Advertisement

Gaya News : त्रिपिटक जप से बोधगया में गूंजा आध्यात्मिक स्वर

03/12/2025
Gaya News : त्रिपिटक जप से बोधगया में गूंजा आध्यात्मिक स्वर
Advertisement

Gaya News : बोधगया स्थित तथागत की ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर परिसर में 20वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग का आयोजन जारी है.

बोधगया. बोधगया स्थित तथागत की ज्ञानस्थली महाबोधि मंदिर परिसर में 20वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग का आयोजन जारी है. बोधिवृक्ष की पावन छांव तले भारत के बौद्ध भिक्षु पालि भाषा में विनय पिटक का जाप कर रहे हैं. वहीं पास ही बने प्लेटफॉर्मों पर म्यांमार और थाइलैंड के भिक्षु व श्रद्धालु विनय पिटक का पाठ कर रहे हैं. अन्य प्लेटफॉर्मों पर कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया सहित कई देशों के भिक्षु भी चैंटिंग में मग्न हैं. मंदिर परिसर में गूंज रहे त्रिपिटक चैंटिंग ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया है. दर्शन-पूजा के लिए पहुंच रहे देशी-विदेशी श्रद्धालु भी इस दिव्य अनुष्ठान का आनंद ले रहे हैं. आयोजन को लेकर मंदिर परिसर को विदेशी फूलों से सजाया गया है, जिससे पूरा परिसर और भी आकर्षक हो गया है. हजारों भिक्षुओं व श्रद्धालुओं की मौजूदगी को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी कर दी गयी है. परिसर में प्रवेश से पहले सघन जांच की जा रही है. मंगलवार को त्रिपिटक चैंटिंग का विधिवत उद्घाटन किया गया था और बुधवार सुबह से जप की प्रक्रिया शुरू हुई.

बौद्ध समुदाय के लिए ऐतिहासिक अवसर : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बोधगया में आयोजित 20वें इंटरनेशनल त्रिपिटक चैंटिंग समारोह की सराहना करते हुए इसे विश्व बौद्ध समुदाय के लिए ऐतिहासिक अवसर बताया है. पीएमओ द्वारा जारी संदेश में उन्होंने कहा कि भारत के लिए गर्व की बात है कि उसे लगातार दो वर्षों 20वें और 21वें संस्करण के लिए इस वैश्विक आयोजन का प्राथमिक मेजबान देश चुना गया है. उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से भगवान बुद्ध का प्रभाव अक्षुण्ण है. करुणा, सेवा और सद्भाव की उनकी शिक्षाएं व्यक्ति को व्यक्ति से और राष्ट्र को राष्ट्र से जोड़ती हैं. भारत उन सभी आगंतुकों का हृदय से स्वागत करता है, जो विश्वभर से इस आध्यात्मिक उत्सव में भाग लेने पहुंच रहे हैं. अपने थाईलैंड दौरे को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि उन्हें वहां त्रिपिटक का मूल पालि भाषा में दुर्लभ ध्वन्यात्मक संस्करण प्राप्त करने का सौभाग्य मिला था. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने पालि को भारत की शास्त्रीय भाषा का दर्जा देकर भगवान बुद्ध की वाणी को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. पीएम ने कहा कि पालि भाषा के अध्ययन, शोध और प्रचार-प्रसार को गति देने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है. यह अंतरराष्ट्रीय समारोह न केवल त्रिपिटक के सामूहिक पाठ की परंपरा को जीवंत रखता है, बल्कि विश्व शांति, करुणा और मानवीय एकता का संदेश भी पूरी दुनिया तक पहुंचाता है. अंत में प्रधानमंत्री ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों के लिए भगवान बुद्ध की कृपा की कामना करते हुए अपने संदेश का समापन किया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Advertisement
PRANJAL PANDEY

लेखक के बारे में

PRANJAL PANDEY

Contributor

PRANJAL PANDEY is a contributor at Prabhat Khabar. और पढ़ें

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement