Internal Security: देश में आतंकवाद और संगठित अपराध से लड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है. देश में पहली बार राष्ट्रीय स्तर का ‘आर्गेनाइज्ड क्राइम नेटवर्क डेटाबेस’ शुरू किया गया है. इसका मकसद आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने अपराधिक गिरोहों का खात्मा करना है. शुक्रवार को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी(एनआईए) की ओर से आयोजित एंटी-टेरर कांफ्रेंस में डेटाबेस को शुरू किया.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संगठित अपराधियों का नेटवर्क कई राज्यों में होता है और कई के आतंकी संगठनों से भी मिलीभगत की खबर आती रही है. अंतरराज्यीय मामला होने के कारण कई बार अपराधियों को बचने का मौका मिल जाता है. मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एनआईए ने ऐसे अपराधियों का विस्तृत विवरण रखने के लिए राज्य पुलिस और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के साथ मिलकर यह डेटाबेस तैयार किया है.
गृह मंत्री ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों से अनुरोध किया कि वे अपने यहां एक टीम बनाकर जांच और अभियोजन के लिए इस मैनुअल की स्टडी जरूर करायें. उन्होंने कहा कि मल्टी -लेयर सिक्योरिटी मॉडल बनाना और आतंकवाद के खिलाफ रूथलेस अप्रोच के साथ काम करना, यही हमें आने वाले दिनों में सुरक्षित रख सकता है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की सारी एजेंसियां और राज्यों की पुलिस से मिलकर एक ऐसी ‘टीम इंडिया’ बने जो राष्ट्रीय सुरक्षा सुरक्षा के लिए प्रभावी तरीके से काम कर सके.
संगठित अपराध को रोकने में मिलेगी मदद
संगठित अपराधी गिरोह कई राज्यों में सक्रिय है और इसके बारे में दूसरे राज्य की पुलिस को अधिक जानकारी नहीं होती थी और अपराधी इस कमी का फायदा उठा लेते थे. इस कमी को दूर करने के लिए ही
‘आर्गेनाइज्ड क्राइम नेटवर्क डेटाबेस’ बनाया गया है. इस डेटाबेस पर संगठित अपराधियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर, आरोपपत्र, डोजियर और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध होगी. सभी राज्य पुलिस की मिली जानकारी इस डेटाबेस पर होगा और इससे जांच एजेंसियों को कम समय में अपराधियों की पूरी जानकारी मिलने से कार्रवाई करने में सुविधा होगा. इससे राज्य पुलिस के बीच समन्वय बढ़ेगा और संगठित अपराध को रोकने में मदद मिलेगी.
आधुनिक तकनीक का किया गया है प्रयोग
यह डेटाबेस आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस है और जांच एजेंसी कम समय में ही संगठित अपराध से जुड़े अपराधियों से जुड़ी सभी जानकारी कम समय में हासिल कर सकेगी.
खास बात यह है कि इस डेटाबेस में वॉइस मैचिंग की सुविधा, फिंगरप्रिंट डेटा भी होगा. एनआईए इस डेटाबेस का संचालन करेगा और देश की जांच एजेंसियों को संगठित अपराधियों के खिलाफ पुख्ता और कार्रवाई योग्य जानकारी देने का काम करेगा. सरकार का मानना है कि संगठित अपराध, आतंकी फंडिंग और अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी. साथ ही इसमें पुलिस, अर्धसैनिक बलों से लूटे गए हथियार और बरामद किए गए हथियारों का भी पूरा विवरण होगा.
दो दिवसीय कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, और बंडी संजय कुमार, केंद्रीय गृह सचिव, महानिदेशक, एनआईए और सचिव, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(रॉ) सहित राज्य पुलिस के अधिकारी, केंद्रीय अर्धसैनिक बल के अधिकारियों के अलावा कानून, फॉरेंसिक और अन्य विषय के विशेषज्ञ भी शामिल हुए. संगठित अपराध और आतंकवाद देश के लिए मौजूदा समय में सबसे बड़ा खतरा है. सरकार की कोशिश ऐसे संगठनों की फंडिंग पर पूरी तरह रोक लगाना और ऐसे संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना है.





