, मजबूत रिटर्न की संभावना, कुशल और युवा कार्यबल, उद्योग से जुड़े छोटे अपराधों का अपराधमुक्तिकरण और नियामकीय सुधार ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिनके चलते वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद विदेशी निवेशकों का रुझान भारत की ओर बना हुआ है. साथ ही, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नई जान फूंकी है.

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा एफडीआई

वित्त वर्ष 2024-25 में वैश्विक चुनौतियों के बीच भी भारत का कुल एफडीआई 80.5 अरब डॉलर से अधिक रहा है. जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच सकल विदेशी निवेश 60 अरब डॉलर के पार पहुंच चुका है. डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया के अनुसार, पिछले 11 वर्षों में सरकार के सुधारों के चलते भारत ने उल्लेखनीय निवेश आकर्षित किया है और 2026 में एफडीआई का आंकड़ा नए रिकॉर्ड बना सकता है.

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व्यापार समझौतों से मिलेगी नई ताकत

भारत को यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते से भी बड़ी उम्मीदें हैं. इस समझौते के तहत ईएफटीए देशों ने 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर के एफडीआई का वादा किया है. इसके लागू होते ही स्विट्जरलैंड की रोश फार्मा ने भारत में अगले पांच वर्षों में 1.5 अरब स्विस फ्रैंक के निवेश की घोषणा कर भरोसा जताया है. नीतिगत सुधार, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, बड़े व्यापार समझौते और बढ़ता वैश्विक भरोसा ये सभी संकेत देते हैं कि 2026 भारत के लिए एफडीआई के लिहाज से एक निर्णायक वर्ष साबित हो सकता है.

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