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प्री-डायबिटिक यानी खतरे की घंटी, संभल जाएं वरना उम्र भर पड़ेगा झेलना

Prabhat Khabar
11 Sep, 2025
प्री-डायबिटिक यानी खतरे की घंटी, संभल जाएं वरना उम्र भर पड़ेगा झेलना

Diabetes : शुगर को नियंत्रित करने के लिए वाॅकिंग बहुत अच्छा उपाय है. इसमें ब्रिस्क वाॅक बहुत जरूरी होता है. ब्रेस वाॅक में एक मिनट में 100 स्टेप चलना जरूरी होता है. 100 कदम चलने से हार्ट बीट पर भी असर पड़ता है, इसलिए ब्रेस वाॅक बहुत जरूरी है.

Diabetes : आधुनिक जीवनशैली में शुगर एक महामारी का रूप ले चुका है. इसकी सबसे बड़ी वजह है सुविधाभोगी लाइफस्टाइल. आज के समय में आम आदमी मेहनत कम करता है, लेकिन उसका खानपान उसके वजन को बढ़ा रहा है. काम का बोझ बढ़ा है और तनाव भी, जो डायबिटीज को बढ़ाने का प्रमुख कारण बना है. शुगर की बीमारी और इसके बचाव के बारे में जानकारी देते हुए सदर अस्पताल के मेडिसीन एक्सपर्ट डाॅ हिमालय झा ने कहा कि कई दवाइयों और रिफाइंड फूड की वजह से भी डायबिटीज होता है. डायबिटीज वह स्थिति है जिसमें शरीर ब्लड शुगर को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता है.

प्री-डायबिटिक और डायबिटिक में फर्क

डाॅ हिमालय झा ने बताया कि प्री-डायबिटिक उसे कहते हैं, जिसमें ब्लड शुगर सामान्य से ज्यादा होती है लेकिन डायबिटीज की श्रेणी तक नहीं पहुंचती है. यह चेतावनी है कि अपने जीवनशैली और खानपान में सुधार करें तो आगे डायबिटीज हो सकता है. इस स्थिति में फास्टिंग में शुगर 100–125 mg/dl होता है. वहीं डायबिटिक पेंशेट में ब्लड शुगर लगातार ऊंची रहती है. इसमें दवाइयों की जरूरत पड़ सकती है. इसमें फास्टिंग शुगर लेवल 126 mg/dl या उससे ज्यादा होता है.

शुगर नियंत्रित करने के लिए रामबाण है वाॅकिंग

शुगर को नियंत्रित करने के लिए वाॅकिंग बहुत अच्छा उपाय है. इसमें ब्रिस्क वाॅक बहुत जरूरी होता है. ब्रेस वाॅक में एक मिनट में 100 स्टेप चलना जरूरी होता है. 100 कदम चलने से हार्ट बीट पर भी असर पड़ता है, इसलिए ब्रेस वाॅक बहुत जरूरी है.

फास्टिंग फर्स्ट की जांच मधुमेह में महत्वपूर्ण

अकसर होता यह है कि कई मरीजों में फास्टिंग में शुगर जांच बढ़ा हुआ रहता है, जबकि खाने के बाद उनका शुगर सामान्य हो जाता है. इसमें देखा यह जाता है कि फास्टिंग में लीवर से ग्लूकोज डिस्चार्ज होता है. इसे रोकने के लिए अपनी दिनचर्या और खानपान को सुधारना जरूरी है.

मधुमेह से बचाव और नियंत्रण के उपाय

  • वजन नियंत्रित रखें – मोटापा बड़ा रिस्क फैक्टर है
  • नियमित व्यायाम – रोजाना 30 मिनट तेज चलना
  • तनाव कम करें – मेडिटेशन, पर्याप्त नींद लें
  • नियमित चेकअप – साल में कम से कम एक बार शुगर टेस्ट करवाएं, साथ ही अन्य जांच भी कराएं

क्या खाएं क्या नहीं

  • साबुत अनाज (ब्राउन राइस, दलिया, जौ, ओट्स)
  • हरी सब्ज़ियां, सलाद, दालें, चना
  • मौसमी फल (सेब, अमरूद, पपीता, संतरा)
  • मेवे (बादाम, अखरोट – सीमित मात्रा में)
  • लो-फैट दूध और दही

इन चीजों से बचें

  • चीनी और मिठाई, मीठे पेय (कोल्ड ड्रिंक, पैकेज्ड जूस)
  • मैदा, सफेद ब्रेड, तली हुई चीज़ें
  • ज्यादा चावल और आलू
  • रेड मीट और बहुत ज्यादा तेल/घी

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