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मेनोपॉज पर बनी पहली फिल्म का पोस्टर रिलीज, 28 नवंबर को सिनेमाघरों में दिखेगी ‘मी नो पॉज मी प्ले’

20/10/2025
मेनोपॉज पर बनी पहली फिल्म का पोस्टर रिलीज, 28 नवंबर को सिनेमाघरों में दिखेगी ‘मी नो पॉज मी प्ले’
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Me No Pause Me Play Film: ‘मेनोपॉज’ जैसे विषय को पहली बार बड़े पर्दे पर दिखाया जा रहा है. अपकमिंग फिल्म ‘मी नो पॉज मी प्ले’ का पहला पोस्टर जारी हो गया है.  ‘मी नो पॉज मी प्ले’ 28 नवंबर, 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी. यह फिल्म प्रसिद्ध लेखक और फिल्म निर्माता मनोज कुमार शर्मा की लिखित किताब पर आधारित है. मनोज कुमार शर्मा ने ही फिल्म का निर्माण भी किया है.

Me No Pause Me Play Film: वर्ल्ड मेनोपॉज डे (18 अक्टूबर) पर डिजिफिल्मिंग और मिररो फिल्म्स की ओर से ‘मेनोपॉज’ जैसे विषय पर बेस्ड अपनी अपकमिंग फिल्म ‘मी नो पॉज मी प्ले’ का पहला पोस्टर जारी किया. यह शायद पहली बार हो रहा है जब ‘मेनोपॉज’ जैसे विषय को बड़े पर्दे पर दिखाया जाएगा. यह फिल्म मेनोपॉज पर भारत की यह पहली हिंदी फीचर फिल्म भी बन जाएगी. ‘मी नो पॉज मी प्ले’ महिला-केंद्रित कहानी कहने की दिशा में एक साहसिक कदम भी है. इसके जरिये निर्माता ने समाज से सदियों से मासिक धर्म को लेकर व्याप्त रूढ़िवादिता को तोड़ने, जागरूकता का प्रचार प्रसार करने के साथ महिलाओं की समझ और सहानुभूति को बढ़ावा देने की एक सफल कोशिश की है. बता दें कि उम्र और सीमाओं से परे नारीत्व का जश्न मनाने के साथ एक प्रेरणादायक सिनेमाई अनुभव होने का वादा करने वाली ‘मी नो पॉज मी प्ले’ 28 नवंबर, 2025 को रिलीज होगी.

मेनोपॉज के विषय पर गहराई से चर्चा

भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में यह पहली हिंदी फिल्म है, जो मेनोपॉज के विषय पर गहराई से चर्चा करती है, क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जिस पर समाज में बहुत कम बात की जाती है. इस फिल्म का उद्देश्य मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के झेले जाने वाले भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक संघर्षों पर प्रकाश डालना है, साथ ही सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ना और महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. ‘मी नो पॉज मी प्ले’ प्रसिद्ध लेखक और फिल्म निर्माता मनोज कुमार शर्मा की ओर से लिखित इसी नाम की प्रशंसित पुस्तक पर बेस्ड है. मनोज कुमार शर्मा ने ही इस फिल्म का निर्माण भी किया है. समर के. मुखर्जी द्वारा निर्देशित, शकील कुरैशी और मनोज कुमार शर्मा द्वारा पटकथा और संवाद लिखे गए हैं. फिल्म का छायांकन अकरम खान ने किया है.

मनोरंजन नहीं, यह फिल्म एक जागृति भी है- समर के. मुखर्जी

इसकी कहानी वास्तविक जीवन के अनुभवों से प्रेरित है और स्वीकृति, आत्म-खोज और सशक्तिकरण के इर्द-गिर्द सार्थक बातचीत शुरू करने का प्रयास करती है. फिल्म के उद्देश्य पर निर्देशक समर के. मुखर्जी ने कहा ‘मेनोपॉज को अक्सर एक महिला के जीवन का एक ‘खामोश अध्याय’ माना जाता है, जिसके बारे में लोग चर्चा करने से कतराते हैं. ‘मी नो पॉज मी प्ले’ के साथ हमारा उद्देश्य इस बातचीत को सामान्य बनाना, महिलाओं की भावनात्मक शक्ति का जश्न मनाना और उनके मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह फिल्म केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जागृति भी है.’

