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बेंजामिन नेतन्याहू अपने राष्ट्रपति से मांग रहे माफी, लेकिन क्यों? क्षमादान के लिए दांव पर क्या लगा

बेंजामिन नेतन्याहू अपने राष्ट्रपति से मांग रहे माफी, लेकिन क्यों? क्षमादान के लिए दांव पर क्या लगा
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Benjamin Netanyahu seeking pardon from president: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार के मुकदमे में क्षमादान का अनुरोध किया है. उन्होंने राष्ट्रपति से एक वीडियो संदेश जारी कर सुरक्षा व राजनीतिक परिस्थितियों का हवाला देकर उपस्थित हो पाने में असमर्थता जताई है. लेकिन क्या उन्हें क्षमा किया जा सकता है?

Benjamin Netanyahu seeking pardon from president: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने खिलाफ कई वर्षों से चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों में राष्ट्रपति से क्षमादान की आधिकारिक मांग दर्ज कराई है. उनके इस कदम ने विरोधियों और कानूनी विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि नेतन्याहू न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार करने का प्रयास कर रहे हैं. एक वीडियो संदेश में नेतन्याहू ने दावा किया कि देश की मौजूदा सुरक्षा व राजनीतिक परिस्थितियों के चलते उनके लिए सप्ताह में कई बार कोर्ट में पेश होना संभव नहीं है. यह अनुरोध उनके मुकदमों में आया एक नया मोड़ है, जिसका असर सिर्फ न्यायिक ढांचे पर ही नहीं बल्कि अगले साल होने वाले चुनावों में नेतन्याहू की राजनीतिक संभावनाओं पर भी पड़ सकता है.

नेतन्याहू पर कौन-कौन से आरोप हैं?

आधुनिक इजरायली राजनीति में बेंजामिन नेतन्याहू सबसे प्रभावशाली नेताओं में से हैं. 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद अब वह छठी बार सत्ता में हैं. उन पर रिश्वत लेने, धोखाधड़ी करने और विश्वास का दुरुपयोग करने के आरोप हैं. यह मामले 2016 से चली आ रही लंबी जांच का हिस्सा हैं, जिन्हें केस 1000, केस 2000 और केस 4000 के नाम से जाना जाता है. मुकदमे की सुनवाई 2020 में शुरू हुई थी.

केस 1000: आरोप है कि नेतन्याहू ने हॉलीवुड निर्माता अर्नोन मिलचन और ऑस्ट्रेलियाई कारोबारी जेम्स पैकर से सिगार, शैंपेन व अन्य महंगे तोहफे लिए, जिनकी कीमत लगभग 2,00,000 अमेरिकी डॉलर बताई जाती है.

केस 2000: यह मामला अखबार ‘येडियट अहरोनोट’ के मालिक अर्नोन मोजेस के साथ नेतन्याहू की कथित बैठकों से जुड़ा है. अभियोजन पक्ष कहता है कि मोजेस ने प्रतिद्वंद्वी अखबार पर रोक लगाने के बदले नेतन्याहू को सकारात्मक कवरेज देने की पेशकश की थी.

केस 4000: इसमें आरोप है कि टेलीकॉम कंपनी बेजेक के फायदे के लिए नेतन्याहू ने नियामकीय फैसले बदले और बदले में कंपनी की वेबसाइटों पर उनके पक्ष में सामग्री प्रकाशित की गई.

नेतन्याहू बार-बार कहते रहे हैं कि इन मामलों में वह निर्दोष हैं और ये मुकदमे उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश का हिस्सा हैं. उनका कहना है कि जांच एजेंसियों ने “किसी भी कीमत पर अपराध ढूंढने” की कोशिश की.

क्या नेतन्याहू को माफी दी जा सकती है?

