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चाणक्य नीति: बुरे वक्त में कौन अपना होता है और कौन सिर्फ साथ होने का नाटक करता है

25/12/2025
चाणक्य नीति: बुरे वक्त में कौन अपना होता है और कौन सिर्फ साथ होने का नाटक करता है
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Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार कठिन समय जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा होती है. संकट की घड़ी में कौन सच्चा अपना है और किससे दूरी रखनी चाहिए, यह विवेक से समझना जरूरी है. जानिए रिश्तों को परखने की चाणक्य की सीख.

Chanakya Niti: जीवन में कठिन समय हर किसी के जीवन में आता है. जब हालात अनुकूल नहीं होते, तब असली और नकली अपनों की पहचान अपने आप होने लगती है. चाणक्य नीति में ऐसे समय को इंसान की सबसे बड़ी परीक्षा माना गया है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में स्पष्ट कहा है कि संकट की घड़ी में व्यक्ति को भावनाओं से नहीं, बल्कि विवेक से काम लेना चाहिए.

जो मुश्किल में साथ दे, वही अपना

चाणक्य के अनुसार, जो व्यक्ति आपके बुरे वक्त में बिना स्वार्थ के मदद के लिए आगे आए, वही आपका सच्चा अपना होता है. ऐसे लोग न तो परिस्थितियों से डरते हैं और न ही अपने लाभ-हानि का हिसाब लगाते हैं. संकट के समय साथ खड़ा होना, सांत्वना देना और समाधान खोजने में मदद करना सच्चे रिश्ते की पहचान है.

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मीठी बातों से सावधान रहने की सलाह

चाणक्य नीति यह भी सिखाती है कि केवल मीठी बातें करने वाले लोग हर समय भरोसेमंद नहीं होते. कठिन समय में कई लोग दिलासा तो देते हैं, लेकिन जिम्मेदारी उठाने से पीछे हट जाते हैं. ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखना ही समझदारी मानी गयी है, क्योंकि ये अवसर देखकर साथ बदल सकते हैं.

स्वार्थी लोगों से रखें दूरी

आचार्य चाणक्य ने स्वार्थ को रिश्तों का सबसे बड़ा दुश्मन बताया है. जो लोग सिर्फ अपने फायदे के लिए पास रहते हैं, वे संकट आते ही किनारा कर लेते हैं. ऐसे लोगों को पहचानकर उनसे सीमित दूरी बनाना व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है.

कठिन समय देता है सही सीख

चाणक्य नीति के अनुसार, विपरीत परिस्थितियां इंसान को कमजोर नहीं, बल्कि समझदार बनाती हैं. यह समय बताता है कि किस पर भरोसा किया जा सकता है और किससे सतर्क रहने की जरूरत है. इसलिए कठिन दौर को सीख के रूप में स्वीकार करना चाहिए.

विवेक ही सबसे बड़ा सहारा

चाणक्य कहते हैं कि जीवन में रिश्ते निभाते समय विवेक का साथ जरूरी है. भावनाओं में बहकर लिया गया फैसला कई बार नुकसानदेह साबित होता है. जो व्यक्ति धैर्य और समझदारी से रिश्तों को परखता है, वही जीवन में स्थिरता और संतुलन बनाए रखता है.

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Sameer Oraon

लेखक के बारे में

Sameer Oraon

Contributor

इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है. और पढ़ें

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