सशक्त महिलाओं की तस्वीर

इस फिल्म में काम्या पंजाबी के अलावा दीपशिखा नागपाल, सुधा चंद्रन, एमी मिसोब्बा भी दमदार मुख्य भूमिकाओं में हैं. ये सभी फिल्म में ऐसी महिलाओं का किरदार निभा रही हैं, जो ताकत, स्वीकृति और बदलाव की नई परिभाषा गढ़ने के साथ बदलाव और लचीलेपन के माध्यम से एक महिला के सफर के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं. साथ ही रूढ़िवादिता में जकड़े समाज से मासिक धर्म के बारे में चुप्पी की नहीं, बल्कि बेहतर और सुलझे हुए समझ की मांग भी करती हैं. इनके साथ ही फिल्म में मनोज कुमार शर्मा, करण छाबड़ा और अमन वर्मा भी अहम किरदारों में नजर आएंगे.

लीड रोल में हैं काम्या पंजाबी

लीड किरदार के रूप में एक अभूतपूर्व कहानी पर बनने वाली फिल्म का हिस्सा बनने से अभिनेत्री काम्या पंजाबी बेहद खुश हैं. अपनी खुशी को वह इन शब्दों में बयां करती हैं, ‘जब मैंने पहली बार फिल्म ‘मी नो पॉज मी प्ले’ की स्क्रिप्ट सुनी, तो मैं किस कदर इससे प्रभावित हुई, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती. दरअसल, महिलाओं के लिए मेनोपॉज एक ऐसी अवस्था है, जिसका अनुभव हर नारी अपने जीवन में अनिवार्य रूप से करती है, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि इसके बावजूद वह इसके बारे में शायद ही कभी खुलकर किसी से बात करती हो. ऐसे में मुझे एक ऐसी फिल्म का हिस्सा होने पर गर्व की अनुभूति हो रही है, जो बरसों की अनचाही चुप्पी को न केवल तोड़ती है, बल्कि महिलाओं को गर्व और आत्मविश्वास के साथ खुद को अपनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है. इस किरदार ने एक कलाकार के तौर पर मुझे भावनात्मक रूप से चैलेंज दिया, लेकिन इसने एक महिला होने के नाते मुझे कई मायनों में सजग, स्वस्थ और जागरूक भी किया.’

फिल्म के बारे में लेखक-निर्माता मनोज कुमार शर्मा कहते हैं, ‘मेनोपॉज एक महिला के जीवन की एक स्वाभाविक अवस्था, यानी चरण है, इसके बावजूद हमारे समाज में इसे अक्सर एक कलंक के रूप में देखा जाता है. इस फिल्म के जरिये हम मेनोपॉज के दौर में बदलाव के दौरान महिलाओं द्वारा प्रदर्शित भावनात्मक शक्ति के प्रति सहानुभूति ज्ञापित करने के साथ ही इसकी बेहतर समझ और भरपूर सम्मान लाना चाहते हैं.’

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Pritish Sahay

लेखक के बारे में

Pritish Sahay

Contributor

12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में सेवाएं दे रहा हूं. रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पढ़ाई की है. राजनीतिक, अंतरराष्ट्रीय विषयों के साथ-साथ विज्ञान और ब्रह्मांड विषयों पर रुचि है. बीते छह वर्षों से प्रभात खबर.कॉम के लिए काम कर रहा हूं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम करने के बाद डिजिटल जर्नलिज्म का अनुभव काफी अच्छा रहा है. और पढ़ें

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