अपने पसंदीदा शहर चुनें

कौन हैं नील मोहन, जिन्हें टाइम पत्रिका ने 2025 के सीईओ ऑफ द ईयर के लिए चुना?

Prabhat Khabar
9 Dec, 2025
कौन हैं नील मोहन, जिन्हें टाइम पत्रिका ने 2025 के सीईओ ऑफ द ईयर के लिए चुना?

Success Story: भारतीय मूल के यूट्यूब सीईओ नील मोहन का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. उनकी चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि टाइम पत्रिका ने उन्हें 2025 का सीईओ ऑफ द ईयर चुना है. यह सम्मान सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि उस दूरदर्शी नेतृत्व की पहचान है, जिसने दुनिया की डिजिटल खपत की […]

Success Story: भारतीय मूल के यूट्यूब सीईओ नील मोहन का नाम एक बार फिर सुर्खियों में है. उनकी चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि टाइम पत्रिका ने उन्हें 2025 का सीईओ ऑफ द ईयर चुना है. यह सम्मान सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि उस दूरदर्शी नेतृत्व की पहचान है, जिसने दुनिया की डिजिटल खपत की आदतें बदलकर रख दीं. उनकी शांत, सूझ-बूझ भरी और प्रभावशाली रणनीतियों ने यूट्यूब को सिर्फ एक वीडियो प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि ग्लोबल कल्चरल पावर में बदल दिया है.

टाइम पत्रिका नील मोहन को क्यों मानती है गेमचेंजर?

टाइम पत्रिका की प्रोफाइल के अनुसार, नील मोहन वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने यूट्यूब को नई दिशा दी. पत्रिका ने यूट्यूब को एक कल्चरल डाइट बताया, जिस पर पूरी दुनिया निर्भर है. पत्रिका में कहा गया है, “मोहन किसान हैं, जो वह बोएंगे, वही दुनिया खाएगी.” यह बताती है कि यूट्यूब पर क्या पनपेगा और उसमें किस तरह का कंटेंट फलता-फूलता है. इस पर नील मोहन की रणनीति, विजन और नीतियों का गहरा प्रभाव है.

नील मोहन की क्या है असली चुनौती

दुनिया भर में 2 बिलियन से ज्यादा लोग हर महीने यूट्यूब का इस्तेमाल करते हैं. इतने बड़े डिजिटल इकोसिस्टम का नेतृत्व करना किसी भी सीईओ के लिए असाधारण चुनौती है. टाइम लिखती है कि नील मोहन इस विशाल प्लेटफॉर्म को बेहद शांत, संयमित और व्यावहारिक अंदाज में चलाते हैं.

नील मोहन के नेतृत्व का कमाल

टाइम पत्रिका के अनुसार, नील मोहन का व्यक्तित्व बेहद सहज है. वे धीरे बोलते हैं, सोच-समझकर निर्णय लेते हैं और अपने लोगों से सीधा संवाद पसंद करते हैं. उन्हें खेल देखना, बेटियों के डांस परफॉर्मेंस में शामिल होना और साधारण, आरामदायक स्टाइल पसंद है. उनके अनुसार, ‘मीडिया इंडस्ट्री तेजी से बदल रही है. अगर आप खुद को नहीं बदलेंगे, तो पीछे छूट जाएंगे.’ यह सोच ही यूट्यूब को पारंपरिक वीडियो प्लेटफॉर्म से सोशल मीडिया, शॉर्ट वीडियो और लाइव कंटेंट के सबसे शक्तिशाली केंद्र में बदलने में सहायक रही.

नील मोहन का शुरुआती जीवन

नील मोहन का जन्म अमेरिका के इंडियाना में हुआ, लेकिन 12 वर्ष की उम्र में वे लखनऊ आ गए. उन्होंने अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए बताया कि संस्कृत सीखना उनके करियर का महत्वपूर्ण हिस्सा था. उन्होंने कहा, ‘संस्कृत सीखना कंप्यूटर प्रोग्रामिंग जैसा नियमों पर आधारित, तार्किक और बेहद ध्वन्यात्मक था.’ उनके व्यक्तित्व में भारतीय और अमेरिकी संस्कृति का मिश्रण साफ झलकता है, जिसने उन्हें वैश्विक नेतृत्व के लिए और सक्षम बनाया.

