डुमरांव. केंद्र सरकार की अधिकृत एजेंसी अल्फाजियो इंडिया लिमिटेड द्वारा अनुमंडल कई गांवों में गंगा किनारे स्थित इलाकों में तेल और गैस की संभावनाओं को लेकर बड़े पैमाने पर अन्वेषण कार्य शुरू कर दिया गया है. हैदराबाद मुख्यालय वाली इस एजेंसी ने प्रारंभिक अध्ययन के बाद सिमरी अंचल के 30 गांवों को चिह्नित किया है, जहां हाइड्रोकार्बन भंडार होने की संभावना जतायी गयी है. यह खोज मिशन अन्वेषण योजना के अंतर्गत संचालित की जा रही है, जिसे आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिहाज से राज्य और देश के लिए अहम माना जा रहा है. एजेंसी ने परियोजना के पहले चरण में 2डी सिस्मिक सर्वे कार्य शुरू कर दिया है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों की मदद से जमीन के नीचे मौजूद संरचनाओं का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जायेगा. इस कार्य को देखने के लिए क्षेत्र में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. चयनित गांवों में सिंहनपुरा, बरवत्तरा, केशोपुर, मानिकपुर, पुरंदरपुर, राजपुर कला, लक्ष्मीपुर, नागपुरा, डुमरी, चुनीटाड़, गोप भरौली, पैगंबरपुर, खरगपुर, नारायणपुर विसेन, सईहार भागर, रानीपट्टी, रामपुर, दुबौली महेश, नया सिंहनपुरा, कठार, सरंगा, सिमरी सहित अन्य गांव शामिल हैं. इन गांवों में तेल और गैस की उपलब्धता को लेकर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे और मूल्यांकन किया जायेगा. इस संबंध में अल्फाजियो इंडिया लिमिटेड के पार्टी चीफ क्रू-2 सी रामकृपाल ने जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, अंचलाधिकारी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र भेजकर सर्वे कार्य के दौरान प्रशासनिक सहयोग की मांग की है. पत्र में स्पष्ट किया गया है कि सर्वे कार्य पूरी तरह सुरक्षित, वैज्ञानिक मानकों और पर्यावरणीय नियमों के अनुरूप किया जायेगा, जिससे आम जनजीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े. कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि यह परियोजना राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए घरेलू तेल और गैस संसाधनों की खोज आवश्यक हो गयी है. यदि इस क्षेत्र में व्यावसायिक स्तर पर भंडार मिलते हैं, तो इससे न सिर्फ ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और विकास के नए अवसर भी पैदा होंगे. सर्वे के दौरान एजेंसी द्वारा निर्धारित मार्ग के अनुसार प्रतिदिन लगभग 5 से 8 किलोमीटर क्षेत्र में कार्य किया जायेगा. इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की खुदाई नहीं होगी, बल्कि सतह पर ही आधुनिक तकनीक का उपयोग किया जायेगा. प्रशासन ने ग्रामीणों को जागरूक करने की बात कही है, ताकि किसी भी तरह की गलतफहमी न फैले. साथ ही किसानों की फसलों और निजी संपत्ति की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखने का आश्वासन दिया गया है. गंगा तटवर्ती इलाकों में इस परियोजना को लेकर लोगों में उत्सुकता बनी हुई है. स्थानीय निवासियों को उम्मीद है कि यदि यहां तेल और गैस का भंडार मिलता है, तो क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास को नई गति मिलेगी. सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी सुविधाओं में भी सुधार की संभावना बढ़ेगी. यह परियोजना न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है.
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