Advertisement
Home/National/Rajendra Prasad: राजेंद्र बाबू के साथ इतिहास ने न्याय नहीं किया

Rajendra Prasad: राजेंद्र बाबू के साथ इतिहास ने न्याय नहीं किया

Rajendra Prasad: राजेंद्र बाबू के साथ इतिहास ने न्याय नहीं किया
Advertisement

आकाशवाणी के प्रतिष्ठित ‘ डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यानमाला’ में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि राजेंद्र बाबू गांधी के जेनुइन उत्तराधिकारी थे और भारतीय ऋषि परंपरा के दुर्लभ नेता.

Rajendra Prasad: डॉ राजेंद्र प्रसाद गांधी के जेनुइन उत्तराधिकारी थे. वह भारतीय ऋषि परंपरा के दुर्लभ नेता थे. उन्होंने अपने वकालत के पेशे में यश-वैभव और धनार्जन की तमाम संभावनाओं को छोड़ देश सेवा को अपनाया था. आजीवन ईमानदारी और कर्मठता के प्रतीक बने रहे. पर, इतिहास लेखन में उनके साथ न्याय नहीं हुआ. उनके संपूर्ण व्यक्तित्व-कृतित्व से देशवासी अवगत नहीं हो सके या कहिए कि अवगत नहीं कराया गया. उक्त बातें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने शुक्रवार को आकाशवाणी दिल्ली के रंग भवन सभागार में आयोजित प्रतिष्ठित ‘डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यानमाला’ के विषय “वैश्विक क्षितिज पर भारत की बढ़ती भूमिका” विषय पर बोलते हुए कही. राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व, उनके द्वारा स्थापित मूल्य और राष्ट्र के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने के स्वभाव ही उन्हें अलग स्थान देता है.

अपने व्याख्यान में हरिवंश ने कहा, डॉ राजेंद्र प्रसाद जिस भी भूमिका में रहे, उन्होंने अपने आपको स्थापित किया. उन्होंने 1984 में आयोजित डॉ. राजेन्द्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान में डॉ. हरिवंश राय बच्चन के एक वाक़िए के हवाले से कहा कि हम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के योगदान का उचित मूल्यांकन नहीं कर सके. उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा अपनी पत्नी को लिखे एक संवेदनशील पत्र का भी हवाला दिया. साथ ही उनसे जुड़े तमाम रोचक, प्रासंगिक और आज उसकी जरूरत किस प्रकार से है, उस पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला.

राष्ट्रपति होते हुए भी एक कर्मयोगी की तरह रहे

हरिवंश ने इस बात का उल्लेख किया कि उन्हें राष्ट्रपति बनने से रोकने के लिए कई लोगों ने किस प्रकार की भूमिका निभाई. वह राष्ट्रपति होते हुए भी एक कर्म योगी की तरह रहे. वह चौकी पर सोते थे. जब पहली बार राष्ट्रपति भवन के सोफे पर उन्होंने हाथ रखा, तो सोफो अंदर की तरफ धंस गया, तब राजेंद्र बाबू ने कहा कि इस पर बैठने वाला व्यक्ति घी के बर्तन में कटोरे की तरह होगा, यानी वह घी के अंदर डूब जायेगा. राजेंद्र प्रसाद के व्यक्तित्व, उनके द्वारा स्थापित मूल्य और राष्ट्र के लिए सब कुछ कुर्बान कर देने के स्वभाव ही उन्हें अलग स्थान देता है. डॉ राजेंद्र प्रसाद उन बिरले लोगों में थे, जो राष्ट्रपति पद से हटने के बाद सीधे पटना के सदाकत आश्रम में रहें.

जब उनका समय निकट आया, तो वह अपने जर्जर घर में चले गये. चीन के युद्ध के समय उन्होंने अपनी पत्नी का जेबर राष्ट्र काे समर्पित कर दिया था. देश को उन्होंने बहुत कुछ दिया कि हमलोगों ने उनके साथ न्याय नहीं किया है. यदि उनके विचारों को मानते हुए आज भी देश की युवा पीढ़ी उस रास्ते पर चलें, तो आज भारत में ऐसी संभावना है कि वह उनके सपने को साकार कर सकता है. उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद के आम जीवन से जुड़े अनेक रोचक प्रसंगों का उल्लेख भी इस व्याख्यान में किया.

