धालभूमगढ़.
ओलचिकी लिपि के शताब्दी वर्ष पर संताली भाषा दिवस आयोजन समिति ने सोमवार को धालभूमगढ़ यूथ क्लब में 23वां संताली भाषा दिवस मनाया गया. मौके पर मुख्य अतिथि विधायक सोमेश चंद्र सोरेन, झारखंड के संताली लेखक व बुद्धिजीवी उपस्थित थे. विधायक ने संताली महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी. मौके पर छात्र-छात्राओं ने संताली गीत व पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत किया. विधायक ने ओलचिकी भाषा की पुस्तिका का लोकार्पण किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने 9 क्षेत्रीय भाषाओं में प्राथमिक स्कूलों में पठन-पाठन का निर्णय व भाषायी शिक्षकों की नियुक्ति का निर्णय लिया. जल्द इसे कार्यान्वित किया जायेगा. ओलचिकी लिपि व संताली भाषा को विकसित और संरक्षित करने के लिए संताली अकादमी के गठन का प्रस्ताव लिया जा चुका है. जल्द मंत्रिमंडल में स्वीकृति हो जायेगी. युवा वर्ग को अपनी भाषा, हासा परंपरा व संस्कृति से दूर नहीं होना चाहिए. आधुनिकता की दौड़ में अपनी परंपरा व समृद्ध रीति-रिवाजों से दूर न हों. युवा वर्ग ओलचिकी लिपि को सीखें, ताकि इसका विस्तार हो. मौके पर ऑल इंडिया संताली लेखक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रजनीकांत मांडी, कृष्णपद हांसदा, रसिक बास्के, मोहन चंद्रा बास्के, भुजंग टुडू व कई शिक्षकों ने अपने विचार रखे. इसकी अध्यक्षता माझी परगना महाल के प्रखंड सचिव सांखो हांसदा ने की. मौके पर महाल के प्रखंड अध्यक्ष कुनाराम टुडू, दशरथ हांसदा, महेंद्र हांसदा, फागु मुर्मू, शंकर मुर्मू, वैद्यनाथ मांडी, कारिया टुडू, सिदो मांडी, संताली टीचर एसोसिएशन के बुढान चंद्र मुर्मू, पीतम मुर्मू, धनपति मुर्मू, भारत जाकात माझी परगना महाल के दिसोम प्रमाणिक दाखिन किस्कु, लक्ष्मण मुर्मू, झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष अर्जुन चंद्र हांसदा, जगदीश भगत, प्रधान सोरेन, चैतन्य मुर्मू आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है





