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Purnima 2025 Upay: साल 2025 की आखिरी पूर्णिमा पर करें ये खास उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी और घर में आएगी खुशहाली

Purnima 2025 Upay: साल 2025 की आखिरी पूर्णिमा पर करें ये खास उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी और घर में आएगी खुशहाली
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Purnima 2025 Date: मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना माना जाता है. साल की आखिरी पूर्णिमा होने की वजह से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.

Purnima 2025 Upay: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा साल 2025 की आखिरी पूर्णिमा होगी. इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत 4 दिसंबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा. मार्गशीर्ष पूर्णिमा को स्नान-दान और धार्मिक कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि कांशी पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 4 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 40 मिनट से होगी. वहीं, अगले दिन 5 दिसंबर की सुबह 5 बजकर 17 मिनट पर मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का समापन होगा. ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर को मानी जाएगी.

पूर्णिमा पर बन रहा खास संयोग

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का बहुत ही खास महत्व है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 को सबसे महत्वपूर्ण संयोग बन रहा है. इस दिन भगवान दत्तात्रेय का अवतरण दिवस मनाया जायेगा. इस दिन भगवान विष्णु के पूजन तथा परिक्रमा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा गुरुवार के दिन पड़ने के कारण गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाएगा. गुरुवार भगवान विष्णु को समर्पित है, इस दिन पूर्णिमा पर कई संयोग बनने के कारण पूर्णिमा के प्रभाव में वृद्धि होगी.

पूर्णिमा स्नान का शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान का शुभ मुहूर्त 4 दिसंबर की सुबह 7 बजकर 45 मिनट से सुबह 9 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. वहीं सत्यनारायण पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 07 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. मार्गशीर्ष पूर्णिमा को चंद्रोदय समय दोपहर 04 बजकर 10 मिनट पर है.

पूर्णिमा पर भद्राकाल का समय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्राकाल सुबह 7 बजकर 40 मिनट से शाम 5 बजकर 49 मिनट तक है. भद्राकाल को पूजा-पाठ व शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन यह भद्रा का वास स्वर्ग में है, इसलिए भद्रा का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा और पूजा निर्विघ्‍न और स्नान दान की जा सकेगी.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य दें. एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां रखें. भगवान हरि को चंदन का लेप, फूलों की माला चढ़ाएं और देवी लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं. इसके बाद शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सच्चे मन से आरती करें, विष्णु चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करें. फल और मिठाई अर्पित करें. जीवन में सुख और शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें.

पूर्णिमा के दिन करें ये खास उपाय

पूर्णिमा के दिन एक आटे का दीपक बनाकर उसमें तिल का तेल भरकर उस दीपक को प्रातः पीपल के वृक्ष के नीचे जलाकर अपनी मनोकामना कहनी चाहिए. इस उपाय को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पूजा-दान और व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद मिलता है. पूर्णिमा के दिन सत्‍यनारायण पूजा का भी विशेष महत्‍व है, इसके साथ ही सत्‍यनारायण की कथा पढ़ना भी बेहद पुण्‍यदायी माना जाता है. इससे घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. वहीं पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष से राहत मिलती हैं. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद गुड़, तिल, घी, कम्बल, भोजन, धन का दान करें.

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Radheshyam Kushwaha

लेखक के बारे में

Radheshyam Kushwaha

Contributor

पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है. और पढ़ें

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