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पॉक्सो केस कर तुरंत संग्रह करें साक्ष्य, थानाध्यक्ष को अधिक दायित्व

पॉक्सो केस कर तुरंत संग्रह करें साक्ष्य, थानाध्यक्ष को अधिक दायित्व
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पॉक्सो और चाइल्ड प्रोटेक्शन से संबंधित कार्यशाला का आयोजन

पॉक्सो और चाइल्ड प्रोटेक्शन से संबंधित कार्यशाला का आयोजन औरंगाबाद शहर. कलेक्ट्रेट परिसर स्थित टाउन हॉल में पटना हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें पॉक्सो और चाइल्ड प्रोटेक्शन से संबंधित अनुसंधान एवं विधि सम्मत कार्यों पर चर्चा की गयी. कार्यशाला में कई पॉक्सो और किशोर न्याय बोर्ड के अनुसंधानकर्ता उपस्थित थे. मुख्य अतिथि समाज कल्याण निदेशालय, यूनिसेफ के विधि परामर्शी अजय कुमार ने प्रशिक्षण दिया. उन्होंने कहा कि पॉक्सो केस में जन्म प्रमाण पत्र की प्राथमिकता है. अंत में मेडिकल का लाभ लेना चाहिए. स्पेशल एक्ट में पुलिस बेल नहीं देना चाहिए. पॉक्सो केस की एक कॉपी सीडब्ल्यूसी भेजना चाहिए. कानून का उद्देश्य पुनः स्थापन है. बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना है. पुलिस को इतना बड़ा अधिकार है कि पीड़िता की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाये. विधि विरुद्ध किशोर और भूले-बिछड़े किशोर की उम्र देखकर लाभ देने का सबसे बड़ा अधिकार सीडब्ल्यूसी और जेजेबी को है. पॉक्सो एक्ट में थानाध्यक्ष को कानून द्वारा अधिक दायित्व दिया गया है. विधि विरुद्ध किशोर को जमानत तब नहीं मिलेगी, जब फिर अपराध में जाने की संभावना हो. समाज में उसके प्रति असुरक्षा हो. बच्चे को सेफ्टी होम, पर्यवेक्षण गृह में रखना लाभकारी हो. आगे बताया कि पॉक्सो केस दर्ज करने के उपरांत तुरंत साक्ष्य संग्रह करना चाहिए. प्राथमिकी की कॉपी और फार्मेट बी को सीडब्ल्यूसी भेजें. यदि परिवार में पीड़िता का रहना लाभप्रद नहीं होने की संभावना हो तो सीडब्ल्यूसी भेज दें. जिला विधिक सेवा प्राधिकार को निशुल्क विधिक सहायता के लिए सूचित किया जाये और पीड़िता के प्रतिकर के लिए हर संभव पुलिस द्वारा सहयोग किया जाए. प्रतिकर 2020 से पॉक्सो कोर्ट द्वारा वाद के प्रारंभ और अंत में देने का आदेश दिया जा रहा है. पॉक्सो केस दर्ज होने के बाद अभियुक्त, विधि विरुद्ध किशोर और अधिवक्ता पीड़िता से बातचीत नहीं कर सकते हैं. 300 से अधिक केस होने पर अधिक पॉक्सो कोर्ट बनाने का प्रावधान बिहार में है. जेजेबी और पॉक्सो केस के बहुत से प्रावधान में एक रूपता भी है और तेजी से मामले का निबटारा उद्देश्य है. पीड़िता के साथ परिचित लोगों से पॉक्सो एक्ट की घटनाएं अधिक देखी गई है. प्राथमिकी की सूचना तुरंत बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी, परिजनों,लिगल सर्विस, प्रोबेशन अधिकारी को देना चाहिए. विधि विरुद्ध किशोर को पकड़े जाने के बाद कोर्ट में किसी परिस्थिति में नहीं ले जाएं. उसे जेजेबी ले जाएं. अब पुलिस नालसा और बालसा की मदद से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में भी निशुल्क विधिक सहायता दिला रहे हैं. पॉक्सो केस के त्वरित निष्पादन में सहयोग करें. इस मौके पर औरंगाबाद पुलिस हेडक्वार्टर वन के डीएसपी विनोद कुमार, जिला अभियोजन पदाधिकारी दीपक कुमार सिन्हा, स्पेशल पीपी पॉक्सो शिवलाल मेहता, जेजेबी पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही उपस्थित थे.

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