गालूडीह.
झारखंड-बंगाल सीमावर्ती क्षेत्र में लाल आतंक खत्म होते ही पर्यटन पहचान बन गयी है. जहां पूर्व में नक्सलियों ने विस्फोट कर टूरिस्ट रिसोर्ट को उड़ा दिया था. वहां आज पर्यटकों का हुजूम उमड़ रहा है. ज्ञात हो कि 23 जनवरी, 2006 को नक्सलियों ने द्वारसीनी टूरिस्ट रिसोर्ट को उड़ा दिया था. आज द्वारसीनी के आसनपानी में वन विभाग ने इको टूरिज्म सेंटर बनाया है. यहां चारों ओर हरियाली व खुशहाली है. शनिवार को आसनपानी इको टूरिज्म सेंटर, द्वारसीनी और आस पास काफी पर्यटक देखे गये. बच्चे, युवा और महिलाएं बेखौफ घूम रहे थे. दरअसल द्वारसीनी-आसनपानी झारखंड सीमा से सटा है. सीमा पार करते ही पहला गांव बंगाल का आसनपानी है. पहले यहां वन विभाग का रेस्ट हाउस हुआ करता था. इसके चंद फासले पर द्वारसीनी मंदिर के पास बंगाल सरकार टूरिस्ट रिसोर्ट बना रही थी, जिसे नक्सलियों ने उड़ा दिया था. तब इलाके में पर्यटकों का आगमन बंद हो गया था.इको टूरिज्म सेंटर में बने हैं तीन-चार कॉटेज
आसनपानी में वन विभाग के इको टूरिज्म सेंटर में तीन-चार कॉटेज बने हैं. चारों तरफ साल जंगल व पार्क हैं. खेलने की जगह है. सैर-सपाटे के लिए पास में नदी व पहाड़ है. चारों ओर हरियाली और पिकनिक स्पॉट है. कॉटेज में रहने पर 24 घंटे का 22 से 24 सौ रुपये वन विभाग लेता है. जंगली जानवरों से पूरी सुरक्षा की गारंटी है. दीवारों पर नक्काशी है. यह क्षेत्र हाथी प्रभावित है. सेंटर तक हाथी नहीं पहुंच सकते. आप हाथी को देख सकते हैं. इसके कारण यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं.
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