अपने पसंदीदा शहर चुनें

कौन हैं डॉ पार्वती तिर्की? हिन्दी कविता संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए मिलेगा साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

Prabhat Khabar
18 Jun, 2025
कौन हैं डॉ पार्वती तिर्की? हिन्दी कविता संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए मिलेगा साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 2025: झारखंड की कवयित्री डॉ पार्वती तिर्की को उनके हिन्दी कविता-संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार-2025 दिए जाने की घोषणा की गयी है. वह गुमला जिले के कुडुख आदिवासी समुदाय से आती हैं. सम्मान की घोषणा के बाद उन्होंने कहा कि कविताओं के जरिए उन्होंने संवाद की कोशिश की है. इस संवाद का सम्मान हुआ है. इसकी उन्हें खुशी है. राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने इस उपलब्धि पर कहा कि युवा प्रतिभा का सम्मान गर्व की बात है. इनकी पहली कृति का प्रकाशन उन्होंने ही किया है.

Sahitya Akademi Yuva Puraskar 2025: रांची-झारखंड के गुमला जिले के कुडुख आदिवासी समुदाय से आनेवाली कवयित्री डॉ पार्वती तिर्की को उनके हिन्दी कविता संग्रह ‘फिर उगना’ के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार-2025 से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गयी है. डॉ पार्वती तिर्की ने कहा कि उन्होंने कविताओं के माध्यम से संवाद की कोशिश की है. उन्हें खुशी है कि इस संवाद का सम्मान हुआ है. संवाद के जरिए विविध जनसंस्कृतियों के बीच तालमेल और विश्वास का रिश्ता बनता है. इसी संघर्ष के लिए लेखन है. इसका सम्मान हुआ है. इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा है. राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने इस उपलब्धि पर कहा कि युवा प्रतिभा का सम्मान गर्व की बात है. इनकी पहली कृति का प्रकाशन उन्होंने ही किया है.

पार्वती तिर्की ने बीएचयू से की है पीएचडी


पार्वती तिर्की का जन्म 16 जनवरी 1994 को झारखंड के गुमला जिले में हुआ. उनकी आरंभिक शिक्षा गुमला के जवाहर नवोदय विद्यालय में हुई. इसके बाद उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (यूपी) से हिन्दी साहित्य में स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की और उसके बाद वहीं के हिन्दी विभाग से ‘कुडुख आदिवासी गीत : जीवन राग और जीवन संघर्ष’ विषय पर पीएचडी की डिग्री हासिल की. वर्तमान में वह रांची के राम लखन सिंह यादव कॉलेज (रांची विश्वविद्यालय) के हिन्दी विभाग में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं.

ये भी पढ़ें: ‘फिर उगना’ के लिए झारखंड की आदिवासी बिटिया डॉ पार्वती तिर्की को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार

पहली काव्य-कृति है ‘फिर उगना’


‘फिर उगना’ पार्वती तिर्की की पहली काव्य-कृति है. यह वर्ष 2023 में राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकाशित हुई थी. इस संग्रह की कविताएं सरल, सच्ची और संवेदनशील भाषा में लिखी गयी हैं. पाठकों को सीधे संवाद की तरह महसूस होती हैं. जीवन की जटिलताओं को काफी सहज ढंग से कहने में सक्षम हैं. इन कविताओं में धरती, पेड़, चिड़ियां, चांद-सितारे और जंगल सिर्फ प्रतीक नहीं हैं, वे कविता के भीतर एक जीवंत दुनिया की तरह मौजूद हैं. पार्वती तिर्की अपनी कविताओं में बिना किसी कृत्रिम सजावट के आदिवासी जीवन के अनुभवों को कविता का हिस्सा बनाती हैं. वे आधुनिक सभ्यता के दबाव और आदिवासी संस्कृति की जिजीविषा के बीच चल रहे तनाव को भी गहराई से रेखांकित करती हैं. पार्वती की विशेष अभिरुचि कविताओं और लोकगीतों में है. वे कहानियां भी लिखती हैं. उनकी रचनाएं हिन्दी की अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और वेब-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं.

युवा प्रतिभा का सम्मान गर्व की बात-अशोक महेश्वरी


राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने इस उपलब्धि पर कहा कि पार्वती तिर्की का लेखन यह साबित करता है कि परंपरा और आधुनिकता एक साथ कविता में जी सकती हैं. उनकी कविताएं बताती हैं कि आज हिन्दी कविता में नया क्या हो रहा है और कहां से हो रहा है? उनको साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार से सम्मानित किया जाना इस बात की पुष्टि करता है कि कविता का भविष्य सिर्फ शहरों या स्थापित नामों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह वहां भी जन्म ले रही है जहां भाषा, प्रकृति और परंपरा का रिश्ता अब भी जीवित है. ऐसी युवा प्रतिभा की पहली कृति का प्रकाशन उन्होंने ही किया है.

ये भी पढ़ें: रांचीवाले हो जाएं सावधान! भारी से बहुत भारी बारिश का है रेड अलर्ट, DC ने जारी की गाइडलाइंस

नयी पीढ़ी के लेखकों को प्रेरित करेगा यह सम्मान-अशोक महेश्वरी


राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा कि पार्वती तिर्की वर्ष 2024 में राजकमल प्रकाशन के सहयात्रा उत्सव के अंतर्गत आयोजित होनेवाले ‘भविष्य के स्वर’ विचार-पर्व में वक्ता भी रह चुकी हैं. ऐसे स्वर को साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार जैसा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलना सुखद है. इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर वे उन्हें राजकमल प्रकाशन समूह की ओर से हार्दिक बधाई देते हैं. आशा करते हैं कि यह सम्मान नयी पीढ़ी के लेखकों को प्रेरित करेगा और आने वाले समय में उनके जैसे नए स्वर साहित्य में और अधिक स्थान पाएंगे.

पार्वती की कविताओं में प्रकृति और आदिवासी जीवन-दृष्टि


हिन्दी कविता की युवतम पीढ़ी में पार्वती तिर्की का स्वर अलग से पहचाना जा सकता है. उनकी कविताओं में आदिवासी जीवन-दृष्टि, प्रकृति और सांस्कृतिक स्मृतियों का वह रूप सामने आता है, जो अब तक मुख्यधारा के साहित्य में बहुत कम दिखाई देता रहा है. यह न केवल उनके रचनात्मक योगदान का सम्मान है, बल्कि हिन्दी कविता के निरन्तर समृद्ध होते हुए भूगोल और अनुभव संसार के विस्तार की स्वीकृति भी है.

ये भी पढ़ें: Ranchi School Closed: 19 जून को बंद रहेंगे रांची के सभी स्कूल, भारी से अत्यधिक भारी बारिश को लेकर डीसी ने जारी किया आदेश

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Download from Google PlayDownload from App Store