बेतला़ बरवाडीह स्थित पहाड़ी मंदिर की अपनी अलग पहचान है. वर्षों पुराना यह मंदिर न केवल लाखों लोगों के आस्था और अध्यात्म के साथ जुड़ा है बल्कि पर्यटन के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है. लाखों श्रद्धालुओं को ऐसा विश्वास है कि पहाड़ी मंदिर आने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. पहाड़ी मंदिर एक शांत और पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में चर्चित है. पहाड़ी के निचले हिस्से में भगवान शिव को समर्पित शिव मंदिर है तो इसके बीचों-बीच पहाड़ी के ह्रदय स्थल पर रामभक्त हनुमान का मंदिर है. इस पहाड़ी के एक ओर जहां बरवाडीह रेलवे जंक्शन है तो दूसरी ओर पीटीआर के घने बीहड़ जंगल करीब एक किलोमीटर दूर तक फैले इस पहाड़ी की चोटी पर देवी को समर्पित देवी मंदिर है. पहाड़ी मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य, शांत वातावरण और भक्ति का माहौल इसे धार्मिक महत्व और पर्यटन दोनों दृष्टि से आकर्षक बनाता है. यहां पहुंचने पर श्रद्धालु सैलानियों को सबसे पहले भगवान शिव के दर्शन से होते हैं. इसके बाद करीब 460 सीढ़ियां चढ़ने के बाद हनुमान मंदिर में भगवान बजरंगबली का दर्शन होता है. इतनी लंबे दूरी तय करने के बाद जब श्रद्धालु भगवान बजरंगबली का दर्शन करते हैं तो वह अपनी थकान को भूल जाते हैं. यहां तक आते-आते सैलानियाें का रोमांच बढ़ जाता है. ऊपर चढ़ने के लिए बनायी गयी पक्की सीढ़ियों के बीच-बीच में ठहराव भी बनाया गया है जहां से बरवाडीह का पूरा नजारा देखा जा सकता है. खासकर पहाड़ी के नीचे से होकर रेलवे ट्रैक पर दौड़ती ट्रेन को देखना पर्यटकों को काफी भाता है. यहां का जो दृश्य है यह कई लोग अपने कैमरे में कैद कर लेते हैं. वहीं, सीढ़ियाें के दोनों साइड में जंगल है जो काफी रोमांचित करते हैं. पहाड़ी से गिरती थी जलधारा, श्रद्धालुओं ने किया मंदिर का निर्माण : इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि प्राचीन काल में यहां जल की धारा बहती थी, जिसे कुछ लोग दूध की धारा मानते थे. लोगों ने यहां पर भगवान शिव का वास स्थान समझते हुए मंदिर का निर्माण कार्य कराया. धीरे-धीरे इस मंदिर को भव्य रूप दिया गया. बाद में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया गया. सीढ़ियाें का भी निर्माण कराया गया. चोटी पर पहुंचने के बाद आसपास के नजारों को देखकर लोग पुलकित हो जाते हैं. यहां पर जब दक्षिण की ओर देखा जाता है तो यहां का नजारा लोग देखते ही रह जाते हैं. कैसे पहुंचे पहाड़ी मंदिर : बरवाडीह पहाड़ी मंदिर स्टेशन से सटा है. यहां तक पहुंचने के लिए रेलवे और सड़क मार्ग दोनों मौजूद हैं. यह बेतला नेशनल पार्क से करीब 13 किलोमीटर दूर है. जबकि लातेहार से करीब 70 किलोमीटर और प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है.
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