श की कोयला राजधानी धनबाद का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) झारखंड में सबसे अधिक हो गया है. ऐसा पिछले कुछ दिनों से लगातार पड़ रही तेज ठंड और कुहासे के कारण हो रहा है. रविवार की शाम आठ बजे धनबाद का एक्यूआइ 230 रिकॉर्ड किया गया. यह आंकड़ा एक्यूआइ.इन के रियल टाइम पॉल्यूशन का है. इसी एजेंसी के डैशबोर्ड ने धनबाद की आबो-हवा को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया है. रात के ढलते ही हर रोज धनबाद का एक्यूआइ पिछले तीन दिनों से 250 के करीब पहुंच जा रहा है, जो कई मेट्रो सिटी से कहीं अधिक है. शुक्रवार को अधिकतम एक्यूआइ 235 तक पहुंच गया था, जबकि शनिवार को यह आंकड़ा 247 था. धनबाद के दो पड़ोसी जिलों गिरिडीह का एक्यूआइ रविवार को रांची के लगभग बराबर 171 दर्ज किया गया. वहीं बोकारो का एक्यूआइ 183 रिकाॅर्ड किया गया.
धनबाद में पीएम 2.5 करीब 150 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पायी गयी है. पीएम-10 करीब 245 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पाया गया है. वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड टू (सीओ) 273, एनओटू-35, एसओटू चार तथा ओजोन चार पार्ट्स प्रति बिलियन(पीपीबी) मिला है. एक्यूआइ डैशबोर्ड ने बताया कि राजधानी का यह प्रदूषण 4.3 सिगरेट प्रतिदिन पीने के बराबर है. इसी संस्था के डैश बोर्ड ने रांची का एक्यूआइ रविवार को 176 के करीब बताया. वहीं जमशेदपुर का 189 बताया है.एक्यूआइ 50 के नीचे को माना जाता है अच्छा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 50 के नीचे के एक्यूआइ को अच्छा माना है. 50 से 100 के बीच के एक्यूआइ को मॉडरेट क्वालिटी का माना जाता है. 100 से 150 के बीच को खराब (पूअर) की श्रेणी में रखा जाता है. 150 से 200 के बीच को एक्यूआइ को अनहेल्दी (बीमार करने योग्य) माना जाता है. वहीं 200 से अधिक का एक्यूआइ खतरनाक की श्रेणी में आता है.वर्तमान प्रदूषण स्थायी नहीं, मौसमी परिस्थितियों के चलते
सर्दियों के दौरान धनबाद में अपेक्षाकृत अधिक एक्यूआइ का मतलब यह नहीं है कि शहर में प्रदूषण का स्रोत बहुत अधिक है. इसका प्रमुख कारण मौसम संबंधी परिस्थितियां हैं. विशेष रूप से एटमॉस्फेरिक बाउंड्री लेयर की ऊंचाई में कमी होना महत्वपूर्ण है. सर्दियों में कम मिक्सिंग हाइट और शांत पवन की स्थिति में हवा के प्रसार को सीमित कर देता है. हवा ऊपर नहीं उठ पाती है. इससे हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व भी धरती पर रहता है. जिससे एक्यूआइ बढ़ा हुआ रहता है.डॉ गुरदीप सिंह,
पूर्व विभागाध्यक्ष, एनवायरनमेंट इंजीनियरिंग, आइआइटी धनबादज्यादा एक्यूआइ फेफड़े को करता है बीमार
प्रदूषण से एक्यूआइ का स्तर बढ़ जाता है. अगर व्यक्ति लगातार ऐसे प्रदूषित माहौल में रहता है, तो उसको सांस से संबंधित बीमारी हो सकती है. अस्थमा और एलर्जी के मरीज बढ़ जायेंगे. जिनको पहले से समस्या है, उनकी परेशानी और बढ़ जायेगी. बच्चों पर इसका असर कम उम्र में ही होने लगेगा. ऐसे में यह प्रयास करना चाहिए कि मास्क का प्रयाेग करें, जिससे प्रदूषण के दुष्प्रभाव से काफी हद तक सुरक्षा मिले.डॉ संदीप कपूर वर्मा, मेडिसिन विभाग, एसएनएमएमसीएच
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