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IIT ISM Dhanbad: आईआईटी धनबाद बना पहला संस्थान, जहां नहीं होगी अटेंडेंस से परीक्षा पर रोक

12/09/2025
IIT ISM Dhanbad: आईआईटी धनबाद बना पहला संस्थान, जहां नहीं होगी अटेंडेंस से परीक्षा पर रोक
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IIT ISM Dhanbad: आईआईटी आईएसएम धनबाद ने बड़ा बदलाव करते हुए 75% न्यूनतम उपस्थिति का नियम खत्म कर दिया है. अब अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी छात्र बिना अनिवार्य अटेंडेंस के परीक्षा दे सकेंगे. यह निर्णय 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा.

IIT ISM Dhanbad: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) आईएसएम धनबाद ने छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. संस्थान ने न्यूनतम उपस्थिति (75%) की बाध्यता को पूरी तरह खत्म कर दिया है. अब अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी छात्र कक्षा की उपस्थिति से जुड़ी किसी भी पेनाल्टी के बिना परीक्षा में शामिल हो सकेंगे. यह नियम 2025-26 शैक्षणिक सत्र से लागू होगा.

आईआईटी आईएसएम धनबाद देश का पहला आईआईटी बना है जिसने 75% अटेंडेंस के नियम को पूरी तरह समाप्त कर दिया है. लंबे समय से छात्र इस नियम में छूट की मांग कर रहे थे. संस्थान की सीनेट ने हाल ही में “नो मैंडेटरी अटेंडेंस पॉलिसी” को मंजूरी दे दी है.

अब बिना उपस्थिति भी होगी परीक्षा में अनुमति

जारी अधिसूचना के मुताबिक, अब छात्र चाहे जितनी भी कक्षाओं में उपस्थित हों, उन्हें पंजीकृत कोर्स की परीक्षा में बैठने की अनुमति होगी. पहले यदि छात्र 75% उपस्थिति पूरी नहीं करते थे तो उन्हें परीक्षा देने से रोका जा सकता था.

फिर भी दर्ज होगी उपस्थिति

हालांकि, संस्थान ने यह भी स्पष्ट किया है कि कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज करना जारी रहेगा. शिक्षक अपने शिक्षण सहायक (टीचिंग असिस्टेंट) की मदद से डिजिटल ऐप पर अटेंडेंस दर्ज करेंगे.

पीएचडी स्कॉलर्स को भी मिलेगी छूट

यह नीति पूर्णकालिक पीएचडी स्कॉलर्स पर भी लागू होगी. वे कोर्स वर्क में उपस्थिति की बाध्यता से मुक्त होंगे. हालांकि, फेलोशिप और असिस्टेंटशिप से जुड़ी जिम्मेदारियां पहले की तरह पूरी करनी होंगी. छात्रवृत्ति और स्टाइपेंड का वितरण विभागीय उपस्थिति नियमों से ही जुड़ा रहेगा.

होस्टलर्स पर भी निर्देश

संस्थान ने हॉस्टल में रहने वाले छात्रों को यह निर्देश दिया है कि यदि वे रात में हॉस्टल से बाहर रुकते हैं तो पहले से अपने वार्डन को लिखित सूचना दें.

छात्रों को मिली बड़ी राहत

छात्रों का कहना है कि यह निर्णय बेहद राहत देने वाला है. अब वे आत्म-निर्देशित पढ़ाई, रिसर्च और इंटर्नशिप पर अधिक ध्यान दे सकेंगे.

गौरतलब है कि हाल ही में यूजीसी सचिव मनीष जोशी ने भी संकेत दिया था कि उच्च शिक्षा संस्थानों में 75% उपस्थिति के नियम को लेकर लचीलापन लाया जा सकता है.

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