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Bajrang Baan Path: बजरंग बाण पाठ से पहले जान लें आवश्यक सावधानियां और आध्यात्मिक नियम

11/12/2025
Bajrang Baan Path: बजरंग बाण पाठ से पहले जान लें आवश्यक सावधानियां और आध्यात्मिक नियम
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Bajrang Baan Path: बजरंग बाण का पाठ अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है, लेकिन इसका जप शुरू करने से पहले कुछ सावधानियां और आध्यात्मिक नियम जानना बेहद जरूरी है. गलत भावना, अशुद्ध उच्चारण या अनुशासनहीनता साधना के प्रभाव को प्रभावित कर सकती है. सही नियमों के साथ किया गया पाठ ही हनुमान जी की कृपा दिलाता है.

Bajrang Baan Path: बजरंग बाण का पाठ अत्यंत प्रभावशाली माना गया है. किसी विशेष इच्छा या कामना की पूर्ति के लिए इसका 41 दिन तक नियमित पाठ अत्यधिक शुभ फल देता है. लेकिन इस साधना के दौरान सावधानियां बेहद आवश्यक हैं, क्योंकि देवशक्ति न्यायप्रिय होती है और गलती की स्थिति में आह्वान करना साधक के लिए कठिनाई खड़ी कर सकता है.

पूजा की शुद्धता और सही भावना जरूरी

हनुमान जी और माता भगवती की पूजा में शुद्धता और संयम अत्यंत महत्वपूर्ण है. सुंदरकांड के साथ बजरंग बाण का पाठ इसका प्रभाव और भी बढ़ा देता है. पाठ करते समय उच्चारण शुद्ध रखें और मन में बदले या किसी को हानि पहुंचाने की भावना न रखें. प्रार्थना शत्रु नहीं, शत्रुता समाप्त करने की होनी चाहिए.

गलती हो जाए तो क्या करें?

यदि आपकी ओर से कोई त्रुटि हुई है, तो ईमानदारी से स्वीकार करें, पश्चाताप करें और उसे दोबारा न करने का संकल्प लें. ऐसे संकल्प के बाद गलती दोहराना साधक को आध्यात्मिक रूप से कठोर परिणाम दे सकता है.

हनुमान जी का दिव्य संरक्षण

अंत में विश्वास रखें—बाबा हनुमान अपने भक्तों की रक्षा और मार्गदर्शन स्वयं करते हैं. उनकी कृपा से बाधाएं दूर होती हैं और मार्ग स्पष्ट होता है.

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बजरंग बाण

” दोहा “

“निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।”
“तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”

“चौपाई”

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।

अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

“दोहा”

” प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। “
” तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। “

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Shaurya Punj

लेखक के बारे में

Shaurya Punj

Contributor

रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected] और पढ़ें

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