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Bihar News: नदी और नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक, फिर भी एसटीपी तैयार करने में छह बार टारगेट फेल

Prabhat Khabar
1 Apr, 2025
Bihar News: नदी और नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा अधिक, फिर भी एसटीपी तैयार करने में छह बार टारगेट फेल

Bihar News: भागलपुर शहर में 43 नाले बहते हैं. नदी और नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा बहुत अधिक रहता है. फिर भी एसटीपी तैयार करने का छह महीने में छह बार टारगेट फेल हुआ है. अब इसे पूरा करने की नयी डेडलाइन अप्रैल 2025 है. इस योजना पर अब तक 20.95 करोड़ खर्च हो चुका है.

संजीव झा/ Bihar News: भागलपुर शहर में 43 नाले बहते हैं. यह गंगा, जमुनिया व चंपा नदी के तट पर बसा हुआ है. दूसरी ओर एक अध्ययन से पता चला है कि नदी व नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर का खतरा बहुत अधिक रहता है. बावजूद इसके नदियों को साफ रखने के लिए के लिए इस शहर में पिछले चार वर्षों से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का चल रहा निर्माण अभी तक पूरा नहीं हो सका है. सिर्फ पिछले छह महीने में निर्माण की स्थिति देखें, तो छह बार निर्माण करने का टारगेट फेल हो चुका है. अब तक इस योजना पर 120.95 करोड़ खर्च हो चुका है. फरवरी 2025 की प्रगति रिपोर्ट के अनुसार अब इसे पूरा करने की नयी डेडलाइन अप्रैल 2025 है. पूरी संभावना है कि अंडर प्रोग्रेस इस प्लांट की यह नयी डेडलाइन भी फेल कर जायेगी.

क्या कहता है अध्ययन

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय मंत्रालय ने गत 11 मार्च को एक प्रेस रिलीज जारी की थी. इसमें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) का हवाला दिया गया है. वर्ष 2024 में किये गये एक अध्ययन और भारतीय विज्ञान अकादमी में मानव स्वास्थ्य जोखिम मूल्यांकन पर प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि नदी व नालों के पास रहने वाले लोगों में कैंसर रोग का खतरा बहुत अधिक है. जोखिम, गुणांक सीमा से ऊपर देखा गया है. यह उच्च गैर-कैंसरजन्य जोखिम पैदा करता है.

अब तक 89 प्रतिशत काम पूरा

45 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण साहेबगंज में कराया जा रहा है. काम अभी तक में 89 फीसदी ही पूरा हुआ है. यह 413.29 करोड़ राशि की स्वीकृत प्रोजेक्ट पर 385.09 करोड़ रुपये से निर्माण हो रहा है. शहरी क्षेत्र के छोटे-बड़े नालों का पानी गंगा में सीधे प्रवाहित होता है. गंगा में गिरने वाले नाले के मुहाने को मोड़ा जायेगा. 43 नालों को 10 पंपिंग स्टेशन में पहुंचाने की योजना पर काम होना है. पंपिंग स्टेशन से नाले का पानी एसटीपी में जायेगा, जहां इसकी सफाई की जायेगी और फिर गंगा में छोड़ा जायेगा.

यह भी है प्लांट में बाधक

गंगा को निर्मल करने की सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण की योजना को लेकर बूढ़ानाथ से बरारी के बीच पांच पंपिंग स्टेशन के निर्माण कार्य पर रोक अबतक हटी नहीं है. डॉल्फिन इको सेंसेटिव जोन बता कर और पर्यावरण मंजूरी लिये बिना ही काम शुरू करने के कारण यह रोक वन विभाग ने लगा रखी है. शहर में 10 पंपिंग स्टेशन का निर्माण होना है. लेकिन, अब बाकी के पांच पंपिंग स्टेशन को लेकर ही इस योजना को पूरी की जायेगी.

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