सच्चिदानंद वर्मा, स्वतंत्र पत्रकार
Christmas 2025: हर साल 25 दिसंबर को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्योहार श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह दिन प्रभु यीशु मसीह (Jesus Christ) के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, प्रभु यीशु का जन्म बेथलहम में मरियम और जोसेफ के घर हुआ था. उनका जीवन प्रेम, करुणा, क्षमा और मानवता के कल्याण के संदेश से भरा रहा है.
परमहंस योगानंद और यीशु मसीह का दिव्य संबंध
भारत के महान संतों में से एक परमहंस योगानंद ने स्वयं स्वीकार किया कि उन्हें प्रभु यीशु मसीह के साक्षात दर्शन हुए थे. योगानंद के कई उच्च कोटि के शिष्यों, विशेष रूप से ज्ञानमाता, को भी यीशु मसीह के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ. योगानंद मानते थे कि यीशु केवल ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि आज भी जीवंत आध्यात्मिक चेतना हैं.
भगवान कृष्ण और यीशु मसीह: अद्भुत समानताएं
परमहंस योगानंद के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण और प्रभु यीशु मसीह के जीवन में अनेक गहरी समानताएं हैं. दोनों का जन्म चमत्कारी परिस्थितियों में हुआ—कृष्ण का जन्म देवकी-वसुदेव से और यीशु का जन्म कुंवारी मरियम से. दोनों के जन्म से पहले ही उनके प्राण लेने के प्रयास किए गए.
दोनों के जन्म को लेकर भविष्यवाणियां की गई थीं. जहां यीशु ने शैतान पर विजय पाई, वहीं कृष्ण ने कालिया नाग जैसे राक्षसी अहंकार को परास्त किया. दोनों को ही ईश्वर का अवतार माना गया, जो धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए पृथ्वी पर आए.
मृत्यु और पुनरुत्थान की रहस्यमयी घटनाएं
कृष्ण और यीशु की मृत्यु भी साधारण नहीं थी. भगवान कृष्ण को बहेलिए के तीर से देह त्याग करनी पड़ी, जबकि यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया. दोनों ही मामलों में मृत्यु के बाद उनके पार्थिव शरीर का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता. कृष्ण का शरीर अदृश्य हो गया और यीशु की कब्र तीन दिन बाद खाली पाई गई.
गीता और बाइबल: एक ही सत्य की अभिव्यक्ति
परमहंस योगानंद मानते थे कि भगवद्गीता में भगवान कृष्ण की शिक्षाएं और बाइबल के न्यू टेस्टामेंट में यीशु मसीह के उपदेश मूल रूप से एक ही सत्य को प्रकट करते हैं. उन्होंने कहा कि यीशु के धर्मोपदेश वैदिक शिक्षाओं के समतुल्य हैं, जो उनके जन्म से हजारों वर्ष पहले भारत में विद्यमान थीं.
योगानंद का मिशन भगवान कृष्ण द्वारा सिखाए गए योग और यीशु द्वारा सिखाए गए ईसाई धर्म के बीच गहरे सामंजस्य को उजागर करना था. उनके अनुसार, सभी सच्चे धर्म एक ही दिव्य सत्य के वैज्ञानिक आधार पर टिके हैं.
‘ओम’ और ‘आमेन’: एक ही दिव्य स्पंदन
योगानंद के अनुसार, भारत में कृष्ण ने जिस ‘ओम’ ध्वनि का वर्णन किया, वही दिव्य स्पंदन यीशु ने ‘आमेन’ या पवित्र आत्मा के रूप में बताया. यह ईश्वर से संवाद का माध्यम है, जो साधना और ध्यान से अनुभव किया जा सकता है.
आम जन और शिष्यों के लिए अलग-अलग शिक्षाएं
यीशु मसीह ने आम जनता को विश्वास, प्रेम और क्षमा का सरल मार्ग दिखाया. वे दृष्टांतों के माध्यम से शाश्वत नैतिक मूल्यों की शिक्षा देते थे. वहीं अपने निकट शिष्यों को उन्होंने गहन आध्यात्मिक सत्य सिखाए, जो प्राचीन योग दर्शन से मेल खाते हैं.
योगानंद आश्रम में क्रिसमस का आध्यात्मिक स्वरूप
परमहंस योगानंद के आश्रमों में क्रिसमस केवल उत्सव या उपहारों तक सीमित नहीं होता. यहां 24 घंटे का ध्यान सत्र आयोजित किया जाता है. योगानंद के अनुसार, ध्यान के माध्यम से यीशु से संपर्क स्थापित करना ही क्रिसमस का वास्तविक और आध्यात्मिक स्वरूप है.
आज भी जीवित हैं प्रभु यीशु
योगानंद की पुस्तक मानव की निरंतर खोज के अनुसार, यीशु मसीह आज भी संसार के कल्याण के लिए सक्रिय हैं. वे गहन प्रार्थना और ध्यान करने वालों को दिव्य स्वतंत्रता और ईश्वर के अनंत राज्य का मार्ग दिखाते हैं.










