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कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से भारत को हुआ लाखों करोड़ रुपये का नुकसान, पढ़ें रिपोर्ट

कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन से भारत को हुआ लाखों करोड़ रुपये का नुकसान, पढ़ें रिपोर्ट
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Lockdown Impact: कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, लेकिन भारत को लॉकडाउन के कारण एक विशाल आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. लगभग 10 लाख करोड़ रुपये के नुकसान और लाखों लोगों के रोजगार पर असर के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में एक गहरी गिरावट आई. हालांकि, राहत पैकेजों और सुधारात्मक उपायों से आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हुआ है.

Lockdown Impact: कोविड-19 महामारी ने न केवल दुनिया भर में लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि इसके कारण अर्थव्यवस्थाओं को भी गंभीर नुकसान हुआ. भारत में लॉकडाउन का प्रभाव बहुत गहरा था देश को आर्थिक लिहाज से भारी नुकसान उठाना पड़ा. भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 को लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना था. हालांकि, इस कदम ने अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को नष्ट कर दिया और भारत को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा.

लॉकडाउन का आर्थिक प्रभाव

2020 में प्रकाशित आरबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लॉकडाउन के दौरान लगभग सभी प्रमुख औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियां थम गई थीं. निर्माण, विनिर्माण, यातायात, पर्यटन और खुदरा व्यापार जैसे क्षेत्रों में काम पूरी तरह से रुक गए. नतीजतन, देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में भारी गिरावट आई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और नीति आयोग ने रिपोर्ट किया कि कोविड-19 महामारी के कारण भारत की अर्थव्यवस्था में 23.9% की गिरावट आई, जो 2020 की पहली तिमाही में थी.

लॉकडाउन से 10 लाख करोड़ का नुकसान

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को अनुमानित रूप से 10 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हुआ. यह नुकसान विभिन्न उद्योगों के ठप होने के कारण हुआ था. इसके अलावा, कृषि और खुदरा क्षेत्र को भी महत्वपूर्ण नुकसान हुआ. हालांकि, कृषि क्षेत्र कुछ हद तक लॉकडाउन के बावजूद चलने में सक्षम था. इसके अलावा, सरकार ने आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए कई राहत पैकेजों का ऐलान किया, लेकिन फिर भी अधिकांश उद्योगों की गतिविधियां सामान्य स्तर पर नहीं लौट पाई.

रोजगार के लिए दर-दर भटकते रहे मजदूर

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की एक रिपोर्ट-2020 के अनुसार, लॉकडाउन का सबसे बुरा असर रोजगार और मजदूरों पर पड़ा। लाखों मजदूर और श्रमिक अपनी दैनिक मजदूरी से जीविका चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान उनकी आय पूरी तरह से रुक गई। कई श्रमिक अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हुए, जिससे रोजगार संकट गहरा गया। भारतीय श्रम मंत्रालय के अनुसार, महामारी और लॉकडाउन के कारण 12 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए थे और बेरोजगारी दर 23.5% तक पहुंच गई थी.

व्यापार और खुदरा क्षेत्र

रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट-2020 के अनुसार, व्यापार और खुदरा क्षेत्र लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित हुआ था. शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट, सिनेमा घर, होटल और पर्यटन उद्योग पूरी तरह से बंद हो गए थे. व्यापारों को भारी नुकसान हुआ और कई छोटे और मझोले व्यवसायों ने अपने दरवाजे बंद कर दिए. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, खुदरा क्षेत्र को लगभग 5 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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सरकार की राहत योजनाएं

सरकार ने महामारी और लॉकडाउन के प्रभाव को कम करने के लिए कई आर्थिक पैकेज और योजनाओं का ऐलान किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज की शुरुआत की, जिसमें विभिन्न उद्योगों के लिए राहत प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त, मुद्रा योजना, किसान सम्मान निधि और जीएसटी में राहत जैसी कई योजनाएं लागू की गईं, जिससे कुछ राहत मिली. हालांकि, इन योजनाओं के बावजूद, लॉकडाउन के कारण हुआ नुकसान बहुत बड़ा था और इसे पूर्ण रूप से समाप्त करने में समय लगेगा.

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KumarVishwat Sen

लेखक के बारे में

KumarVishwat Sen

Contributor

कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. और पढ़ें

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