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Good Story: दोनों पैर से दिव्यांग ‘डिलिवरी ब्वॉय’ मो शादाब चढ़ रहे हौसले की सीढ़ियां

Prabhat Khabar
14 Jul, 2025
Good Story: दोनों पैर से दिव्यांग ‘डिलिवरी ब्वॉय’ मो शादाब चढ़ रहे हौसले की सीढ़ियां

Good Story: पटना के मो शादाब दोनों पैरों से दिव्यांग हैं, फिर भी जोमैटो पर हर दिन 15 से ज्यादा खाने के ऑर्डर डिलीवर करते हैं. 30 साल के शादाब ने पोलियो के बावजूद हिम्मत नहीं हारी. वह अपनी बैटरी वाली ट्राइसाइकिल से डिलीवरी करते हैं और अपनी मेहनत से हर दिन करीब 600 रुपये कमाते हैं. पढ़ें पूरी स्टोरी..

Good Story: दिव्यांग हूं, मजबूर नहीं… मेहनत कर अपने पैरों पर खड़ा हूं. ये शब्द हैं पटना के मैनपुरा (राजापुल) के रहने वाले मो शादाब हुसैन की. वह बिना दोनों पैरों के रोजाना 15 से ज्यादा डिलीवरी कर अपने आत्मनिर्भर बनने की मिसाल कायम कर रहे हैं. 30 वर्षीय शादाब (Md Shadab) बीते छह महीनों से जोमैटो में बतौर डिलीवरी एग्जीक्यूटिव काम कर रहे हैं. शादाब बताते हैं कि जब वे दो साल के थे, तब पोलियो ने उनके शरीर को जकड़ लिया. समय रहते समुचित इलाज न मिल पाने की वजह से दोनों पैर पूरी तरह प्रभावित हो गए. पिता मो एहतेशाम मजदूरी करते थे, जिससे आर्थिक स्थिति ज्यादा इलाज की इजाजत नहीं दे पायी. हालांकि, शरीर के बाकी हिस्से जिसमें हाथ, गर्दन आदि सामान्य इलाज स धीरे-धीरे सामान्य हो गए, लेकिन चलने में असमर्थता बनी रही.

बता दें कि, शादाब ने मगध यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. परिवार में वे सबसे छोटे हैं.बड़े भाई नौकरी करते हैं और मंझले भाई प्लंबर का ठेकेदारी कार्य करते हैं. लेकिन शादाब का मानना है कि घर बैठकर खाना उन्हें मंजूर नहीं. वे रोज मेहनत करके 500 से 600 रुपये तक की आमदनी कर लेते हैं.

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लोगों से मिलती है हौसला और इज्जत
शादाब बताते हैं कि पटना के कई इलाकों में जब वे खाना लेकर पहुंचते हैं, तो लोग खुद नीचे आकर ऑर्डर ले लेते हैं. कुछ लोग उन्हें टिप भी देते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ता है. वे कहते हैं कि कई लोग छोटी-छोटी बातों पर हिम्मत हार जाते हैं, लेकिन जब अपनी मेहनत से कुछ कमाते हैं तो उसका सुख अलग होता है. हाल ही में दिव्यांगों की पेंशन 400 रुपये से बढ़कर 1100 रुपये हुई है, जिसके लिए वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार व्यक्त करते हैं.

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वीडियो देखकर सीखी जोमैटो डिलीवरी की राह
शादाब ने यूट्यूब पर कई प्रेरणादायक वीडियो देखे. उन्हें यह समझ आया कि शारीरिक अक्षमता किसी की प्रगति में बाधा नहीं हो सकती. तभी उन्होंने जोमैटो से जुड़ने का निर्णय लिया. वे एक छोटी बैटरी वाली ट्राइसाइकिल से खाना पहुंचाते हैं. हालांकि गर्मी और रास्तों की कठिनाइयों के चलते कभी-कभी डिलीवरी में थोड़ी देरी हो जाती है.सड़कों पर कई बार जाम से निकलने में परेशानी होती है. इससे निबटने के लिए वे स्कूटी खरीदने के लिए पैसे जमा कर रहे हैं.

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