डुमरांव. अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के आह्वान पर देशव्यापी कार्यक्रम के तहत मंगलवार को बक्सर जिले के डुमरांव में विरोध मार्च निकाला गया और सभा आयोजित की गयी. यह जुलूस मनरेगा की समाप्ति तथा मजदूर-विरोधी नीतियों के खिलाफ आयोजित किया गया. विरोध जुलूस का नेतृत्व भाकपा-माले के जिला सचिव नवीन कुमार, खेग्रामस जिला सचिव नारायण दास, जिला अध्यक्ष कन्हैया पासवान, डुमरांव माले सचिव धर्मेंद्र सिंह, ऐपवा नेत्री रेखा देवी एवं पूजा यादव ने किया. जुलूस डुमरांव बाजार से निकलकर शहीद पार्क होते हुए नया थाना परिसर पहुंचा, जहां सभा का आयोजन किया गया. मनरेगा को कमजोर करने की साजिश : सभा में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि एनडीए की मोदी सरकार लंबे समय से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को कमजोर और समाप्त करने की साजिश रचती रही है. कम मजदूरी, भुगतान में देरी, जॉब कार्ड निरस्तीकरण और जानबूझकर काम न देने जैसी नीतियों के जरिए मजदूरों का भरोसा तोड़ा गया है. भीबी-ग्रामजी कानून को बताया रोजगार-विरोधी : सभा को संबोधित करते हुए आरवाइए के नवनिर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं डुमरांव के पूर्व विधायक कॉमरेड अजीत कुशवाहा ने कहा कि सरकार की मंशा शुरू से ही मनरेगा जैसी रोजगार गारंटी योजना को खत्म कर कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए सस्ता और असुरक्षित श्रम उपलब्ध कराने की रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मनरेगा की जगह लाए गए तथाकथित भीबी-ग्रामजी कानून (ग्रामजी योजना) में रोजगार की कोई कानूनी गारंटी नहीं है. 125 दिन काम की बात तो कही जा रही है, लेकिन इसके लिए कोई बाध्यकारी प्रावधान नहीं है. 12 करोड़ मजदूरों पर सीधा हमला : कॉमरेड कुशवाहा ने कहा कि यह फैसला देश के लगभग 12 करोड़ मनरेगा मजदूरों, विशेषकर दलितों, आदिवासियों, वंचित समुदायों और महिलाओं के रोजगार पर सीधा हमला है. 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी की मांग को सरकार ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. सभा की अध्यक्षता खेग्रामस जिला सचिव कॉमरेड नारायण दास ने की. इस मौके पर माले नेता ललन प्रसाद, शिक्षक नेता अभय पाण्डेय, डुमरांव टाउन सचिव कृष्णा राम, भगवान दास, शंकर तिवारी, संजय शर्मा, युवा नेता शैलेंद्र पासवान, नासिर हसन, सुरेश राम, प्रभात, अरविंद, जाबिर कुरैशी समेत दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे. सभा के अंत में वक्ताओं ने दो टूक कहा कि देश का मजदूर चुप नहीं रहेगा और अपने हक, सम्मान व आजीविका की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रहेगा.
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