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Nitish Cabinet: खड़े थे रेवड़ी की लाइन में मिल गया रसगुल्ला, मतगणना एजेंट दीपक प्रकाश बन गये मंत्री

Prabhat Khabar
22 Nov, 2025
Nitish Cabinet: खड़े थे रेवड़ी की लाइन में मिल गया रसगुल्ला, मतगणना एजेंट दीपक प्रकाश बन गये मंत्री

Nitish Cabinet: सासाराम विधानसभा की अनोखी कहानी सोशल मीडिया पर चर्चा में है, जहां निर्दलीय प्रत्याशी रामायण पासवान के मतगणना एजेंट रहे दीपक प्रकाश आज राज्य के पंचायती राज मंत्री बन गये. मतगणना के दौरान का उनका ID कार्ड वायरल है और लोग इस पूरे घटनाक्रम पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.

Nitish Cabinet, आमोद सिंह: सासाराम विधानसभा क्षेत्र से कुल 22 प्रत्याशी मैदान में थे. इनमें एक प्रत्याशी ऐसे निकले, जिनका मतगणना एजेंट मंत्री बन गया. निर्दलीय मैदान में उतरे मुरादाबाद के रामायण पासवान के मतगणना एजेंट रालोमो सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश बने थे, जो अब राज्य के पंचायती राज मंत्री बन चुके हैं.

वायरल हो रहा ID कार्ड

मतगणना स्थल पर जाने के लिए वह रामायण पासवान का आरओ एजेंट बने थे. रामायण पासवान को चुनाव चिह्न बेबी वॉकर मिला था. इस बेबी वॉकर के सहारे उन्हें 327 वोट मिले और जमानत जब्त हो गयी. लेकिन, उनके 327 वोट गिनने के लिए आरओ टेबल पर अभिकर्ता के रूप में वर्तमान पंचायती राज मंत्री बैठे थे.

इनकी मां स्नेहलता कुशवाहा भी इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही थीं. मतगणना के दिन वह उनका आरओ एजेंट नहीं बने, जबकि पूरे चुनाव के दौरान जनसभा से लेकर जनसंपर्क में वह मां के साथ-साथ दिखे थे. इनके मंत्री बनने के साथ ही चुनाव के दौरान आरओ द्वारा जारी इनका आइडी कार्ड सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिस पर अलग-अलग कमेंट्स लोग कर रहे हैं.

दीपक प्रकाश का id कार्ड

सोशल मीडिया पर क्या बोल रहे लोग

एनसीपी के नेता आशुतोष सिंह ने उनका आइडी कार्ड शेयर कर अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि उपेंद्र कुशवाहा काराकाट लोकसभा से हारे, तो राज्यसभा सांसद बन गये और उनके पुत्र दीपक प्रकाश मंत्री बने हैं, जो चुनाव में सासाराम के निर्दलीय प्रत्याशी रामायण पासवान के एजेंट थे. प्रत्याशी हार गये और यह मंत्री बन गये. उनके इस पोस्ट पर कुछ लोगों ने कमेंट किया है, जिसमें एक यूजर ने लिखा है कि दूसरे प्रत्याशी का मतगणना अभिकर्ता बनकर अंदर प्रवेश कर सके और अपनी मां का मदद कर सके.

एक ने लिखा है कि यदि यह सच्चाई है, तो फिर ये निचले स्तर राजनीति की पराकाष्ठा है. कुमार विजेता ने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट करके लिखा है कि किस्मत हो तो ऐसी. प्रत्याशी हार गये और मतगणना अभिकर्ता मंत्री बन गये.

उनके इस पोस्ट पर एक यूजर विकास गुप्ता ने कमेंट किया है कि आप लोग समझ सकते हैं कि ये किसी निर्दलीय का अभिकर्ता बनकर अंदर गये थे. कारण क्या रहा होगा? एक ने लिखा है कि इसकी जांच होनी चाहिए. वहीं, एक ने लिखा है कि भरोसा उठ गया है. नि:शब्द हूं. ऐसे ही कई कमेंट्स सोशल मीडिया पर जमकर हो रहे हैं.

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