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World Book And Copyright Day 2025 : क्या बढ़ रही है ई-बुक्स की लोकप्रियता !

Prabhat Khabar
23 Apr, 2025
World Book And Copyright Day 2025 : क्या बढ़ रही है ई-बुक्स की लोकप्रियता !

कागज पर छपी परंपरागत किताबों के विकल्प के तौर पर अब ई-बुक्स और ऑडियो बुक्स का चलन बढ़ा है. अब एक व्यक्ति अपनी जेब या बस्ते में रखे स्मार्टफोन, टैबलेट या ई-बुक रीडर में पूरी लाइब्रेरी लेकर घूम रहा है और उसे जब चाहे और जहां पढ़ सकता है. इतना ही नहीं वह ऑडियो बुक्स के जरिये टहलते हुए, कोई काम करते हुए या गाड़ी चलाते हुए नयी व पुरानी किताबों को सुनकर उनका आनंद उठा सकता है...

World Book And Copyright Day 2025 : दुनियाभर में ई-बुक्स का चलन लगातार बढ़ा है. हालांकि, अभी भी ई-बुक्स कागज पर छपी हुई किताओं का मुकाबला नहीं कर सकती हैं, लेकिन पिछले एक दशकों में खासकर कोविड महामारी के बाद से ई-बुक की बाजार हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है.

  • ई-बुक्स का बाजार हिस्सा 2033 तक 29.9 अरब डॉलर तक पहुच जाने की उम्मीद है. ऐसा अनुमान है कि 2027 तक ई-बुक्स पढ़नेवालों की संख्या दुनियाभर में 1.2 अरब डॉलर तक पहुंच जायेगी.
  • स्टेटिस्टा डॉट कॉम के 2024 में प्रकाशित एक आंकड़े के मुताबिक 2023 में जहां 30 प्रतिशत अमेरिकियों ने छपी हुई किताब खरीदी, वहीं 2 फीसदी लोगों ने ई-बुक्स खरीदने को प्राथमिकता दी.
  • 2023 के आंकड़ों के हिसाब से दुनिया में चीन एकमात्र ऐसा देश है जहां ई-बुक्स की बिक्री, छपी हुई किताबों से ज्यादा हुई. वहां 27 फीसदी लोगों ने ई-बुक्स खरीदी, जबकि छपी हुई किताब खरीदने वाले लोगों की संख्या 24 फीसदी ही थी. स्टेटिस्टा के आंकड़ों के मुताबिक ई-बुक्स की लोकप्रियता निश्चित तौर पर बढ़ी है, लेकिन अनुमान यही लगाया जा सकता है कि यह छपी हुई किताबों को नुकसान पहुंचाने की जगह प्रकाशन उद्योग में अपना योगदान देगा.

ई-बुक्स के चलते बढ़ रही है हिंदी किताबों की पहुंच

ई-बुक्स ने चुनौतियों से ज्यादा संभावनाएं पैदा करने का काम किया है. पहले जहां हिंदी के प्रकाशकों के लिए अपनी किताबें विदेशी बाजारों में बेच पाना काफी मुश्किल था, वहीं अब हिंदी की किताबें ई-बुक्स के रूप में आने के कारण आसानी से विदेशों में बसे हिंदी प्रेमी भारतीय डायस्पोरा तक पहुंच पा रही हैं. यही कारण है कि आज हिंदी के लगभग सभी प्रकाशक अपनी किताबों के ई-बुक संस्करण लाने पर भी जोर दे रहे हैं. राजकमल प्रकाशन, सेतु प्रकाशन, वाणी, हिंद पॉकेट बुक्स, किताब घर, हिंद युग्म, पेंगुइन आदि सभी प्रकाशकों ने अपनी किताबों के ई-बुक संस्करण भी प्रकाशित किये हैं, जो अमेजन आदि प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं.

  • दिसंबर 2024 तक राजकमल प्रकाशन की ओर से 2000 से ज्यादा किताबों की ई बुक्स आ चुकी हैं. राजकमल प्रकाशन समूह जिसमें राजकमल प्रकाशन, राधाकृष्ण प्रकाशन, लोकभारती प्रकाशन सहित 12 प्रकाशन संस्थान शामिल है, द्वारा प्रकाशित किताबों में से अब तक 2500 से अधिक किताबें ई-बुक्स और 400 से अधिक किताबें ऑडियो बुक के रूप में उपलब्ध हैं.
  • ई-बुक्स के तौर पर हिंदी की सबसे ज्यादा पढ़ी जानेवाली किताब संभवतः गोदान है, जिसे करीब 8 हजार लोगों ने रेट किया है. हालांकि अभी भी हिंदी प्रकाशकों के ई-बुक्स की संख्या अनुपात में कम हैं और कुल बिक्री में इनका हिस्सा कम है.
  • सेतु प्रकाशन की निदेशिका अमिता पांडे का कहना है कि उनके प्रकाशन ने 200 से ज्यादा किताबों के ई-बुक संस्करण जारी किये हैं, लेकिन अभी इनकी बिक्री बहुत ज्यादा नहीं है.

ऑडियो बुक्स के प्रमुख प्लेटफॉर्म

ऑडियो बुक्स कंपनियां किसी किताब की रिकॉर्डिंग करके उसे पाठकों को उपलब्ध कराती हैं. हिंदी की कई किताबों के ऑडियो बुक्स संस्करण ऑडिबल, स्टोरीटेल, गूगल प्ले स्टोर, कुकु एफएम, पॉकेट एफएम जैसे प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं.

लोकप्रिय लेखकों की किताबें ई-बुक्स पर

राजकमल प्रकाशन के पास सुमित्रानंदन पंत, मोहन राकेश, चंद्र किशोर जायसवाल, राही मासूम रजा, हरिवंश राय बच्चन,  निर्मल वर्मा, शिवानी,फणीश्वरनाथ रेणु, इस्मत चुगताई, जावेद अख्तर, श्रीकांत वर्मा, जॉर्ज ऑरवेल, गिरीश कर्नाड, यशपाल, निराला, मनोहर श्याम जोशी, अज्ञेय, महादेवी वर्मा जैसे पुराने प्रतिष्ठित लोगों समेत कई लोकप्रिय लेखकों की किताबें ई-बुक्स पर मौजूद हैं. सुरेंद्र मोहन पाठक जैसे पॉपुलर लेखकों की किताबें ई-बुक्स पर भी काफी पढ़ी जा रही हैं. अंग्रेजी लेखकों की अनूदित किताबें भी ई-बुक्स के तौर पर पढ़ी जा रही हैं. अमेजन पर उपलब्ध ई-बुक्स की रेटिंग्स के हिसाब से देखें, तो ई-बुक्स पढ़नेवालों की संख्या उत्साहजनक दिखाई देती है. यह वह पाठक है, जो पहले किताबें पढ़ना तो चाहता था, लेकिन हिंदी किताबों की सर्वत्र उपलब्धता नहीं होने के कारण, पढ़ नहीं पाता था. मघुशाला जैसी किताबें, जो हमेशा से काफी लोकप्रिय रही हैं, ई-बुक्स के तौर पर भी काफी पढ़ी जा रही हैं. 

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