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Trump Tariff : विदेशी दवाओं पर 100% टैरिफ, डोनाल्ड ट्रंप ने फोड़ दिया बड़ा बम

Prabhat Khabar
26 Sep, 2025
Trump Tariff : विदेशी दवाओं पर 100% टैरिफ, डोनाल्ड ट्रंप ने फोड़ दिया बड़ा बम

Trump Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट से साफ है कि वह अगस्त में उठाए गए कदमों और इंपोर्ट टैक्स से खुश नहीं हैं. उनका उद्देश्य सरकार का बजट घाटा कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है.

Trump Tariff : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि 1 अक्टूबर से विदेशी दवाओं, किचन कैबिनेट, फर्नीचर और भारी ट्रकों पर हाई इंपोर्ट टैक्स लगाया जाएगा. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस संबंध में जानकारी दी. ट्रंप ने कहा कि इस कदम का मकसद घरेलू विनिर्माण को मजबूती देना और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित करना है. अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि इससे स्थानीय उद्योगों को लाभ मिलेगा और देश आर्थिक रूप से अधिक आत्मनिर्भर बनेगा.

ट्रंप ने घोषणा की कि फार्मास्युटिकल दवाओं पर 100%, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटीज पर 50%, अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर पर 30% और भारी ट्रकों पर 25% टैक्स लगाया जाएगा. इससे आत्मनिर्भर अमेरिका का निर्माण होगा. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कहा कि 1 अक्टूबर 2025 से सभी ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैक्स लगाने की तैयारी कर ली गई है. यह टैक्स सिर्फ उन्हीं कंपनियों को माफ होगा जो अमेरिका में दवा बनाने का प्लांट बना रही हों या जिनका प्लांट निर्माणाधीन हो.

अमेरिका में बढ़ जाएगी महंगाई

ट्रंप ने कहा कि विदेशी कंपनियां अमेरिकी बाजार में बड़ी मात्रा में फर्नीचर और कैबिनेट भेज रही हैं, जिससे स्थानीय उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विदेशी हैवी ट्रक और उनके पार्ट्स अमेरिकी निर्माताओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. ट्रंप का मानना है कि इन पर लगने वाला टैक्स घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए जरूरी है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा मामला है. यह फैसला उस समय लिया गया है जब अमेरिका पहले से ही बढ़ती महंगाई का सामना कर रहा है.

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मामले के जानकारों का कहना है कि इन अतिरिक्त शुल्कों से महंगाई और बढ़ सकती है और आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. इसका सीधा प्रभाव अमेरिका की जनता पर पड़ सकता है.

भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा ट्रंप के फैसले से ?

अमेरिका भारतीय दवा कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार है, खासकर सस्ती जेनेरिक दवाओं के क्षेत्र में. भारत ने 2024 में अमेरिका को 3.6 अरब डॉलर (₹31,626 करोड़) मूल्य की दवाइयों का निर्यात किया था, जबकि 2025 की पहली छमाही में ही यह आंकड़ा 3.7 अरब डॉलर (₹32,505 करोड़) तक पहुंच गया. डॉ. रेड्डीज़, सन फार्मा, ल्यूपिन और औरोबिंदो जैसी कंपनियां लंबे समय से सस्ती भारतीय जेनेरिक दवाओं पर अमेरिका की निर्भरता से लाभ उठाती रही हैं.

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