नील मोहन की शिक्षा और शुरुआती करियर

करीब 49 वर्षीय नील मोहन ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए किया. एमबीए के दौरान वे अर्जे मिलर स्कॉलर रहे. यह सम्मान सिर्फ टॉप 10% छात्रों को मिलता है. करियर की शुरुआत उन्होंने 1996 में एक्सेंचर (तब एंडरसन कंसल्टिंग) से की. इसके बाद उन्होंने नेटग्रेविटी जॉइन किया, जिसे बाद में डबलक्लिक ने खरीदा. एमबीए के बाद वे माइक्रोसॉफ्ट में कमसमय बिताकर फिर डबलक्लिक लौट आए. यहां उनकी भूमिका इतनी प्रभावशाली थी कि गूगल के 3.1 बिलियन डॉलर में डबलक्लिक अधिग्रहण में उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया.

गूगल में नील मोहन का प्रभाव

नील मोहन का असली प्रभाव गूगल में दिखा. 2008 से 2015 तक उन्होंने कंपनी के डिस्प्ले और वीडियो एडवरटाइजिंग बिजनेस का नेतृत्व किया. उनके तहत डेवलप किए गए मेन प्रोडक्ट यूट्यूब एड प्लेटफॉर्म, गूगल डिस्प्ले नेटवर्क, एडसेंस, एडमॉब और डबलक्लिक हैं. उन्होंने इनवाइट मीडिया, एडमेल्ड और टेरासेंट जैसे अधिग्रहणों को सफल बनाकर गूगल के एड-टेक साम्राज्य को मजबूत आधार दिया.

प्रतिद्वंद्वी भी चाहते थे नील मोहन को अपने साथ मिलाना

नील मोहन की प्रतिभा इतनी मांग में रही कि ट्विटर ने उन्हें 2011 में टॉप प्रोडक्ट रोल ऑफर किया था. इतना ही नहीं, गूगल ने उन्हें रोकने के लिए 100 मिलियन डॉलर तक का स्टॉक ग्रांट दिया. ड्रॉपबॉक्स भी उन्हें हायर करना चाहती था, लेकिन नाकाम रही.

नील मोहन की कमाई और नेट वर्थ

न्यूज एक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, नील मोहन का मासिक कमाई करीब 3.1 करोड़ रुपये आंकी गई है. यानी नील मोहन सिर्फ 1 घंटे में 1 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. हालांकि, उनकी पूरी नेट वर्थ सार्वजनिक नहीं है, लेकिन माना जाता है कि उनके पास बड़ी स्टॉक होल्डिंग्स और लग्जरी एसेट्स हैं.

इसे भी पढ़ें: Mutual Fund में जल्दी लगा दें पैसा, रिटेल इन्वेस्टर्स की एंट्री से बदलेगी तस्वीर

विजनरी लीडर हैं नील मोहन

नील मोहन की कहानी सिर्फ सफलता नहीं, बल्कि आधुनिक नेतृत्व का श्रेष्ठ उदाहरण है. लखनऊ के स्कूल से लेकर सिलिकॉन वैली के शिखर तक का उनका सफर दिखाता है कि डिजिटल युग में शांत नेतृत्व और स्पष्ट दृष्टि कितनी शक्तिशाली हो सकती है. टाइम पत्रिका का सीईओ ऑफ द ईयर का सम्मान उनके योगदान, संस्कृति-निर्माण और तकनीकी दूरदर्शिता का अंतरराष्ट्रीय प्रमाण है.

इसे भी पढ़ें: बिहार के लाल का कमाल, इंस्टाग्राम पर मखाना बेचकर हर महीने करता है 3 करोड़ की कमाई

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store