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भारत का रुख एकमद जायज

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माइकल रुबिन ने आगे कहा कि अमेरिका भारत को रियायती दरों पर रूस से तेल खरीदने पर लेक्चर देकर पाखंडी बन रहा है, जबकि वॉशिंगटन खुद भी रूस के साथ व्यापार करता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी जरूरतों को प्राथमिकता दे रहा है और यह बिल्कुल जायज है. 

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एएनआई से बातचीत में रुबिन ने कहा- अमेरिकी यह नहीं समझते कि भारतीय नागरिकों ने प्रधानमंत्री मोदी को भारतीय हितों की रक्षा के लिए चुना है. भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. यह जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, और इसके लिए उसे ऊर्जा चाहिए. अमेरिका पाखंडी बन रहा है क्योंकि हम खुद रूस से खरीदते हैं. हम ऐसे सामान और सामग्री खरीदते हैं जिनके लिए हमारे पास कोई वैकल्पिक बाजार नहीं है. ऐसे में हम भारत को लेक्चर दे रहे हैं, जो गलत है.

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भारत रूस की दोस्ती ट्रंप के कारण, उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए, अमेरिका पाखंडी है; पूर्व पेंटागन अधिकारी का तंज

Prabhat Khabar
6 Dec, 2025
भारत रूस की दोस्ती ट्रंप के कारण, उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया जाना चाहिए, अमेरिका पाखंडी है; पूर्व पेंटागन अधिकारी का तंज

Donald Trump India Russia Relation Nobel Prize: नई दिल्ली में पुतिन को मिला गर्मजोशी भरा स्वागत वास्तव में मॉस्को के कारण नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप की वजह से है और इसके लिए वह नोबेल पीस प्राइज के हकदार हैं. यह कहना है पेंटागन के पूर्व अधिकारी. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह ट्रंप की नीतियों का परिणाम है और वे इसे अपनी गलती कभी नहीं मानेंगे.

Donald Trump India Russia Relation Nobel Prize: रुस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अपनी दो दिन की शानदार यात्रा के बाद अपने देश लौट गए. उनकी इस यात्रा पर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच बेहद गर्मजोशी देखने को मिली. इस पर एक पूर्व पेंटागन अधिकारी ने अपना नजरिया पेश किया है. उनका कहना है कि नई दिल्ली में पुतिन को मिला गर्मजोशी भरा स्वागत वास्तव में मॉस्को के कारण नहीं, बल्कि डोनाल्ड ट्रंप की वजह से है और इसके लिए वह नोबेल पीस प्राइज के हकदार हैं. पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने यह भी टिप्पणी की कि अमेरिका पुतिन की भारत यात्रा को किस नजर से देख रहा है.

रुबिन ने एएनआई से कहा- रूस के दृष्टिकोण से यह यात्रा बेहद सकारात्मक है. भारत ने व्लादिमीर पुतिन को ऐसे सम्मान दिए हैं जो उन्हें दुनिया में शायद ही कहीं और मिल पाते. मैं तो यह भी कहूंगा कि भारत और रूस को इतने करीब लाने के लिए डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार के हकदार हैं. उन्होंने आगे कहा- इनमें से कितने समझौते (MoUs) वास्तव में लागू होंगे? अभी लिए जा रहे फैसले दिल से जुड़ी साझी रुचियों के कारण हैं, या फिर उनमें कितनी प्रेरणा उस नाराजगी से आती है, जो राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी और व्यापक तौर पर भारत के साथ जताई है? यह देखने वाली बात होगी. 

रुबिन ने यह भी कहा कि अमेरिका में पुतिन की भारत यात्रा को दो दृष्टिकोणों से देखा जा रहा है. एक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भयावह अक्षमता के रूप में देखा जा रहा है. दूसरा हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार जो अमेरिकी ट्रंप को नापसंद करते हैं, वे मान रहे हैं कि ट्रंप ने भारत के साथ रिश्ते कैसे खराब कर दिए. 

उन्होंने कहा- ट्रंप दिखाना चाह रहे हैं कि भारत का रूस के साथ यह नजदीकी रिश्ता है, जिसे ट्रंप अपना राजनीतिक नैरेटिव बनाना चाहते हैं. क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप कभी स्वीकार नहीं करेंगे कि गलती उनकी है. वहीं अगर आप उन 65% अमेरिकियों में से हैं जो हालिया सर्वे के अनुसार डोनाल्ड ट्रंप को नापसंद करते हैं, तो हम आज जो देख रहे हैं वह डोनाल्ड ट्रंप की भारी अक्षमता का नतीजा है… हममें से कई अभी भी हैरान हैं कि कैसे डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका-भारत संबंधों को पलट दिया. कई लोग पूछते हैं कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप को प्रेरित क्या करता है.

भारत का रुख एकमद जायज

माइकल रुबिन ने आगे कहा कि अमेरिका भारत को रियायती दरों पर रूस से तेल खरीदने पर लेक्चर देकर पाखंडी बन रहा है, जबकि वॉशिंगटन खुद भी रूस के साथ व्यापार करता है. उन्होंने कहा कि भारत अपनी जरूरतों को प्राथमिकता दे रहा है और यह बिल्कुल जायज है. 

एएनआई से बातचीत में रुबिन ने कहा- अमेरिकी यह नहीं समझते कि भारतीय नागरिकों ने प्रधानमंत्री मोदी को भारतीय हितों की रक्षा के लिए चुना है. भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है. यह जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा, और इसके लिए उसे ऊर्जा चाहिए. अमेरिका पाखंडी बन रहा है क्योंकि हम खुद रूस से खरीदते हैं. हम ऐसे सामान और सामग्री खरीदते हैं जिनके लिए हमारे पास कोई वैकल्पिक बाजार नहीं है. ऐसे में हम भारत को लेक्चर दे रहे हैं, जो गलत है.

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