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भारतीय भाषाओं की कहावतों पर डाला गया प्रकाश, बच्चे हुए रूबरू

Prabhat Khabar
8 Dec, 2025
भारतीय भाषाओं की कहावतों पर डाला गया प्रकाश, बच्चे हुए रूबरू

पाकुड़. डीपीएस पाकुड़ के प्रांगण में भाषा उत्सव-2025 के चौथे दिन बच्चों के बीच भारतीय भाषा के क्षेत्र में बहुत ही ज्ञानवर्धक और रुचि पूर्ण रहा.

भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए कहावतें और लोकोक्तियां सहयोगी : निदेशक संवाददाता, पाकुड़. डीपीएस पाकुड़ के प्रांगण में चार से 11 दिसंबर तक चलने वाले भाषा उत्सव-2025 के चौथे दिन बच्चों के बीच भारतीय भाषा के क्षेत्र में बहुत ही ज्ञानवर्धक और रुचि पूर्ण रहा. सोमवार को आयोजित कार्यक्रम भारतीय कहावतें और अनुरूपता था. मालूम हो कि दिल्ली पब्लिक स्कूल में बच्चों को भारतीय संस्कृति और बहुभाषीय एकता और उनके समान भाव को समझाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्देशानुसार भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन चल रहा है. इसके अंतर्गत बच्चों ने भारतीय जीवन धारा से जुड़ी हुई विभिन्न भाषाओं ( बंगाली ओड़िया, संस्कृत, पंजाबी, असम, उर्दू, गुजराती,हिंदी, तमिल, सिंधी आदि )में न सिर्फ कहावतें सुनाई, बल्कि उनका मर्म भी समझाया. उदाहरण के तौर पर हिंदी में “एकता में बल है ” इसी को अंग्रेजी में हम कह सकते हैं- “यूनाइटेड वी स्टैंड, डिवाइडेड वी फॉल ” और तमिल में औररुमाईईल वालीमाई. इसी तरह से कठिन कार्य के लिए हम कहते हैं- कड़ी मेहनत का फल मीठा होता है ” किसी को मराठी में कहा जाता है- “प्रयत्नाची जिद्द ” और गुजराती में यही कहावत मेहनतनु फल मीठू होय छे होता है. विद्यालय के निदेशक अरुणेंद्र कुमार ने बच्चों द्वारा विभिन्न भाषाओं में सुनाई गई कहावतों जैसे “अधजल गगरी छलकत जाए…, आप बुरे तो जग बुरा-बंगाल में जेमुन कोरोम, तेमुन फोल जहाँ भाषा है, वहां संस्कृति है “- अन्य भाषाओं की कहावतें का उदाहरण देकर उनका अर्थ समझाया. उन्होंने बच्चों को समझाया कि करती किसी भी भाषा की हो उनके द्वारा ज्ञान, नैतिकता और संस्कृति को सरल, यादगार और प्रभावशाली तरीके से अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने भारतीय भाषा उत्सव -25 के महत्व के बारे में बताते हुए महाकवि सुब्रमण्यम भारती जिन्हें आधुनिक तमिल कविता का जनक कहा जाता है, के जीवन पर प्रकाश डाला. प्रधानाचार्य जेके शर्मा ने बच्चों से कहा कि सभी भाषा की कहावतों का भाव एक ही है. ये कहावतें दैनिक जीवन में बहुत महत्व रखती है क्योंकि वे पीढ़ी-दर-पीढ़ी मिले ज्ञान का सार होती हैं, जो हमें जीवन की जटिलताओं को समझने और सही निर्णय लेने में मदद करती हैं; ये संक्षिप्त, प्रभावशाली तरीके से नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों को सिखाती हैं, संचार को बेहतर बनाती हैं, और मुश्किल समय में मार्गदर्शन व चेतावनी के रूप में काम आती हैं, जिससे व्यक्ति को जीवन की विभिन्न परिस्थितियों से निपटने की समझ मिलती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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