प्रतिनिधि, खड़गपुर
पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मोहनपुर इलाके में भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आ गयी है. दांतन विधानसभा क्षेत्र के एक और दो मंडल में हुए घटनाक्रम के चलते पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक नहीं हो सकी और नेतृत्व को बिना बैठक किये ही लौटना पड़ा. इस घटना से इलाके में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, एसआइआर के कार्य को लेकर दांतन विधानसभा के प्रभारी एवं भाजपा के बीएलए-1 अपरूप गुच्छाईत मोहनपुर क्षेत्र में बीएलए-2 और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने पहुंचे थे. उनके साथ दांतन-2 मंडल की अध्यक्ष शिउली पात्र भी मौजूद थीं. हालांकि, बैठक शुरू होने से पहले ही मंडल अध्यक्ष के खिलाफ कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने नाराजगी जताते हुए विरोध शुरू कर दिया. देखते ही देखते विवाद बढ़ गया और तीखी बहस होने लगी. हालात बिगड़ते देख बैठक को रद्द कर दिया गया और पार्टी नेतृत्व को वापस लौटना पड़ा. भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मंडल अध्यक्ष बनने के बाद से ही जिला भाजपा अध्यक्ष सुमित मंडल क्षेत्र में नहीं आये हैं. कार्यकर्ताओं का सवाल है कि जब जिलाध्यक्ष स्वयं क्षेत्र में नहीं आ रहे हैं, तो बार-बार अन्य नेताओं को क्यों भेजा जा रहा है. दूसरी ओर, मंडल अध्यक्ष शिउली पात्र ने इस पूरे घटनाक्रम के लिए पार्टी के कुछ असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया. वहीं, विरोध के बीच मंडल उपाध्यक्ष झाड़ेश्वर दास ने मंडल अध्यक्ष पर स्वेच्छाचारिता का आरोप लगाया. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी दांतन विधानसभा क्षेत्र के मोहनपुर अंतर्गत अरुंआ इलाके में इसी तरह की घटना सामने आ चुकी है. स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिलाध्यक्ष सुमित मंडल की सहमति से बिना किसी चर्चा के मंडल कमेटी का गठन किया गया और नये मंडल अध्यक्ष अन्य नेताओं को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं.
स्वेच्छाचारिता के आरोपों को खारिज करते हुए मंडल अध्यक्ष शिउली पात्र ने कहा कि पार्टी में पद मिलने के बावजूद कुछ नेता अनुशासनहीनता कर रहे हैं। वहीं, कार्यक्रम रद्द होने के बावजूद इस पूरे मामले पर राज्य कमेटी सदस्य व विधानसभा प्रभारी अपरूप गुच्छाईत ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर जिलाध्यक्ष सुमित मंडल की ओर से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
भाजपा की इस अंदरूनी कलह को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने भी कटाक्ष किया है। तृणमूल नेताओं का कहना है कि जो पार्टी अपने अंदरूनी विवाद नहीं सुलझा पा रही है, वह चुनाव कैसे लड़ेगी।
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