कानूनी जानकारों का कहना है कि आमतौर पर दोषसिद्धि के बाद ही क्षमादान दिया जा सकता है, लेकिन नेतन्याहू न तो किसी आरोप को स्वीकार कर रहे हैं और न ही खुद को अपराधी मानते हैं. वह चाहते हैं कि बिना किसी जिम्मेदारी स्वीकार किए राष्ट्रपति उन्हें क्षमादान दे दें, ताकि वह अपना काम निर्बाध रूप से कर सकें.

इजरायल की न्यायपालिका की स्वायत्तता पर सवाल

2020 में मुकदमा शुरू होने के बाद से कई गवाह अदालत में बयान दे चुके हैं, जिनमें नेतन्याहू के कुछ पूर्व सहयोगी भी शामिल हैं. कुछ ने तो सरकारी गवाह बनने के लिए ‘प्ली बार्गेन’ भी किया, जिससे मामले में गंभीर सबूत सामने आए. लेकिन नेतन्याहू राजनीतिक रूप से बेहद कुशल साबित हुए हैं और अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा तथा गाजा युद्ध जैसे मुद्दों का हवाला देकर सुनवाई को धीमा करते रहे हैं.

अक्टूबर 2023 के हमास हमलों के बाद सुरक्षा कारणों से अदालत के सत्र सीमित कर दिए गए थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, नेतन्याहू ने युद्ध की स्थिति का हवाला देते हुए कई बार सुनवाई टलवाने की मांग की है. उनके समर्थक इसे जायज मानते हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है. 2023 में उनकी सरकार ने न्यायिक सुधारों का बड़ा प्रस्ताव पेश किया था, जिसे विरोधियों ने न्यायपालिका पर सीधा हमला करार दिया. पूरे इजरायल में महीने भर प्रदर्शन हुए. हालांकि नेतन्याहू सीधे इस प्रस्ताव में शामिल नहीं थे, पर उनकी सरकार के मंत्रियों ने इसे आगे बढ़ाया. अब क्षमादान की मांग को भी उसी व्यापक बहस का हिस्सा माना जा रहा है.

नेतन्याहू का राजनीतिक भविष्य

यह पूरा मामला किसी हद तक नेतन्याहू के राजनीतिक अस्तित्व से जुड़ा है. हाल ही में वे लिकुड पार्टी के नेता फिर से चुने गए हैं और उन्होंने अगले साल फिर प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इजरायल के मूल कानून के अनुसार, किसी “गंभीर अपराध” में दोषी पाए जाने पर व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता, हालांकि इस पर कानूनी अस्पष्टता भी है. कुछ रिपोर्ट्स का दावा है कि नेतन्याहू चाहते हैं कि चुनाव को नवंबर से बढ़ाकर जून तक ले जाया जाए, ताकि वह तब तक सऊदी अरब और इंडोनेशिया के साथ संबंध सामान्यीकरण पर काम पूरा कर सकें.

यह उनका पुराना राजनीतिक तरीका है जिसमें विदेश नीति की उपलब्धियों से घरेलू विवादों के प्रभाव को कम किया जाता है. अब जबकि चुनाव नजदीक हैं, नेतन्याहू अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और क्षमादान की मांग भी उसी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है. मामला बहुत लंबा खिंच चुका है और अंततः अदालत को फैसला सुनाना ही होगा. हालांकि इससे पहले नेतन्याहू इसे किसी न किसी तरह खत्म करना चाहते हैं.

प्रभात खबर पॉडकास्ट में रवि शास्त्री 7 दिसंबर को.

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Anant Narayan Shukla

लेखक के बारे में

Anant Narayan Shukla

Contributor

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएट. करियर की शुरुआत प्रभात खबर के लिए खेल पत्रकारिता से की और एक साल तक कवर किया. इतिहास, राजनीति और विज्ञान में गहरी रुचि ने इंटरनेशनल घटनाक्रम में दिलचस्पी जगाई. अब हर पल बदलते ग्लोबल जियोपोलिटिक्स की खबरों के लिए प्रभात खबर के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं. और पढ़ें

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