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विमानन क्षेत्र में एक कंपनी का एकाधिकार ठीक नहीं

विमानन क्षेत्र में एक कंपनी का एकाधिकार ठीक नहीं
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Indigo crisis : सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान स्थिति बिगड़ गयी. इससे देश की छवि खराब हुई है. इंडिगो ने क्या जानबूझ कर यह स्थिति पैदा की? वह नियमों का अनुपालन करने वाली कंपनी रही है, पर पता नहीं, इस बार उसने ऐसा क्यों किया.

एसके मिश्रा
(पूर्व निदेशक और पूर्व प्रमुख, ऑपरेशन्स
इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट
नयी दिल्ली)

Indigo crisis : पिछले कई दिनों से राजधानी दिल्ली समेत देश की दूसरी जगहों में हवाई अड्डों पर हजारों यात्री जिस तरह परेशान हैं, वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो का पूरा सिस्टम बैठ गया और हवाई अड्डों पर अफरातफरी मच गयी. इस परेशानी से 10 लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित हुए हैं. शुक्रवार को इंडिगो की एक हजार से ज्यादा, तो शनिवार को आठ सौ से अधिक उड़ानें रद्द हुईं. इस स्थिति से बचा जा सकता था.

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान स्थिति बिगड़ गयी. इससे देश की छवि खराब हुई है. इंडिगो ने क्या जानबूझ कर यह स्थिति पैदा की? वह नियमों का अनुपालन करने वाली कंपनी रही है, पर पता नहीं, इस बार उसने ऐसा क्यों किया. उसे शायद लगा होगा कि घरेलू विमानन क्षेत्र की सबसे बड़ी एयरलाइन होने के कारण वह मनमानी कर सकती है, तथा डीजीसीए (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) और सरकार को झुका सकती है. इंडिगो के इस लापरवाह रवैये के निहितार्थ भीषण हो सकते हैं और सरकार सख्त कदम उठा सकती है. इंडिगो के सीइओ को दिया गया नोटिस इसी के बारे में बताता है.


पायलटों की समस्याएं काफी हैं. इससे राहत देने के लिए डीजीसीए ने आठ घंटे ड्यूटी तथा दो लैंडिंग का नया नियम तय किया था. पायलटों के लिए टेकऑफ तथा लैंडिंग का काम बहुत चुनौती भरा होता है. दो लैंडिंग में तीन घंटे भी लगे, तो काम के कुल ग्यारह घंटे हो जाते हैं. फिर घर जाने-आने का भी समय जोड़ लें, तो एक पायलट बारह-तेरह घंटे काम करता है. इसी को देखते हुए डीजीसीए ने पायलटों के आराम के नये नियम-यानी एफटीडीएल की शुरुआत की थी. इसके तहत मुख्य बदलाव एक नवंबर से लागू हुए थे. ये बदलाव हैं-हर पायलट को हर सप्ताह 48 घंटे का आराम, जो पहले 36 घंटे था. इसे किसी दूसरी छुट्टी से नहीं बदला जा सकता. इसके अलावा रात की ड्यूटी का समय बदला-अब रात 12 बजे से सुबह छह बजे की ड्यूटी रात की ड्यूटी है. रात में अब पायलटों को दो लैंडिग की ही इजाजत है, जबकि पहले छह लैंडिंग की इजाजत थी. लगातार दो रात से ज्यादा ड्यूटी नहीं लग सकती. लंबी उड़ानों के बाद 24 घंटे का आराम भी अनिवार्य है. पर इंडिगो के संकट के बाद डीजीसीए ने प्रति सप्ताह 48 घंटे आराम करने वाले सख्त नियम को फिलहाल वापस ले लिया है.


साफ है कि इंडिगो को मुख्य दिक्कत एफटीडीएल-यानी फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन नियमों के कारण आय. कंपनी ने पहले से पर्याप्त तैयारी नहीं की थी. उसकी क्रू प्लानिंग तथा रोस्टरिंग कमजोर थी. इसका असर विमान सेवाओं पर पड़ा, जिसकी जिम्मेदारी एयरलाइन की है. इंडिगो ने कहा है कि वह आने वाले दिनों में नये क्रू की भर्ती करेगी, ताकि नियमों का पालन हो सके. इस स्थिति को देखते हुए और हवाई सेवाओं को सामान्य बनाने के लिए डीजीसीए ने सार्वजनिक हित में एक बार के लिए अस्थायी छूट देने का फैसला किया. जाहिर है कि इस स्थिति के लिए सिर्फ इंडिगो जिम्मेदार है.

उसे लगा होगा कि एफटीडीएल के नये नियम लागू होने पर भी अपने मौजूदा पायलटों और क्रू की संख्या से वह काम चला लेगी, पर ऐसा नहीं हुआ. नये नियमों के हिसाब से इंडिगो को और पायलटों की आवश्यकता थी, लेकिन उसने समय रहते भर्ती नहीं की. इंडिगो के बेड़े में 400 से अधिक विमान हैं. इस नाते उसे ध्यान रखना चाहिए था, जो कि उसने नहीं रखा. उसकी गलती यहीं तक सीमित नहीं है. नवंबर के अंत में जब उसे लगा था कि उसका सिस्टम गड़बड़ाने लगा है, तब उसे कंट्रोल रूम की क्षमता बढ़ानी चाहिए थी, ताकि ऐसी हालत पैदा होने पर यात्रियों को रियल टाइम जानकारी दी जाती. उससे यात्री घर बैठे ही यह जान पाते कि उनकी उड़ानों की क्या स्थिति है. यात्रियों की परेशानी इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उन्हें अपनी उड़ानों के बारे में सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई. सवाल है कि इंडिगो को एयरलाइन चलानी है या नहीं.


इस पूरे प्रसंग में डीजीसीए की भूमिका पर भी ध्यान देने की जरूरत है. क्या उसे सचमुच इंडिगो की जमीनी स्थिति की जानकारी नहीं थी? एफटीडीएल नियम लागू होने से पहले इसके लिए कई महीनों की एक्सरसाइज की गयी. सभी एयरलाइंस को इसकी पहले से जानकारी थी. डीजीसीए को चाहिए था कि नियम लागू करने से पहले वह सभी एयरलाइंस की बैठक करता, जिसमें उनकी उड़ानों के शेड्यूल के हिसाब से उनसे पायलट और अन्य क्रू मेंबर की संख्या ली जाती. इससे पहले ही पता लग जाता कि नये नियम लागू होने के बाद कितने पायलटों की कमी हो सकती है. इंडिगो की गलती तो बड़ी है ही, उस पर डीजीसीए के रवैये ने भी पायलटों को क्षुब्ध कर दिया है. मौजूदा प्रसंग से दो बातों पर ध्यान देने की जरूरत बढ़ी है. एक तो यह कि विमानन क्षेत्र में किसी एक कंपनी का एकाधिकार ठीक नहीं. इसके अलावा इस संकट ने देश में प्रशिक्षित पायलटों की कमी को भी उजागर किया है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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