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साल के अंत में शेयर बाजार पड़ा ठंडा, सांता भी नहीं ला पाया रौनक

Prabhat Khabar
26 Dec, 2025
साल के अंत में शेयर बाजार पड़ा ठंडा, सांता भी नहीं ला पाया रौनक

Indian Stock Market 26 December 2025: शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार कमजोर शुरुआत के साथ खुला है, जहां सांता रैली की कमी, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कम ट्रेडिंग ने दबाव बनाया है.

Indian Stock Market 26 December 2025: भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार की शुरुआत कुछ खास उत्साह के साथ नहीं हुई है. आमतौर पर क्रिसमस के आसपास बाजार में तेजी देखने को मिलती है, जिसे “सांता रैली” कहा जाता है, लेकिन इस बार निवेशकों को यह नजारा देखने को नहीं मिला है. कमजोर ग्लोबल संकेतों, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और साल के आखिरी दिनों में कम ट्रेडिंग के चलते बाजार दबाव में नजर आया है.

क्या आज बाजार की शुरुआत निराशाजनक रही?

शुक्रवार को निफ्टी 50 और सेंसेक्स दोनों ही लाल निशान में खुले है. निफ्टी हल्की गिरावट के साथ 26,121 के आसपास पहुंचा है, जबकि सेंसेक्स में करीब 180 अंकों की कमजोरी दिखी है. यह गिरावट भले ही बहुत बड़ी न हो, लेकिन इससे यह साफ हो गया कि फिलहाल बाजार में तेजी का मूड नहीं है. खासकर विदेशी निवेशक लगातार शेयर बेच रहे हैं, जिसका सीधा असर बाजार की चाल पर पड़ रहा है.

सांता रैली क्यों नहीं दिख रही?

मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि साल के अंत में ट्रेडिंग वॉल्यूम कम हो जाते हैं और निवेशक बड़े दांव लगाने से बचते हैं. इसके अलावा पिछले कुछ दिनों से ज्यादातर सेक्टर्स में कमजोरी देखने को मिली है. ऐसे माहौल में यह उम्मीद कम ही है कि अचानक कोई बड़ी तेजी आए. इसलिए इस बार भारतीय बाजार “सांता रैली” से दूर नजर आ रहा है.

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आगे बाजार को सहारा कौन देगा?

भले ही अभी बाजार सुस्त दिख रहा हो, लेकिन आगे की तस्वीर पूरी तरह नकारात्मक नहीं है. एक्सपर्ट्स की नजर अब 2026 के बड़े फैक्टर्स पर है, जैसे यूनियन बजट, भारत के फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स और जनवरी में शुरू होने वाला नतीजों का सीजन. माना जा रहा है कि इन वजहों से आने वाले महीनों में बाजार में नई जान आ सकती है.

क्या युवाओं को अभी निवेश से डरना चाहिए?

विशेषज्ञों के मुताबिक, निफ्टी अब भी 26,000 के अहम स्तर के ऊपर बना हुआ है, जो एक सकारात्मक संकेत है. बाजार फिलहाल कंसोलिडेशन में है, यानी ठहराव के दौर से गुजर रहा है. ऐसे समय में घबराने के बजाय धैर्य रखना ज्यादा समझदारी हो सकती है. लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह समय सीखने और समझने का है, न कि जल्दबाजी में फैसले लेने का है.

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