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Bihar News: लौरिया चीनी मिल घोटाला में 25 साल बाद आया फैसला, उप प्रबंधक समेत छह को जेल

19/12/2025
Bihar News: लौरिया चीनी मिल घोटाला में 25 साल बाद आया फैसला, उप प्रबंधक समेत छह को जेल
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Bihar News: अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभारी विशेष लोक अभियोजक ने कोर्ट में छह गवाहों को पेश किया, जिनके बयानों और साक्ष्यों के आधार पर साढ़े तीन दशक पुराने इस मामले में दोषियों को सजा मुकम्मल हुई.

Bihar News: मुजफ्फरपुर. बेतिया स्थित बिहार स्टेट शुगर कॉरपोरेशन लिमिटेड (लौरिया चीनी मिल) में हुए चर्चित चीनी घोटाला मामले में गुरुवार को विशेष कोर्ट निगरानी (उत्तर बिहार) ने बड़ा फैसला सुनाया है. न्यायाधीश दशरथ मिश्र ने मिल के तत्कालीन उप प्रबंधक और प्रशासन प्रमुख समेत छह दोषियों को कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है. हालांकि, सजा सुनाए जाने के बाद कोर्ट ने सभी दोषियों को हाईकोर्ट में अपील करने के लिए पीआर बांड पर छोड़ने का आदेश दिया.

किसे कितनी मिली सजा

प्रभारी विशेष लोक अभियोजक कृष्ण देव साह के अनुसार, दोषियों को दो श्रेणियों में सजा सुनाई गई है:

2 वर्ष का कारावास व 10-10 हजार जुर्माना

  • उमेश प्रसाद सिंह (तत्कालीन विशेष सहायक/उप प्रबंधक, लखीसराय)
  • नंद कुमार सिंह (प्रशासन प्रमुख, भोजपुर).

3 वर्ष का कारावास व 25-25 हजार जुर्माना

  • सुशील कुमार श्रीवास्तव (पूर्वी चंपारण)
  • लालबाबु प्रसाद (सुगरकेन लिपिक, बेतिया)
  • धीरेंद्र झा (चीनी बिक्री प्रभारी, मधुबनी)
  • अजय कुमार श्रीवास्तव (लेखा पदाधिकारी, गोपालगंज).

फर्जी कंपनी के नाम पर 997 बोरा चीनी का गबन

यह पूरा मामला सितंबर 1990 का है. निगरानी विभाग की जांच में खुलासा हुआ था कि आरोपियों ने साजिश के तहत फर्जी खरीदारों के नाम पर 997 बोरा चीनी का गबन किया था. कागजों पर चीनी की बिक्री मुजफ्फरपुर की ‘मेसर्स गोपाल ट्रेड कंपनी’ (797 बोरा) और बेतिया की ‘मेसर्स लोकनाथ’ (200 बोरा) को 8.88 लाख रुपये में दिखाई गई थी. जांच में पाया गया कि गोपाल ट्रेड नाम की किसी कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था.

निगरानी ने 2000 में दर्ज की थी प्राथमिकी

इस घोटाले को लेकर निगरानी के डीएसपी ने 28 फरवरी 2000 को प्राथमिकी दर्ज की थी. इसमें मिल के तत्कालीन महाप्रबंधक एचबीएन सिंह समेत अन्य को नामजद किया गया था. अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभारी विशेष लोक अभियोजक ने कोर्ट में छह गवाहों को पेश किया, जिनके बयानों और साक्ष्यों के आधार पर साढ़े तीन दशक पुराने इस मामले में दोषियों को सजा मुकम्मल हुई.

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Ashish Jha

लेखक के बारे में

Ashish Jha

Contributor

डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत. और पढ़ें

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