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Vat Savitri Vrat 2025: चूड़ियों का ये रहस्य वट सावित्री व्रत को बनाता है खास, जानिए क्यों है ये परंपरा शुभ

Prabhat Khabar
24 May, 2025
Vat Savitri Vrat 2025: चूड़ियों का ये रहस्य वट सावित्री व्रत को बनाता है खास, जानिए क्यों है ये परंपरा शुभ

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत केवल एक उपवास नहीं बल्कि एक भावना है नारी शक्ति, संकल्प और समर्पण की. इस दिन विवाहित महिलाएं पारंपरिक साज-श्रृंगार करती हैं, जिनमें चूड़ियों का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि चूड़ियों की खनक से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सौभाग्य व शांति का संचार होता है. यह परंपरा न केवल सुहाग के प्रतीक के रूप में देखी जाती है, बल्कि यह प्रेम, विश्वास और पारिवारिक समर्पण का एक सुंदर संकेत भी है.

Vat Savitri Vrat 2025: विवाहित स्त्रियों के जीवन में कुछ पर्व ऐसे होते हैं जो न सिर्फ धार्मिक परंपरा से जुड़े होते हैं, बल्कि उनके मन, भावना और परिवार के प्रति प्रेम व समर्पण को भी दर्शाते हैं. ऐसा ही एक पर्व है वट सावित्री व्रत, जो हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस व्रत में जहां पूजा और कथा का विशेष महत्व है, वहीं चूड़ियां पहनने की परंपरा भी इसे और खास बनाती है.

वट सावित्री व्रत 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

वेदिक पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत 2025 में 26 मई को मनाया जाएगा. इस दिन ज्येष्ठ अमावस्या है, जो 26 मई को रात 12:11 बजे शुरू होकर 27 मई को सुबह 08:31 बजे तक चलेगी. चूंकि अमावस्या की तिथि रात्रि में आरंभ हो रही है, इसलिए शास्त्रों के अनुसार व्रत 26 मई को ही रखा जाएगा. खास बात यह है कि इस बार वट सावित्री व्रत सोमवार को पड़ रहा है, जिससे इसका पुण्यफल और भी अधिक बढ़ जाता है.

वट सावित्री व्रत पर चूड़ियां पहनना क्यों है शुभ?

भारतीय संस्कृति में चूड़ियां केवल सजावट नहीं, बल्कि सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं. वट सावित्री व्रत पर जब महिलाएं व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं, तो उनका पारंपरिक श्रृंगार भी पूजा का एक हिस्सा होता है. इनमें सबसे खास मानी जाती हैं चूड़ियां, जो इस दिन विशेष रूप से कांच की पहनी जाती हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चूड़ियों की खनक से घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मकता का वास होता है. खासकर लाल, हरी और पीली चूड़ियां ऊर्जा, समर्पण और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती हैं.

वट सावित्री की पौराणिक कथा में सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज से तक भिड़ जाती हैं. यह व्रत नारी शक्ति, प्रेम और त्याग का प्रतीक है और चूड़ियां इस भावना की सुंदर झलक देती हैं. चूड़ियों को पहनते समय स्त्रियों के मन में जो भावना होती है वह उनके व्रत, श्रद्धा और अपने परिवार के लिए समर्पण को दर्शाती है.

कई स्थानों पर इस दिन महिलाएं व्रत के बाद एक-दूसरे को चूड़ियां भेंट भी करती हैं. यह परंपरा आपसी सौहार्द और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है, जो नारी एकता और प्रेम को और भी मजबूत बनाती है.

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