SIR in Bengal : सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में बीएलओ को धमकाने तथा विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के काम में बाधा उत्पन्न करने के मामले को गंभीरता से लिया. कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से मतदाता सूची के एसआईआर कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सहयोग न करने को गंभीरता से लेने को कहा है.
अगर स्थिति बिगड़ती है तो…, जानें कोर्ट ने क्या कहा
भारत के प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आयोग से मतदाता सूची की एसआईआर प्रक्रिया के कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सहयोग की कमी को गंभीरता से लेने को कहा. पीठ ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि बीएलओ के काम में सहयोग की कमी और बाधाओं के मामले हमारे संज्ञान में लाएं, हम उचित आदेश पारित करेंगे. द्विवेदी ने कहा कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो आयोग के पास राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पुलिस को अपने अधीन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.
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न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू होने तक पुलिस को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं ले सकता.
स्थिति से निपटें, नहीं तो अराजकता फैल जाएगी : न्यायमूर्ति कांत
द्विवेदी ने कहा कि आयोग के पास बीएलओ और एसआईआर कार्य में जुटे अन्य अधिकारियों को धमकाने की घटनाओं से निपटने के लिए सभी संवैधानिक अधिकार हैं. न्यायमूर्ति कांत ने द्विवेदी से कहा कि स्थिति से निपटें, नहीं तो अराजकता फैल जाएगी. उन्होंने स्थिति को ‘‘बेहद गंभीर’’ बताया. द्विवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में तनाव के कारण बीएलओ द्वारा आत्महत्या करने का कोई सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उन्हें 30-35 मतदाताओं वाले छह-सात घरों की गणना का काम करना होता है.
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि यह बैठा-बिठाया काम नहीं है और बीएलओ को घर-घर जाकर गणना फॉर्म भरना होता है और फिर उसे अपलोड करना होता है. न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि यह जितना दिखता है, उतना आसान नहीं है.
एसआईआर के काम में जुटे अधिकारियों के खिलाफ हिंसा एवं धमकियां का आरोप
सनातनी संसद और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरि ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने बीएलओ और एसआईआर कार्य में जुटे अन्य अधिकारियों के खिलाफ हिंसा एवं धमकियां का आरोप लगाया और आयोग को उनकी सुरक्षा के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया.







