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Pradosh Vrat Shiv Ji ki Arti: प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें महादेव की आरती, खुशियां चलकर आएंगी आपके घर

Prabhat Khabar
17 Dec, 2025
Pradosh Vrat Shiv Ji ki Arti: प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें महादेव की आरती, खुशियां चलकर आएंगी आपके घर

Pradosh Vrat Shiv Ji ki Arti: प्रदोष व्रत के दिन महादेव की आरती करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इससे भक्तों के जीवन से सारे कष्ट दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. महादेव की पूजा आरती के बिना अधूरी मानी जाती है. इसलिए इस दिन अवश्य महादेव की आरती करें.

Pradosh Vrat Shiv Ji ki Arti: प्रदोष व्रत सनातन धर्म के सबसे पवित्र व्रतों में से एक है. इस दिन देवों के देव महादेव की आराधना की जाती है. एक साल में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. मन से नकारात्मक विचार, डर और भय दूर होते हैं और खुशहाली आती है. महादेव की पूजा आरती पाठ के साथ पूर्ण की जाती है. आरती के पाठ से मन को शांति मिलती है और पूजा सफल मानी जाती है.

भगवान शिव आरती लिरिक्स हिंदी में (Shiv Aarti Lyrics in Hindi)

ॐ जय शिव ओंकारा,

स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

एकानन चतुरानन

पंचानन राजे ।

हंसासन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

दो भुज चार चतुर्भुज

दसभुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूप निरखते

त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

अक्षमाला वनमाला,

मुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद चंदा,

सोहे त्रिपुरारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर

बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक

भूतादिक संगे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

कर के मध्य कमंडल

चक्र त्रिशूलधारी ।

सुखकारी दुखहारी

जगपालन कारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव

जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर में शोभित

ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति

जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी

सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

लक्ष्मी व सावित्री

पार्वती संगा ।

पार्वती अर्द्धांगी,

शिवलहरी गंगा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

पर्वत सोहैं पार्वती,

शंकर कैलासा ।

भांग धतूर का भोजन,

भस्मी में वासा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

जटा में गंग बहत है,

गल मुण्डन माला ।

शेष नाग लिपटावत,

ओढ़त मृगछाला ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,

नंदी ब्रह्मचारी ।

नित उठ दर्शन पावत,

महिमा अति भारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

ॐ जय शिव ओंकारा,

स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा…॥

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

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