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किसान यूनियन किसानों के हित में करेगी आंदोलन

किसान यूनियन किसानों के हित में करेगी आंदोलन
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भारतीय किसान यूनियन किसानों के विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन करेगी. किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने के लिये 23 दिसंबर को किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया जायगा.

शेखपुरा. भारतीय किसान यूनियन किसानों के विभिन्न मुद्दों को लेकर आंदोलन करेगी. किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने के लिये 23 दिसंबर को किसान नेता चौधरी चरण सिंह के जन्म दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया जायगा. जबकि,7 जनवरी को जिला समाहारणालय के सामने किसान धान फसल का हवन करेंगे. वहीं, 17 फरवरी को विधानसभा का घेराव करेगी. यह बातें किसान यूनियन के प्रदेश संयोजक सुरेश प्रसाद ने गुरुवार को कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही.इस मौके पर किसान यूनियन के जिला महासचिव सुबोध कुमार,प्रखंड अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद उपस्थित थे.उन्होंने कहा कि किसानों से धान की फसल महज छह सौ रुपए प्रति मन व्यापारियों के द्वारा खरीद की जा रही है. दो महीने के उधार पर छह सौ चालीस रुपए प्रति मन लिया जा रहा है. जिले के कई पैक्सों को अब तक धान खरीद की अनुमति नहीं मिली हैं.किसानों को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान औने –पौने दाम पर धान की फसलों को बेचने को मजबूर है.किसानों की हकमारी होने के कारण किसान दिन प्रतिदिन गरीबी के कुचक्र में फंसते जा रहे हैं और किसान खेती छोड़कर कर मजदूरी करने को विवश है. किसानों की दुर्दशा खराब हो रही है.बिहार में खेतों की चकबंदी नहीं है. जिसके कारण खेत टुकड़े –टुकड़े में बंटे है. जिससे अच्छी तरह से उपज नहीं हो पा रहा है. यहां के किसानों को संरक्षण नहीं मिल रहा है. जो जन प्रतिनिधि जीत कर जा रहे हैं वह भी किसानों के हित में कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं. पैक्सों में नमी मापने का यंत्र नहीं है.इसके आड़ में किसानों के धान का पांच किलों तक प्रति बोरा काट लिया जाता है. यह बातें किसान यूनियन के प्रदेश संयोजक सुरेश प्रसाद ने गुरुवार को कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में कही.इस मौके पर किसान यूनियन के जिला महासचिव सुबोध कुमार,प्रखंड अध्यक्ष चंद्रशेखर प्रसाद उपस्थित थे.उन्होंने कहा कि किसानों से धान की फसल महज छह सौ रुपए प्रति मन व्यापारियों के द्वारा खरीद की जा रही है. दो महीने के उधार पर छह सौ चालीस रुपए प्रति मन लिया जा रहा है. जिले के कई पैक्सों को अब तक धान खरीद की अनुमति नहीं मिली हैं.किसानों को फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान औने –पौने दाम पर धान की फसलों को बेचने को मजबूर है.किसानों की हकमारी होने के कारण किसान दिन प्रतिदिन गरीबी के कुचक्र में फंसते जा रहे हैं और किसान खेती छोड़कर कर मजदूरी करने को विवश है. किसानों की दुर्दशा खराब हो रही है.बिहार में खेतों की चकबंदी नहीं है. जिसके कारण खेत टुकड़े –टुकड़े में बंटे है. जिससे अच्छी तरह से उपज नहीं हो पा रहा है. यहां के किसानों को संरक्षण नहीं मिल रहा है. जो जन प्रतिनिधि जीत कर जा रहे हैं वह भी किसानों के हित में कोई भी कदम नहीं उठा रहे हैं. पैक्सों में नमी मापने का यंत्र नहीं है.इसके आड़ में किसानों के धान का पांच किलों तक प्रति बोरा काट लिया जाता है.

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