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बिटकॉइन के कारोबार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से मांगी स्पष्ट नीति

Prabhat Khabar
19 May, 2025
बिटकॉइन के कारोबार पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सरकार से मांगी स्पष्ट नीति

Bitcoin: सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन कारोबार को हवाला जैसी अवैध गतिविधि बताते हुए केंद्र सरकार से क्रिप्टोकरेंसी पर स्पष्ट नीति की मांग की है. अदालत ने क्रिप्टो के बढ़ते असर और संभावित खतरों को देखते हुए विनियमन जरूरी बताया. केंद्र ने नीति निर्माण की प्रक्रिया में होने की बात कही है. यह टिप्पणी गुजरात में बिटकॉइन घोटाले से जुड़े एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई.

Bitcoin: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को क्रिप्टोकरेंसी विशेष रूप से बिटकॉइन के कारोबार को लेकर केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया. न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि केंद्र को क्रिप्टोकरेंसी के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इसे विनियमित करने के लिए एक स्पष्ट नीति बनानी चाहिए. अदालत ने क्रिप्टो लेनदेन को हवाला कारोबार जैसा अवैध व्यापार करार दिया.

सर्वोच्च अदालत ने जताई चिंता

पीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, “क्रिप्टोकरेंसी का अवैध बाजार है, जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. अगर सरकार इसे विनियमित करती है, तो ऐसे अवैध व्यापारों पर नजर रखी जा सकती है.” जस्टिस कांत ने खासतौर पर कहा, “बिटकॉइन में कारोबार करना हवाला कारोबार की तरह है.”

केंद्र ने मांगा निर्देश का समय

भाटी ने अदालत से आग्रह किया कि केंद्र सरकार इस मामले में निर्देश प्राप्त कर रही है और जल्द ही उचित जानकारी दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर नीति तय करने की प्रक्रिया में है और विभिन्न संबंधित विभागों से सलाह-मशविरा कर रही है.

गुजरात के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई

यह टिप्पणी उस समय आई है, जब अदालत गुजरात के एक अवैध बिटकॉइन व्यापार से जुड़े आरोपी शैलेश बाबूलाल भट्ट की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी. भट्ट पर आरोप है कि वह गुजरात में बिटकॉइन लेनदेन का सबसे बड़ा सुविधा प्रदाता था. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि भट्ट ने लोगों को अधिक रिटर्न का लालच देकर फंसाया और अपहरण जैसे मामलों में भी शामिल रहा.

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सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अहम

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह यह निर्धारित नहीं कर सकती कि भट्ट पीड़ित है या अपराधी. लेकिन, ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या और आर्थिक जोखिमों को देखते हुए केंद्र सरकार को जल्द ही ठोस और पारदर्शी नीति लानी चाहिए.

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