आज भारत वैश्विक स्तर पर निर्णायक भूमिका में

उपसभापति ने ‘वैश्विक क्षितिज पर भारत की बढ़ती भूमिका’ पर विशेष व्याख्यान देते हुए कहा कि जिस भारत को पश्चिमी देशों की मीडिया और विशेषज्ञों ने संपेरों का देश, आर्थिक तौर पर विपन्न या जड़ हो चुका देश कहा और भविष्यवाणी की कि यह देश आगे नहीं बढ़ सकता, वही भारत आज वैश्विक स्तर पर एक ताकत बनकर निर्णायक भूमिका में है. आर्थिक तौर पर दुनिया में पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. आज दुनिया के लोग भारत को भविष्य की उम्मीद की किरण मान रहे हैं. सिर्फ आर्थिक रूप में नहीं बल्कि सांस्कृतिक तौर पर भी भारत दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है.

हरिवंश ने कहा कि यह काम बहुत पहले होता तो आज देश की स्थिति अलग होती. पर, अतीत में भारत में समग्र प्रयास नहीं हुए. लेकिन डॉ राजेंद्र प्रसाद की कुर्बानी अब फलीभूत हो रही है. हमने विगत दशक में प्रगति के नये आसमान तय कर लिए हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, सूचना, संचार, बिजली, रेल, योग, आयुर्वेद, सिनेमा, पर्यटन और फार्मेसी के क्षेत्र में हमने उतरोतर प्रगति की है. उन्होंने 165 देशों द्वारा भारतीय योग और आयुर्वेद को अपनाएं जाने का तथ्यात्मक उल्लेख किया. कोरोना काल में विश्व के अनेक देशों को भारतीय सहयोग के सकारात्मक प्रतिफल का भी उल्लेख किया.

आकाशवाणी करता है व्याख्यानमाला का आयोजन

आकाशवाणी का यह प्रतिष्ठित सालाना व्याख्यान, जिसका प्रसारण हर साल डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्म जयंती पर तीन दिसंबर को आकाशवाणी के सभी माध्यमों व केंद्रों से होता है. इस स्मृति व्याख्यान श्रृंखला में अध्ययन, अनुभव, लोकज्ञान, पहचान, विद्वता वगैरह की दृष्टि से अपने समय की आवाज, पहचान व द्रष्टा रहे 50 लोगों के व्याख्यान इसके पूर्व हो चुके हैं.1969 से निरंतर आकाशवाणी डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान का आयोजन करता आ रहा है. प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री गौरव द्विवेदी ने कहा कि डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मारक व्याख्यान आकाशवाणी का बहुत ही लोकप्रिय कार्यक्रम है. पिछले माह सरदार पटेल स्मारक व्याख्यान का आयोजन किया था, जिसे महान वैज्ञानिक और इसरो के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ ने अपने शब्दों और अनुभव से सजाया था.

आकाशवाणी की महानिदेशक डॉक्टर प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने व्याख्यान की पृष्ठभूमि को विस्तार से बताया. इस कार्यक्रम में बलिया के लोकसभा सांसद श्री सनातन पांडेय समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे. यह व्याख्यान डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, अज्ञेय, विष्णु प्रभाकर, हरिवंशराय बच्चन, सुंदर लाल बहुगुणा, डॉ शंकर दयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेई, डॉ कर्ण सिंह, योगी आदित्यनाथ, डॉ विद्यानिवास मिश्र, भीष्म साहनी, डॉ नामवर सिंह जैसे मनीषियों-चिंतकों, राजनेताओं ने इस व्याख्यानमाला को पूर्व में संबोधित किया है.

Anjani Kumar Singh

लेखक के बारे में

Anjani Kumar Singh

Contributor

Anjani Kumar Singh is a contributor at Prabhat Khabar. और पढ़ें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store
Advertisement
Sponsored Linksby Taboola
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement